फिर कब दिखोगे।
रिटायरमेंट के बाद डीएसपी साहेब गया जाने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ प्लेटफार्म नंबर दस पर ट्रेन के इंतजार में थे, तभी उनकी अर्धांगनी बोली मुन्ना कहां है। डीएसपी साहेब मुन्ना को खोजने गए तो मुन्ना टीवी देखने में व्यस्त था, चल इंहा से, का देख रहा है, पाप
Read Moreमाँ के चरणों में बहुत रोयें.
एक सेठ जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में बड़ा ही संघर्ष किया.सेठ को तीन बेटे थे. व्यापारी ने तीनों को पढ़ाया लिखाया. सेठ को अपने बड़े बेटे से बहुत लगाव था और माँ को छोटे बेटे से, और बड़े भाई को अपने बीच वाले भाई से. सेठ का सबसे छोटा बेटा थोड़ा बिगड़ा हुआ था. सेठ अपने बड़े बेटे से कई बार कह चुके थे अपने सबसे छोटे भाई का ध्यान रखना कही कुछ गड़बड़ ना कर दें.बड़ा बेटा सेठ के व्यापार में हाथ
Read Moreहोली पर्व का महात्म्य
होली की सुरुआत सतयुग में हुआ था। दैत्यराज हिरणकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद जी सृष्टि के पालनहार भगवान श्री नारायण के अनन्य भक्त हुए। हर वक़्त उनके जिह्वा पर नारायण नारायण का रट लगा रहता था, प्रभु गुणगान से उनकी दिनचर्या की सुरुआत होती एवं प्रभु स्मरण, भक्ति...
Read More…. और वो एक कम्पनी का “COO” बन गया.
मैं अपने तीनों भाइयों में सबसे बड़ा और एक मध्यम वर्गीय परिवार में पला बड़ा हुआ, पिता जी द्वितीय श्रेणी के सरकारी कर्मचारी,मेरे पापा की पोस्टिंग मथुरा के एक गाँव में थी. चुकि हम तीन भाई थे ……बहन न होने के कारण माता जी के साथ घर के काम में हाथ बटाना...
Read Moreअंधविश्वास - मानवता शर्मशार
अति महत्वकांक्षये समाज के लिए हानिकारक होती है यह कहानी सत्य घटना पर आधरित है।उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का अंतिम जनपद देवरिया एव जनपद का अंतिम नगर परिषद टाऊन एरिया लार सन उन्नीस सौ उन्तीस कि नगर पंचायत हैं। यहाँ से कुछ दूरी पर एक तरफ सरयु नदी बहती...
Read Moreनवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नवसंवत्सर पिंगल 2080 कि ज्योतिषीय वैश्विक एव भारतीय परिपेक्ष्य में विवेचना, हर सूर्योदय नए उत्साह उल्लास उपलब्धि का संदेश लाता हुए ब्रह्मांड के प्राणि प्रकृति में नए जीवन उद्देश्य का सांचार करता है। समय काल वक्त कभी नया या पुराना नही होता उसकी नियत हो...
Read Moreवाह री किस्मत
किस्मत पर लिखी एक छोटी कविता है. पल मे बना देते है राजा, और राजा को बना दे रंक। जिंदगी के होते है अजीब से ढंग, किसी को नहीं खाने को, और किसी की तिजोरी में पड़ा है करोड़ों धन। कोई सोने को तरसे है, किसी को मखमल पर भी ना मिले चैन। किस्मत के खेल अजीब, अजीब..
Read Moreझाड़ फूंक और भूत।
जबड़ से जबड़ भूत के पानी पिला देता था शिवशंकरा। पीपल के भूत, बरगद के भूत, शीशम के भूत आऊ त आऊ रहड़, गन्ना सब के भूत त्राहि त्राहि करता, जब शिवशंकरा मंतर मारता।
Read Moreबाल कहानी- डर
प्राथमिक विद्यालय में पूजा नाम की होनहार छात्रा कक्षा पाँच में पढ़ती थी। वह पढ़ने लिखने में अच्छी थी, परन्तु उसकी एक बहुत बड़ी कमी थी, वह प्रतियोगिता के नाम पर परेशान हो जाती थी। पूजा वैसे तो विद्यालय में अनुपस्थित नहीं रहती थी,परन्तु टेस्ट या प्रतियोगिता...
Read Moreआखिर वेतन दिवस क्यों नहीं मनाया जाए..?
पूरे वर्ष के बारहो महीना आये दिन देश दुनियाँ में कोई न कोई दिवस मनाया जाता है। चाहे वह स्मरण दिवस हो, जयंती दिवस हो या कोई अन्य उत्सव का दिवस हो... निश्चित अंतराल पर कोई न कोई दिवस हम जन्म से ही मनाते आये हैं। यह बहुत ही अच्छी बात एवं सुंदर परंपरा है कि..
Read Moreहाय कैसी किस्मत!
जन्म से बुढ़ापे तक एक औरत के राजकुमारी से भिखारि होने तक दशा को कविता के माध्यम से बताया गया है। जनमी तो वो भी माँ की कोख से थी पिता की गोद उसका राज सिंहासन था भाई की राजकुमारी थी वो बड़ी बहनो का सर पर स्नेहिल आचल था बड़ी दुलारी थी सबकी प्यारी थी एक प..
