राजनीति

       07-04-2024

चुनावी जनसभा के भीड़ का विश्लेषण।

जैसा की हम सभी जानते हैं की भारत में लोक तंत्र, प्रजातांत्रिक व्यवस्था का आगाज बीसवीं सदी के मध्य में हुआ था। दो सौ वर्षो की अंग्रेजी हुकूमत और इसके पहले राजतांत्रिक व्यवस्था में चुनावी जनसभा का कोई नामो निशान नहीं था। भारत में जब से प्रजातांत्रिक...

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       03-02-2024

पलट दल बदल, जनादेश बेदखल

वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था प्रजातांत्रिक आधारित है जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 29A के तहत किसी भी राजनैतिक दल के पंजीकरण का प्रावधान है। चुनाव आयोग पार्टी पंजीकरण के वक्त सर्व प्रथम ही पार्टी का नियम कानून, सिद्धांत, संविधान जिसके आधार पर...

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       08-11-2023

जहां जैसा माहौल, वहां वैसा ही बोल।

यह मिथ्या नहीं हो सकता की जहां जैसा माहौल, वहां वैसा बोल नहीं होगा..? यह सत्य है की बिहार के वायुमंडल में भोजपुरी अश्लील गाने और फिल्मों का घना कोहरा छाया हुआ है। हमने हाल ही में हिंदी, भोजपुरी सिनेजगत में व्याप्त अश्लीलता पर एक आलेख लिखा था जिसका...

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       18-09-2023

राजतंत्र, प्रजातंत्र से अलग सरकार चलाने का एक नया विकल्प संगणकतंत्र (तुलनात्मक विश्लेषण)

किसी भी देश को नियंत्रित, समृद्ध तथा संतुलन में रखने के लिए सरकार की महत्ती भूमिका होती है। किसी भी राष्ट्र संचालन के लिए सरकार का होना अत्यंत आवश्यक है। अभी तक किसी देश में सरकार चलाने के लिए हम सभी राजतंत्र और प्रजातंत्र के बारे में ही जानते आएं हैं...

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       26-06-2022

द्रौपदी मुर्मू: प्रधानमंत्री का मास्टर स्ट्रोक

राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगाए जा रहे तमाम कयासों के बीच बीजेपी ने आदिवासी नेता और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राजग गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित कर विपक्षी दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के...

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       26-06-2022

विरासत बचाने की जद्दोजहद

उससे शिवसेना का राजनीतिक किया जमींदोज होने की कगार पर पहुंच गया है। महाराष्ट्र से गुवाहाटी तक का राजनीतिक खेल दिलचस्प मोड़ में आ गया है। विधायकों की बगावत के बात शिवसेना के सांसद और पार्षद भी बगावत का तेवर अख्तियार कर उद्धव ठाकरे के सामने एक बड़ा राजनी...

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       26-06-2022

मातोश्री की दरकती दीवारें

राजनीति की बाजी कब किस ओर पलट जाए इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल कार्य है। सत्ता और सियासत की कोई निश्चित गति और दिशा निर्धारित नहीं होती । आज के समय के सत्ता सापेक्ष और निरपेक्ष दोनों तरफ अनुगामी है। आज के राजनेताओं में राजनीतिक महत्वाकांक्षा इस कदर

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       16-04-2022

चुनावी कटाक्ष

चुनावी सरगर्मियां चरम पर जब आने लगती हैं । कौन सगा हैं । हैं कौन ,विरोधी, ये स्वतः इनके कारनामे बतलाने लगते हैं । बतलाने लगते हैं ।। पूरे,वर्ष जो बैठे थे जनाब, काहिल बनकर, साधे चुप्पी । वो भी सीधे साधे,ईमानदार और साहसी प्रत्याशी की निष्ठा और प्र

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       18-03-2022

बहुजन समाज पार्टी: फर्श से अर्श की ओर

पंजाब के एक छोटे से गांव से निकल कर राजनीति पार्टी का गठन करने वाले माननीय कांशीराम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके बाद उनके सपनों की आधारशिला पर गठित राष्ट्रीय राजनैतिक दल, बहुजन समाज पार्टी का हश्र...

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       18-03-2022

शिक्षा संस्कार सियासत और धर्म

धर्मो रक्षति रक्षितः अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। महाभारत और मनुस्मृति का यह प्रेरक संस्कृत वाक्यांश‌ धर्म की रक्षा करने की प्रेरणा देता है। परन्तु वर्तमान समय में विभिन्न विचारधाराओं ने धर्म का वास्तविक अर्थ ही बदल कर...

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       11-03-2022

लोकतंत्र के मौन मार्गदर्शक

मनीष कुमार तिवारी,
विचारधारा को फैलने के लिए यह जरूरी है कि विचारों के भांग पूरे कुएं में घोल दिए जाएं...

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       10-03-2022

वोटर्स का चाबुक

वोटर्स का चाबुक चला हुए विरोधी ढ़ेर । यूपी में फिर कमल खिला...

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       10-03-2022

विधानसभा चुनाव: समाजवादी पार्टी के हार मायने

राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है लेकिन अगर ऊंट का रखवाला सही समय पर और सही ढंग से लगाम कस कर ऊंट पर अपनी पकड़ बनाए रखे...

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