मानवता के प्रज्ज्वलित दीप स्तम्भ, महा दानवीर- श्री डॉ. इंद्रजीत शर्मा जी

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ब्लॉग प्रेषक: अभिषेक कुमार
पद/पेशा: साहित्यकार, प्रकृति प्रेमी व विचारक
प्रेषण दिनांक: 30-01-2023
उम्र: 33
पता: आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9472351693

मानवता के प्रज्ज्वलित दीप स्तम्भ, महा दानवीर- श्री डॉ. इंद्रजीत शर्मा जी

मानवता के प्रज्ज्वलित दीप स्तम्भ, महा दानवीर व सामाजिक समरसता एवं उत्थान के मज़बूत स्तम्भ- श्री डॉ. इंद्रजीत शर्मा जी

   दान की महिमा अपरंपार है। आत्मिक शुद्धता व परोपकारी विशाल हृदय का एक नायाब नमूना है दान। जहाँ इस कलिकाल में हड़पनीति, मद, मोह, लोभ, लालच प्रत्येक इंसान के हृदय पर हावी है वैसे में यह धन के तृष्णात्मक विनासक शत्रु जिसके हृदय पर अपना प्रभाव नहीं जमाते बल्कि दूर-दूर तक टिकते नहीं कोसो दूर है। एक ऐसा व्यक्ति की उदारता, समाज सेवा व दान की किस्से राजा हरिश्चंद्र, राजा भोज व महाप्रतापी कर्ण के समान कीर्ति चहु ओर फैली है। चींटी कहती है नदी से एक बूंद पानी पी लेने दो तुम्हारा घाटा नहीं होगा..! नदी कहती है चींटी से एक बूंद क्या तुम हजार बून्द पी लो यहाँ कोई घाटा नहीं पड़ने वाला। यहां अमृतमयी जलधारा निर्झर बह रही है। कुछ ऐसे ही विशाल हृदय के महासागर करुणा, प्रेम के असीमित भण्डार इस युग के दानवीर महामानव श्री इंद्रजीत शर्मा जी हैं।

    एकात्म मानववाद के असल में उत्थान करने वाले श्री इंद्रजीत शर्मा जी का जन्म 01 अक्टूबर 1960 ई. को हुआ। अपने पिता स्व. पंडित तिलक राज शर्मा के पदचिह्नों का अनुगमन करते हुए सामाजिक, धार्मिक एवं उद्धारक व्यकितत्व की परिभाषा को परिपूर्ण कर एक मिसाल कायम की। आपके पिता जी ने आपको धर्म/शास्त्र से जोड़ा, इसी धर्म शास्त्र से आपके जीवन में नियम पालन का निर्माण हुआ। आप जीवन के विभिन्न आयामों में नीयम पालन करते रहे, इसी नियम पालन के प्रभाव से आपके जीवन में संयम और धैर्य का विकास हुआ जो मानव को मानवीयता के शिखर पर ले जाता है। इस संयम/धैर्य के अनुपालन से आपके जीवन में अनुशासन का निर्माण हुआ। आप बाल्य काल से लेकर अभी तक जहाँ भी रहे अनुशासन का दामन कभी नहीं छोड़ा। इसी अनुशासन पालन से आपके अंदर मर्यादा जैसे अमूल्य अनमोल दैविक गुणों का विकास हुआ। इन्हीं मर्यादा के परिसीमा व परिपालन ने आपके अंदर दुर्लभ गुण संस्कार का जन्म दिया और यह उच्च  संस्कार ही आपके उन्नति के मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं और खुद के साथ-साथ आप जनसमुदाय को भला कर रहे हैं। आपके सामर्थ्य, उदारवादिता और दान की कीर्ति इस वसुंधरा पर सर्वत्र फैली है।

