श्रीमद्भगवद्गीता पद्यानुवाद

श्रीमद्भगवद्गीता पद्यानुवाद

- काव्यानुवाद
₹20/- ₹10/-
  • लेखक: जुगल किशोर त्रिपाठी, झाँसी, उत्तर प्रदेश
  • श्रेणी: NA

प्रस्तुत पुस्तक श्रीमद् भगवत् गीता भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का परिवर्ति...... Read more

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श्रीमद्भगवद्गीता पद्यानुवाद

प्रस्तुत पुस्तक श्रीमद् भगवत् गीता भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का परिवर्तित स्वरुप है, इसमें संस्कृत गीता का हिन्दी काव्य में बहुत ही सहज,सरल और रोचक भाषा में लय और ताल में अनुवाद किया गया है। इसमें कर्म, भक्ति और ज्ञान का संगम है। आज के समय में लोग जहाँ काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या आदि विकारों के वशीभूत होकर मानवीय मूल्यों को भूल चुके हैं, उनका कर्म और धर्म पतित हो रहा है। मनुष्यता में बने रहना मानवीयता है। मनुष्यता से ऊपर उठना दिव्य हो जाना है और मनुष्यता से नीचे चले जाना पतित हो जाना है, मनुष्य आप ही नरक का द्वार है और आप ही स्वर्ग का द्वार है और आप ही मोक्ष का द्वार है। मनुष्य योनि एक चौराहा है जहाँ जीवन की दिशा और दशा निर्धारित करने का भरपूर समय मिलता है फिर भी मनुष्य अपनी सद्गति, उन्नति न चाहकर गलत कार्यों में जीवन भर लगा रहता है ऐसे में गीता हमें विकारों से मुक्त कर सही मार्ग पर लाती है और हमारी सही दशा और दिशा निर्धारित करती है और हमें श्रेष्ठ मानव बनाती है। इस पुस्तक को ज्यों ही आप एक से अधिक बार पढेंगे, त्यों ही आपको इसमें छिपे नये अर्थ और नये रहस्यों की गहराई देखने को मिलेगी। इसका पाठ गीता पाठक प्रेमियों के लिए वरदान साबित होगा। यह एक चमत्कारी काव्यानुवाद है। इसमें गीता के मूल श्लोकों का मूल अर्थ लेने की पूरी कोशिश की गई है, फिर भी अगर कहीं कोई त्रुटि हो या मूल अर्थ कहीं छूट रहा हो तो कृपया पाठक विद्वत गण हमें अवगत करायें ताकि मैं उसे अगले संस्करण में सुधार सकूँ। जय श्री कृष्ण राधे।

लेखक जुगल किशोर त्रिपाठी, झाँसी, उत्तर प्रदेश
पता ग्राम व पोस्ट- बम्हौरी ब्लाॅक- मऊरानीपुर जनपद- झाँसी (उ०प्र०)
मोबाइल नंबर 9026691902
ई-मेल tripathijk02@gmail.com
सह लेखक नहीं
प्रकार ई-बुक/ई-पठन
भाषा हिन्दी
कॉपीराइट हाँ
पठन आयु वर्ग सब लोग
कुल पृष्टों की संख्या 130
ISBN(आईएसबीएन) नहीं
Publisher/प्रकाशक दिव्य प्रेरक कहानियाँ, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र, जयहिंद तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार, भारत
अन्य इस पुस्तक को लिखने में हमारे माता-पिता और गुरु तथा कुल पूज्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद रहा है, उन्होंने ही हमें यह ग्रंथ लिखने की प्रेरणा दी है। तभी यह कार्य सफल हुआ है। इसका संपादन कार्य पं० श्रीगदाधर त्रिपाठी, संस्कृत बिभाग प्रोफेसर श्री अग्रसेन महाविद्यालय मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०) ने किया है। यह तुलसी चेतना पत्रिका के संपादक भी हैं। उनकी पत्रिका में और हर माह दैनिक पत्र, राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका, नव उदय मासिक पत्रिका, अभ्युदय, काव्यांजलि और छंद महल पत्रिका तथा काशी कविता मंच वाराणसी, दैनिक सृजन से हर माह प्रकाशित सभी पुस्तकों में हमारी कविताएँ बराबर प्रकाशित हो रही है। इसके अलावा मैने नाटक, एकांकी नाटक, और लेख तथा उपन्यास भी लिखे हैं। बाल कहानी संग्रह और कविता संग्रह तथा कहानी और कविता संग्रह अलग-अलग पुस्तकें अभी अप्रकाशित हैं। मुझे आशा है कि ये किताबें भी शीघ्र ही पाठकों के समक्ष होगी। इस पुस्तक के प्रकाशन हेतु श्री अभिषेक कुमार, साहित्यकार का आभारी हूँ, जिन्होंने नि:शुल्क इसका प्रकाशन किया है। ं
प्रकाशित तिथि 11-01-23

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