प्रेम
यह पुस्तक में प्रेम के विभिन्न आयामो को दर्शाया गया है। प्रेम की उच्चतम और न्यूनतम अनुभूति इस पुस्तक के पढ़कर होगा। इसमें प्रेम क्या है, इसके कितने रुप हैं, इसकी अनुभूति कैसे होती है और कैसी होती है? इन सबके बारे में बताया गया है। प्रेम की उपमा और प्रेम जैसा कौन आदि विषयों की सहज ही अनुभूति कराने वाला यह गीत-काव्य स्वयं में अनूठा और अद्वितीय है।
लेखक | जुगल किशोर त्रिपाठी, झाँसी, उत्तर प्रदेश |
पता | ग्राम व पोस्ट- बम्हौरी ब्लाॅक- मऊरानीपुर जनपद- झाँसी (उ०प्र०) |
मोबाइल नंबर | 9935083872 |
ई-मेल | tripathijk02@gmail.com |
सह लेखक | नहीं |
प्रकार | ई-बुक/ई-पठन |
भाषा | हिन्दी |
कॉपीराइट | हाँ |
पठन आयु वर्ग | सब लोग |
कुल पृष्टों की संख्या | 38 |
ISBN(आईएसबीएन) | नहीं |
Publisher/प्रकाशक | दिव्य प्रेरक कहानियाँ, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र, जयहिंद तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार, भारत |
अन्य | यह गीत काव्य श्री कृष्ण की गीता की तरह ज्ञान, भक्ति,कर्म के साथ-साथ प्रेम की भी शिक्षा देता है। |
प्रकाशित तिथि | 04-01-23 |