 आपके धर्मीनिष्ट महामानव पिता स्वर्गीय श्री पंडित तिलकराज शर्मा जी ने आपके अंदर भेदभावरहित जीव सेवा भाव और संस्कृति के रक्षक जैसे दायित्वों को कूट-कूट के भरा, जिसके परिणामस्वरूप आपका यश कीर्ति ठीक वैसे ही चमका जैसे सोना तपकर निखरता है। आपका आभा मंडल की दिव्यता व दीप्ति जग ज़ाहिर है। आप देवात्मा स्वरूप सामाजिक समरसता एवं मानवता के साक्षात प्रतिमूर्ति हैं। समाज में एक अद्भुत मिसाल और एकात्म मानववाद के उत्थान हेतु जज्बात और जुनूनी कार्य कर रहे हैं जो इस कलिकाल में कोई दूसरा आपके प्रतिद्वंद्वी या आपके समान नजर नहीं आता।
      आप बाल्य काल विद्यार्थी जीवन में भी ओजस्वी तेजस्वी प्रचंड बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे जिसके कारण हर क्षेत्र में सफलता के नित्य नए आयाम को बुलंदियों के शिखर पर पहुंचाया।

आपने एन.सी.सी में भी विशिष्ट स्थान प्राप्त किया और आपको नेपाल सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आपने उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और स्नातक की शिक्षा पूरी की। *कहावत है अगर बुनियाद मज़बूत हो तो इमारत  बुलंद होती है*  पिता ने जो कठिन परिश्रम से धन, संपत्ति वैभव अर्जित की, उसे आपने भली-भाँति धर्मपथ पर नैतिकतापूर्ण आगे बढ़ाया और आज आपने एक सफल व्यवसायी के रूप में नई दिल्ली से लेकर सात समंदर पार न्यूयॉर्क अमेरिका तक अपना व्यावसाय क्षेत्र फैलाया।
    आदरणीय श्री इद्रजीत शर्मा जी आप 1984 से अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रह रहे हैं। वर्ष 1991 में आप विवाह के परिणय सूत्र में बॅंधे और आज आप एक पुत्र और पुत्री के पिता हैं। श्रीमान शर्मा जी आपने अपना व्यवसाय एक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से शुरू किया था और आज आप एक बड़े हार्डवेयर निर्माण उद्योग के मालिक हैं।
आपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव विषम परिस्थितियों को देखा पर आपकी सूझ-बूझ धीर-गंभीर, संयम, संस्कार ने उन विषम परिस्थितियों के आगे झुकने नहीं दिया बल्कि आप सदैव मजबूत हुए। आपने जीवन में समाज और निज विकास के साथ- साथ कई होनहार साहित्यकारों को भी आर्थिक प्रोत्साहन देते हुए आगे बढ़ाया। आप किसी परिचय के मोहताज नहीं अपितु आप हर भारतीय के हृदय में बसते हैं, विशेषत: दिल्ली में आपने कई चेरिटेबल संस्थानों के तहत शिक्षण संस्थनों की भी नींव डाली, आज भी आप समाज को आगे बढ़ाने में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। निर्धन छात्रों की शिक्षा और विकास के लिए आप शिक्षा में निरंतर सहयोग कर रहे हैं। बेरोज़गारी, गरीबी उन्मूलन के लिए भी आप पढ़े-लिखे युवाओं को उचित रोज़गार दिलाने का प्रयास करते हैं, यही नहीं ज़रूरतमंदों को आपने नित्य नवीन तमाम रोज़गार के साधन उपलब्ध कराने में तनिक संकोच नहीं करते ना ही पीछे हटते बल्कि देश के युवा अपने पैरों पर कैसे खड़े हो सकें, कैसे स्वालंबी सशक्त हो सके आप उनके उत्थान के लिए सदैव लगे रहते हैं इस कारण कई मर्तबा आपकी भारत से अमरीका और अमरीका से भारत की यात्रा होती रहती है। आप पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से गरीब महिला सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने का मज़बूत प्रयास कर रहें हैं। आपने अपने पिता पंडित तिलक राज शर्मा के नाम से ट्रस्ट की भी स्थापना की है ताकि समाज में फैली बुराइयाँ, अंधविश्वास और भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाया जा सके और समाज के मुख्य धारा से पिछड़े हुए लोगों को मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। इस ट्रस्ट के तहत आप पब्लिक लाइब्रेरी, कंप्यूटर शिक्षा, महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर तथा स्वास्थ्य सुविधाएँ भी मुहैया कराते हैं।
वृद्धों के लिए भी अपने रिक्रिएशन सेंटर खोले हैं ताकि वहांँ बुज़ुर्ग अपना समय व्यतीत कर सकें। वे टेलीविज़न देखते हुए अपना खुशनुमा समय व्यतीत करते हैं, आज के दौर में यहाँ दो सौ से अधिक बुज़ुर्ग इस संस्थान से जुड़कर लाभान्वित हो रहें हैं।रामचरितमानस पाठ भी हर शाम को करवाया जाता है, जहाँ एक धार्मिक माहौल का समागम होता है, आत्मा-परमात्मा, भजन-कीर्तन, अमन, चैन, शांति एवं हर्षोल्लास की धुन में सभी मदमस्त रहते हैं।

