डिजिटल मुद्रा (Pointo Currency) की परिकल्पना।

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ब्लॉग प्रेषक: डॉ. अभिषेक कुमार
पद/पेशा: मुख्य प्रबंध निदेशक DPK मानवता अनुसंधान केंद्र
प्रेषण दिनांक: 21-05-2023
उम्र: 33
पता: ठेकमा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: +919472351693

डिजिटल मुद्रा (Pointo Currency) की परिकल्पना।

डिजिटल मुद्रा (Pointo Currency) की परिकल्पना।

©आलेख: राष्ट्र लेखक डॉ. अभिषेक कुमार

       21 वीं सदी के पहली दसक को छोड़ दिया जाए तो दूसरी दसक से डिजिटिलाइजेशन का परिचालन तेजी से बढ़ा। डिजिटिलाइजेशन ने भारी भरकम मेहनत से लिखी जाने वाली तमाम खाता-बही को स्वचालित सहज और त्वरित बना दिया। जीवन के विभिन्न आयाम, क्रियाकलापो में डिजिटिलाइजेशन को बढ़ने से एक नहीं अनेक लाभ हुए। भारत सरकार ने भी सराहनीय कदम उठाया और डिजिटल इंडिया अभियान का सुरुआत किया। समयोपरांत डिजिटिलाइजेशन ने दुनियाँ को एक दम से बदल कर रख दिया और एक नए डिजिटल युग की क्रांतिकारी सुरुआत हो गई। वर्षो पुराने जो कार्य मैनुअल हुआ करते थें अब वह सब डिजिटल क्रांति के हिस्सा बन गए और सब कुछ डिजिटली स्वचालित तरीके से संपादित होने लगें।

सवाल उठता है कि सब कुछ डिजिटल तो है परंतु मुद्राओं का प्रचलन आज भी वही पारंपरिक तरीके से मैनुअली भौतिक रूप में एक दूसरे को हस्तांतरण हो रहे हैं यह पूर्ण तरीके से डिजिटली आभासी क्यों नहीं हो जाते..? जबकि ऐसा भी नहीं है आज फ़ोन पे, गूगल पे, पेटीएम, आधार कार्ड से वर्चुअल डिजिटली रुपयों का लेन देन हो रहा है। इस प्रणाली में भौतिक रुपये का लेनदेन नहीं होता बल्कि आभासी/डिजिटल रुपयों का लेनदेन होता है अथवा उतने डिजिटली आभासी मुद्रओं के बदले कोई सामान दिया जाता है। बैंक भी किसी से भौतिक रुपये लेकर किसी के खाते में डिजिटली, आभासी ही ट्रांसफर करता है। वह व्यक्ति उतना रुपये के एवज में नगद भौतिक राशि बैंक या ATM मशीन से निकालता है।

यदि पिछले युगों की बात की जाए तो सतयुग, त्रेता, द्वापर में मुद्राओं का प्रचलन किसी समान के बदले समान, या सोना, चांदी, अशर्फियाँ, हिरे मोती जवाहरात आदि के बदले किसी समान को खरीदा जाता था तथा किसी को पारितोषिक इन्हीं से दिया जाता था। बाद में धातुओं का सिक्का का प्रचलन हुआ था कलयुग में कागजी मुद्रा देखने को मिला। कलयुग के पहले के युगों में अपेक्षाकृत नैतिकता ईमानदारी और मानवता अधिक होने के कारण इन पारंपरिक मुद्राएं संतुलन में हुआ करती थी तथा निर्वाध रूप से बाजार में एक दूसरे के पास सफर करती रहती थी कहीं कोई इन्हें कैद करके नहीं रखता था। हां एक्का-दुक्का लोग जरूर गगरा-बटुआ में जमीन के अंदर गाड़ देते थें जो अपवाद है।

