आधुनिक भारत के निर्मान में सद्गुरु कबीर जी के जोगदान (बज्जिका भाषा)
अत्यंत हर्ष का विषय है कि महंत श्री डॉ. नानक दास जी महाराज के मार्गदर्शन में डॉ. अभिषेक कुमार जी द्वारा लिखित पुस्तक \\\"आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान\\\" का मुझे बज्जिका भाषा में अनुवाद करने का अवसर मिला।
वज्जिका भाषा उत्तर बिहार के उस क्षेत्र की भाषा है जहाँ भगवान महावीर और बुद्ध की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि थी तथा प्रथम गणतंत्रात्मक वज्जिसंघ का राज्य था।
बज्जिका बिहार के तिरहुत प्रमंडल में बोली जाती है। अब बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है ।
धन्यवाद
उषा श्रीवास्तव
मुज्जफरपुर, बिहार
लेखक | पुस्तक- आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान |
पता | सोगरास्टेट,पक्कीसराय मुजफ्फरपुर-842001, बिहार |
मोबाइल नंबर | +91 93349 04712 |
ई-मेल | ushakiran010102@gmail.com |
सह लेखक | बज्जिका भाषा में अनुवाद- उषा श्रीवास्तव |
प्रकार | ई-बुक/ई-पठन |
भाषा | बज्जिका भाषा |
कॉपीराइट | हाँ |
पठन आयु वर्ग | सब लोग |
कुल पृष्टों की संख्या | 144 |
ISBN(आईएसबीएन) | NA |
Publisher/प्रकाशक | दिव्य प्रेरक कहानियाँ, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र, जयहिंद तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार, भारत |
अन्य | अप्पन मन के बात :---- विश्व बंदनीए संत सम्राट सद्गुरु कबीर साहेब के 505 मा महापरिनिर्वान महोत्सव के शुभ अओसर पर अखिल भारतीय कबीर मठ मगहर धाम गादीपति पीठाधीश्वर महंथ आचार्य श्री बिचार दास जी महाराज आ भारत भूसन जी के देख-रेख में सद्गुरु कबीर आश्रम सेबा संस्थान बरी खाटू नागौर राजस्थान के तरफ से 100 असाधारन उत्कृष्ट बेक्ति के जे अखंड भारत,समाजिक समरसता,सद्भभाओन आ जन कलेयानकारी,रास्ट्रकारी काम मे लागल हतन हूनका 'कबीर कोहिनूर अबार्ड ' से सम्मानित कएल जाए के हए ।ओई में हम्मर नाम पहिला लिस्ट के पहिला श्रेनी मे 54मा नंबर पर आएल हम धन्य हो गेली। ' आधुनिक भारत के निर्मान में सद्गुरु कबीर के जोगदान ' मूल लेखक अभिषेक कुमार जी हतन ऊ किताब के 26 भासा में अनुबाद हो रहल हए तऽ हम्मर मातृभासा बज्जिका हए हम्मरा बज्जिका भासा में अनुबाद करे के स्वीकृति मिलल एक्करा लेल हम डॉ. अभिषेक कुमार जी के प्रति आभार प्रकट करइत हती। कमिटी के सब गोटे के हम गोर लगइत हती आ बज्जिका भासा में अनुबाद करे में जे बिद्धान लोग हम्मरा सहजोग कएलन हूनका साथे अप्पन परिबार आ अमित जी के जिनकर मेहनत से किताब तैयार हो गेल जे तनि-मनि गरबरी होएत ओक्करा लेल माफी चाहइत हती । |
प्रकाशित तिथि | 11-12-23 |