एक बहुत ही नेक दिल इंसान श्री इंद्रजीत शर्मा जी आप यही नहीं, हर साल लगभग सौ कन्याओं के सामूहिक विवाह का भी आयोजन करते हैं, जिसमें गरीब कन्याओं को गृहस्थी का सामान प्रदान करते हैं एवं एक धार्मिक पिता के धर्म का निर्वहन करते हुए कन्या के पिता को कन्या ऋण के चंगुल से उद्धार करते हैं।
आप हर सुबह पूजा के बाद पक्षियों को दाना खिलाते हैं, भारतीय संस्कृति, परंपरा का निर्वाह करते हुए आपने कई गौशालाओं का भी बढा़वा दिया, गौ सेवा भी आप पूरी निष्ठा ईमानदारी से करते हैं।
इसके साथ ही हिंदी भाषा के उत्थान के लिए भी आप निरंतर सहयोग दे रहे हैं। आपने श्री गुरुग्रंथ साहिब के लिए भी अनुदान दिया, आज आप एक सेतु की तरह काम कर रहे हैं ।

आपने भारत से लेकर विभिन्न देशों के बीच, हज़ारों धार्मिक किताबों को विदेशी पुस्तकालयों में भी पहुँचाया ताकि भारतीय भाषाओं का प्रचार- प्रसार हो सके। महंत श्री डॉ. नानकदास जी महराज के मार्गदर्शन में स्वलिखित पुस्तक *आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान* जो 05 फरवरी 2023 को नई दिल्ली के डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय हॉल में ऐतिहासिक 27 भाषाओं में गणमान्य लोगों के बीच ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित करते हुए विमोचन हुआ, उस पुस्तक को आप 1000 प्रति मुद्रित कराने का मंगलकारी कार्य किया जो आपके विशाल उदार हृदय का नमूना है।

एक ऐसे ईमानदार कर्मठ सुविख्यात व्यक्ति इंद्रजीत शर्मा जी आपकी व्यक्तित्व और सामाजिक कार्य का विस्तार भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि विदेश की धरती पर पुष्पित और पल्लवित हो रही है। प्रत्येक वर्ष अप्रेल माह में नई दिल्ली के साथ-साथ अमेरिका के न्यूयार्क में भी वृहद सम्मान सभा का आप आयोजन करते हैं जहाँ होनहार मनुभावो को गोल्ड मेडल, ग्यारह हजार रुपये की नगद धनराशि व अपने पूज्य महामानव पिता स्व. पंडित तिलक राज शर्मा जी के स्मृति में स्मृति चिन्ह/सम्मान पत्र व अंग वस्त्र भेंट कर अब हजारों लोगों को सम्मानित कर चुके हैं। इसी उदारवादिता कर्ण के भांति दानवीर होने के कारण आपको 2019 में अमेरिका सरकार के सीनेट ने दुर्लभ समाज सेवा के लिए विशेष सम्मान से पुरुस्कृत किया। आपको 2019 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने भारत गौरव सम्मान से एवं 2023 में विश्व शांति दूत सम्मान से विभूषित किया। 

आपको नेपाल, भारत, अमेरिका, एवं ब्रिटेन जैसे देशों के कई संस्थानों के द्वारा भी अनेक सम्मानों से अलंकृत किया गया है जो आपकी बहुआयामी प्रकृति व प्रतिभा को दर्शाता है।

