जंगल की चीख पुकार Jungle Kee Cheekh Pukar
साधारण मानव को ईंधन एवं अन्य सामग्री निर्माण उपयोग हेतु लकड़ी चाहिए तो वह जंगल तब तक काटता रहेगा जब तक जंगल पूरी तरीके से समाप्त न हो जाये। परंतु ज्ञानी मानव विवेकी मानव प्रकृति में जंगल के महत्व के बारे में सोचता है, प्रकृति के संतुलन के विषय मे सोंचता है, वनों और ऋतुओं के संबंध के विषय मे सोंचता है, जंगल और उसमें निवास करने वाले जीव-जंतुओं के विषय मे सोचता है। जंगल की चीख पुकार कथा पूरा पढ़ने के उपरांत आपको साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठा असाधारण व्यक्तित्व की ओर अग्रसर करेगा तथा एक नवीन संचेतना गहराई, अनुभूति, संवेदना और अभूतपूर्व अवचेतन मन की मानवीय पक्ष का उभार जंगल तथा उसके जीव जंतु एवं पर्यावरण, जल, जमीन, एवं प्राकृत संतुलन के महत्व से आपको अवगत कराएगा। ये कथा पुरे पढने के उपरांत युवा अवस्था के विधार्थी एवं बाल्यकाल के विधार्थी में भी पर्यावरण सरंक्षण के प्रति निसंदेह मानसिक मनोवृति में बदलाव होगा तथा अपने पुरे जीवन काल में जल,जंगल,जमीन, हरियाली, जीव जंतु के प्रति उदार भावना विकसित होगी l
लेखक | Avishek Kumar |
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सह लेखक | NA |
प्रकार | |
भाषा | हिंदी (ईबुक) |
कॉपीराइट | copyrighted |
पठन आयु वर्ग | all |
कुल पृष्टों की संख्या | |
ISBN(आईएसबीएन) | 978-93-5619-968-2 |
Publisher/प्रकाशक | DPK साहित्य विधा पठन एवं ईप्रकाशन केंद्र, जयहिंद तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार, भारत |
अन्य | |
प्रकाशित तिथि | 27-02-22 |
औसत स्टार रेटिंग
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Raman Singh
14-08-21यह पुस्तक मे जल जंगल जमीन पर्यावरण,एवं जंगली जीव जन्तुओं के रहन सहन एवं उनकी चीख पुकार से संबंधीत घटनाएं को बड़ी वास्तविकता से उल्लेख किया गया है।हम सभी को जंगल एवं उसमे निवास करने वाले जीवो को संरक्षण के प्रती इमानदार होना चाहिये।
Dharmendra Kumar Gupta
07-11-21This story is very knowledgeable.
Sonu Singh
20-01-22बहुत ही ज्ञानवर्धक, बहुत ही प्रेरणीय पुस्तक, इस किताब के कहानी पर आधारित एनीमेशन फिल्म बनाने लायक है।