पर समय जैसे-जैसे बीतता चला गया घोर कलिकाल ने अपनी माया जाल फैलाना सुरु किया व्यक्ति के ऊपर काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, अहंकार, ईर्ष्या द्वेष, छल, कपट, प्रपंच ने डेरा डालना सुरु किया और मूल-भूत आवश्यकता रुपये जिससे दुनियाँ के किसी भी वस्तु, परिस्थिति एवं अच्छे-अच्छे लोगो के जमीर खरीदे जा सकते हैं उसका एकत्रीकरण चाहे धर्म, नीति मर्यादा पूर्वक हो या अधर्म अनीति, अमर्यादा पूर्वक इन सबके प्रभाव से बेखबर बस कैसे अधिक से अधिक रुपये/नोट को अपना बनाया जाए बस लोगो का ध्यान इसी पर टिका रहा। ऐसे में जिनके पास अधिक धन का संग्रहण है उनसे सरकार टैक्स तो लेती है परंतु टैक्स आदि से बचने के लिए न जाने रुपये अलमारी, बक्सा, दीवार, जमीन के अंदर, लैटरिंग, बाथरूम कहाँ-कहाँ लोग छुपाने लगे। कभी-कभी तो इतने भारी मात्रा में अवैध मुद्रा संचित पकड़ाते हैं कि हालात खराब हो जाती है बैंक वालो को रुपये गिनते-गिनते, रुपये गिनने का मशीन भी हाथ-पांव खड़ा कर देता है इतना संख्या में नोट गिनने का छमता नहीं है मुझमें।

यह भौतिक रुपये इतने प्रभावशाली और कारगर हो गए कि किसी को स्वतंत्र वोट देने का अधिकार अपने वश में कर लिया, सरकारी/गैर सरकारी कर्मचारियों के ईमान अपने काबू में कर लिया। कई व्यक्तियों ने इसकी मोह में न जाने क्या-क्या नहीं घृणित कार्य किया। इसे वैध-अवैध पाने के लिए हर कोई किसी भी कीमत चुकाने को तैयार है। कारण की यह भौतिक मुद्रा का लेन-देन चोरी चुपके, पर्दे की आड़ में बड़ी आसानी से किया जा सकता है। रुपये प्राप्त हो जाने के बाद यह पता लगाना भी दुष्कर है कि इन रुपयों का वास्तविक स्रोत कहा से हैं और किसी प्रकार संग्रहित किये गए हैं, कब-कब कितने मात्रा में आये हैं..!

सरकार को रिजर्व बैंक के माध्यम से नोट छपवाने में कितनी परेशानी और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा। हजारों-हजार कर्मचारी, नाना प्रकार के मशीन, कई पेड़ो के कटाई के फलस्वरूप निर्मित विशेष प्रकार के कागज जिस पर नोटों की छपाई होती है उसे इक्कठा करना तथा विशेष व्यवस्था के साथ उन करोड़ो-करोड़ नोटों को बैंक बाजार में उतारना कितना मुश्किल कार्य है न..? पुराने, खराब, कटे-फ़टे नोटों को पुनः एकत्रित कर जलाया जाना एवं इनके बदले नए नोट फिर से छापना और बैंक में पुनः प्रेषित करना कोई आसान कार्य नहीं है।

इन नोटों की मनमोहक खुशबू इतना मंत्रमुग्ध कर देती है कि अपराधी प्रवृति के लोग, निर्बल/सबल प्राणी यहां तक कि बैंक कर्मचारियों को बंधक बना लूट कर फरार हो जाते हैं। फिर बच्चों को चोर सिपाही की कहानी सुनाई जाती है।

काला धन, नोट जमाखोरी और फर्जी/जाली नोट की छपाई और बाजार में उसे सरेआम देखा जाना सरकार को नींद हराम कर दी है। सत्ता शक्ति के हनक में कई लोग सात समंदर पार बैंकों, जमीनों में जी भर के रुपये गाड़ आएं हैं ताकि आठ-दस पुस्त कामना न पड़े और देश में आर्थिक समृद्धिकरण की बात करते हैं। कई लोगो को पहले से पता होता है की बड़ी मेहनत, दलाली से सत्ता शक्ति कुछ विभागों पर अधिकार पाया हूँ, दुबारा मौका मिले न मिले ज्यादा से ज्यादा मुद्रा को अर्जित कर सुरक्षित स्थानों पर नजरबंद किया जाए जिससे जमीने और बंगला नामी-बेनामी खरीदे जा सके। चुनाव के वक़्त जनता-जनार्दन में उनके घर जाकर बड़े प्रेम से दिल खोल कर उनपर लुटाया जा सके और उन्हें अपने प्रति वोट देने हेतु मोहित किया जा सके। इन्हीं कारणों से वर्ष 2016 में 500 और 1000 के नोट को सरकार ने नोट बंदी का फैसला लिया, 2023 में पुनः 2000 के नोट को बंद करने का एलान किया गया। आप सभी ने देखा होगा अखबार सोशल मीडिया में कि कितने बड़े मूल्य के नोटो को अग्नि में स्वाहा करने की खबरे आई। नोट बंदी से फायदा है तो आमजनों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। 