आपके नेक दरियादिली के व्याख्या करने में शब्द छोटे पड़ जाते है अथवा मिलते नहीं। आप दिल्ली के असहाय  बुजुर्ग लाचार परिवार को पूर्णतः निःशुल्क में उनके घर जाकर फिजियोथेरेपी करते हैं। अब तक हजारों ऐसे परिवारों के फिजियोथेरेपी के सेवा कर आप किसी देवदूत मसीहा से तनिक कम नहीं है। आपने 24 घंटा निःशुल्क सभी मानव के लिए निःशुल्क एम्बुलेंस की व्यवस्था कर रखी है। हमने तो देखा कि ड्राइवर न होने की दशा में या विलंब होने की दशा में आप खुद एम्बुलेंस लेकर दौड़ पड़ते हैं। ऐसा स्वभाव सेवा एवं समर्पण इस कलिकाल में कहा देखने को मिलता है। जहाँ एक ओर पाप पाखण्ड, लूट-पाट, धन की तृष्णाओं में लोग इतना संलिप्त है कि उनको होश ही नहीं है उस मक्खी के भांति की अपने पंख को गुड़ खाने में इतना लपेट लिए हैं कि न उड़ने की चिंता में नींद चैन आनंद सब कुछ हराम कर दिया है और धीरे धीरे दुःखद अंत की ओर अग्रसारित हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर आप इन सब प्रपंच, धन के तृष्णा से बेखबर बस मानवतावाद के कल्याणार्थ कोई एक कार्य नहीं बल्कि सैंकड़ो कार्य एक साथ कर रहे हैं। धर्म और सत्य के आनंद मार्ग पर होने के कारण आपके लिए कुबेर का भंडार सदैव खुला रहता है एवं परमपिता परमेश्वर का आशीष आप पर सदा नूर की भांति बरसते रहता है। इसी लिए आपका व्यवसाय दिन-दूनी रात चौगनी तरक्की कर रहा है।

आप इतने महान प्रभावशाली होने के बावजूद आपको अहंकार लेस मात्र भी प्रभावित नहीं कर सका। आप इतने उच्चे दर्जे होने के बाद भी आपके अंदर ऐश्वर्य भाव नहीं है बल्कि माधुर्य भाव समता एकरूपता के साथ गरीब अमीर सभी व्यक्तियों से एक मापदंड पर मिलते जुलते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का सीना गर्व से ऊंचा हो जाता है आपसे मिलने के बाद। आपनी प्रसंसा कराने का अथवा होने का कोई फर्क नहीं पड़ता आप बस अपने धर्म पथ पर चल रहे हैं। प्रसंसा, निंदा मान अपमान के सीमा से आप बहुत ऊपर उठ चुके हैं इसका कोई प्रभाव नहीं है आप पर, आप अन्य व्यक्तियों के चाटुकारिता भरी प्रस्ताव के सिरे से खारिज कर देते हैं और ऐसे स्वार्थी व्यक्ति को भी सन्मार्ग की राह बताते हैं ताकि उसका धार्मिक न्यायिक कल्याण हो सके तथा अवगुणों को त्याग गुणों से पुष्पित और पल्वित हो सके।

शुद्ध सात्विक भोजन आहार व्यवहार से आपके अंदर सात्विक गुण का विकास हुआ है। आपके अंदर रजोगुण, तमोगुण नहीं है। इस लिए आपकी वाणी व मुखमंडल सदैव ज्योतिमान रहती है एवं एक दिव्य आभा मंडल सदैव आपके इर्द-गिर्द विद्धमान रहती है। आपके अंदर सत्व गुण की प्रधानता आपको सत्यकर्मों की ओर अग्रसरित करती है।

परमपिता परमेश्वर, अनंत कोटि ब्रह्माण्ड के अधिनायक श्री हरि से प्रार्थना करते हैं कि आपका स्वास्थ्य मजबूत रहे, आपकी यश कीर्ति वैभव सदा बढ़ती रहे आप ऊर्जावान बने रहने के साथ-साथ लंबे समय तक इस वसुंधरा पर रह कर जनमानस के सेवा, उत्थान संबंधी कार्यो में तल्लीन रहे।

धन्यवाद

सतगुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान बड़ी खाटू, नागौर, राजस्थान के भारत भूषण महंत श्री डॉ. नानकदास जी महाराज के विचारों को कलमबद्ध किया राष्ट्र लेखक, भारत साहित्य रत्न से अलंकृत दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र के संस्थापक व मुख्य प्रबंध निदेशक साहित्यकार श्री अभिषेक कुमार जी ने।


भारत भूषण महंत श्री डॉ. नानकदास जी महाराज
राष्ट्र लेखक डॉ. अभिषेक कुमार
दिनांक- 09/05/2023

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