Read Moreप्रेत बाधा एव वास्तुदोष
वस्तु दोष एव प्रेत वाधाए विषय पर शोध परक लेख। भूत प्रेत अपार शक्ति सम्पन्न एव इनकी बिभिन्न प्रकार की जातियां होती है भूत प्रेत पिचास राक्षस यम साकिनी डाकिनी चुड़ैल गंधर्व आदि यदि महादशा में चंद की अंतर्दशा और चंद्र दसापति राहु से भाव 6 8 या 12 में ब...
Read Moreइक्कीसवीं सदी और भारत
इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों के प्रति सजग एव उपलब्धियों के प्रति जागरूक करता लेख ।विषय वस्तु ---सदी ईस्वी सन के सौ वर्षों को सदी, दस वर्षों को दशक कहते है वर्तमान में इक्कीसवीं सदी के बाईसवें वर्ष का शुभारंभ है एक वर्ष में तीन सौ पैसठ दिन एव बारह माह हो...
Read Moreस्वप्न विवेचना ज्योतिषीय शोध लेख
स्वप्न के सम्बंध में भ्रांतियां एव समाधान पर ज्योतिषीय शोध लेख।मनुष्य के जन्म समय काल मे ग्रह नक्षत्रों की जो स्थितियां रहती है ज्योतिष विज्ञान उसके आधर पर उसके जन्म जीवन का आंकलन मूल्यांकन करता है। जो यदि सही ज्योतिषीय गणीतिय गणना पर की जाय तो अक्षरशः
Read Moreआधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान नामक पुस्तक का समीक्षा
सुरुचिपूर्ण ढंग से लिखी, इसमें भरा स्नेह। करुणा, मैत्री, ज्ञान का, संगम सुंदर गेह।। पढ़िए सब चखिए इसे, इस जैसा न कोय। शुरु करो तो अंत बिन, नहीं उठोगे सोय।। अनुपम, सुखकर, प्रीतिमय, हीरा भरें प्रकाश। तिनकी उज्जवल छटा से, जगमगात ये ये खास।। बहुत ही बढ़िया और
Read Moreवेलेंटाइन डे और भारतीय संरक्षण दल के सेवक।
आठ महीने से रोज, तेरी गली में आकर, तुझे भर भर के नजर से देखता था। बस इजहार नही कर पाया। जीवन संगिनी कैसे बनाऊं, ये सोच सोच के तीन बार फर्स्ट ईयर में फेल हुआ। लेकिन एक महीने पहले वो मुझे देख कर मुस्कुराई, लगा स्नातक फर्स्ट डिवीजन से पास हो गया। इतनी खुशी त
Read Moreहस्तरेखा का सच एव ज्योतिष विज्ञान।
हस्त रेखा एव ज्योतिषी का सच एक ऐसा विज्ञान आधरित एव शोध परक लेक है जो जन सामान्य को ज्योतिष विज्ञान के प्रति सतर्क कर्यता है एव जानकारी उपलब्ध कराता है। सृष्टि में मनुष्य मात्र ऐसा प्राणी है जो अतीत वर्तमान भविष्य के प्रति जागरूक रहता है अतीत से सीखने...
Read Moreचाल कदमो की आहट एव ज्योतिष विज्ञान का सच
प्राणियों की अनगिनत प्रजातियों में सिर्फ मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणि है जिसमें सेंस मतलब सोचने, समझने अनुभव अनुभूति कि क्षमता है जो उसमें संवेदना कि जागृति करती है जिसके कारण वह अन्वेषी एव जगरूक प्राणि है एवं उसमें किसी भी विषय वस्तु को जानने खोजने...
Read Moreजन्मकुंडली एव भूत प्रेत बाधा
सूर्य अथवा चंद्र तृतीय भाव मे पापी ग्रहों के साथ है तो जातंक बीमार रहेगा और कुछ समय पश्चात उसकी मृत्यु हो जाएगी। #यदि चंद्र अष्ठम भाव मे के स्वामी के साथ केंद्र में स्थित है एव पॉपग्रह के साथ है तो शीघ्र जीवन समाप्त हो जाएगा।। # यदि चन्द्रमा सप्तम...
Read Moreज्योतिष धर्म या विज्ञान एव पुनर्जन्म का सच
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुये कहा है हे अर्जुन सृष्टि युग ब्रह्मांड में मैंने अनेको बार जन्म लिया और तुम्हारे भी ना जाने कितनी बार जन्म हो चुके है मेरे और तुममें फर्क मात्र इतना है कि मेरा जन्म पृथ्वी युग मे जन्म युग ब्रह्मांड...
Read Moreहमारी श्रद्धांजलि
पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में एक डर सा समाया रहता था, पर उसका आशय क्या है बस! यही समझ नहीं आ रहा था। पर आज सामने आ गया जब मेरे सिर पर अपनी अनवरत सुरक्षा छाया देने ......
Read Moreआज मैं एक प्रण ले रहा हूं
आज मैं एक प्रण ले रहा हूं अपनी सारी दौलत अपने साथ स्वर्ग ले जाने का प्रण, जो आज तक किसी ने न किया वो मैं करके दिखाना चाहता हूं। सीधा सरल फार्मूला है
Read Moreअन्न की बर्बादी न हो
व्यर्थ न जाए अन्न का दाना नारी में न इसे बहाना ये सब अब हो गया पुराना आज तो है नया जमाना।
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