यदि ऐसे में भौतिक मुद्राओं का चलन पूर्णतः बंद कर के डिजिटल मुद्रा (Pointo Currency) के परिकल्पना को साकार किया जाए तो निसंदेह तमाम प्रकार के परेशानियां, अपराध, अनैतिकता, काला धन संग्रहण व जमाखोरी पर लगाम लगेगा।

★आखिर क्या है डिजिटल मुद्रा (Pointo Currency) की पकरिकल्पना..?

1} वर्तमान समय में सभी व्यक्ति का आधार-पैन-वोटरकार्ड-बैंक खाता एक दूसरे लिंक है। इस लिए उस व्यक्ति के अर्जित रुपये मूल्य वैल्यू डिजिटल अंक में तब्दील हो जाये और उसके बैंक खाते व आधार फिंगर प्रिंट पर प्रदर्शित हो जाए।

2} सभी प्रकार के लेन-देन सांकेतिक, वर्चुअल/ डिजिटल किसी यंत्र के माध्यम से अंगूठा सत्यापित करने के पश्चात ही हो।

3} सभी लेन-देन, मुद्राओं के आदान प्रदान के स्रोत एवं कारण का उल्लेख रुपये लेते-देते समय अंकित हो।

4} मोबाइल से या किसी विशेष यंत्र के माध्यम से कोई भी व्यक्ति जब चाहे तब कभी भी आधार लिंक अपना अंगूठा या किसी अन्य अंगुली को इस्तेमाल कर रुपये का भुगतान कर सके।

5} आधार लिंक किसी व्यक्ति के अंगुली में ही धन भुगतान और प्राप्ति का पूरा विवरण संरक्षित हो जो किसी डिवाइस पर लगा कर पूरा देखा जा सके तथा उसकी वर्तमान संचित कुल धनराशि की ब्यौरा भी जांच की जा सके।

6} आयकर नियमावली के तहत अत्यधिक धन होने एवं कर/टैक्स के दायरे में आने पर स्वतः समयनुसार कर भुगतान का विकल्प हो।

7} आय के सापेक्ष धन प्राप्ति/भुगतान का स्वतः लेखा-जोखा एवं अत्यधिक मोटा रकम प्राप्ति/भुगतान का ब्यौरा स्वतः संधारित हो एवं इस पर संबंधित एजेंसियों की नजर हो।

      अतः वर्तमान कलिकाल के कलुषित वातावरण में भौतिक मुद्रा का प्रचलन अब नीति संगत, धर्म संगत नहीं प्रतीत हो रहा है। अधर्म-पाप बढ़ने की संभावना है। सृष्टि की कोई वस्तु या परिस्थितियों का अंत निश्चित है यह ईश्वरीय विधि का विधान है। अब समय आ चुका है कि भौतिक मुद्रा चलन को श्रद्धांजलि दिया जाए और नए युग में सब कुछ डिजिटल है तो रुपये/नोट क्यों न डिजिटल हो इस लिए डिजिटल मुद्रा (Pointo Currency) प्रचलन पर जोर दिया जाए इससे एक नहीं अनेक फायदे हैं तथा अब तक के तमाम झंझावात का भी विदाई स्वतः है।

डॉ. अभिषेक कुमार

राष्ट्र लेखक व भारत साहित्य रत्न से अलंकृत

साहित्यकार, समुदायसेवी, प्रकृति प्रेमी व विचारक

मुख्य प्रबंध निदेशक

दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र

www.dpkavishek.in

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