दहेज कुप्रथा समाप्ति अभियान
वर्षो से दहेज कुप्रथा के बेड़ियों में जकड़ा समाज जिसके दुष्प्रभाव से समेकित विकास के चिन्मयी धारा से परिप्लावित नहीं हो रहा बल्कि आर्थिक तंगी, लाचारी के दल-दल में डूब रहा है। पुत्री जन्म से ही विवाह में दहेज देने के लिए धन संग्रहण और विवाहोंपरांत कई वर्ष तक कर्ज के दबाव में जीवन-यापन करना किसी भी परिवार के सम्पूर्ण उत्थान और मानवता के दृष्टिकोण से सुभ संकेत नहीं है। समाज से दहेज कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकना ही होगा। कई बहन, बहु, बेटियों ने दहेज शोषण के आग में जल के प्राणों की आहुति दी है। उनकी सहादत से हम सभी को सबक लेना होगा भविष्य में दहेज कुप्रथा के प्रति अभियान चला के रूढ़िवादी मानसिक मनोवृति में बदलाव ला कर आर्थिक समृद्धि के इस भयंकर सत्रु दहेज कुप्रथा के परंपरा को समूल नाश करना होगा। तभी समाज स्वच्छंद वातावरण में फल-फूल सकता है और आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक बदलाव की ओर अग्रसर हो सकता है।
जाने-माने प्रख्यात हिंदी साहित्यकार, एवं कलम के जादूगर श्री अभिषेक़ कुमार जी ने भी बिना दहेज लिए दहेजमुक्त विवाह कर के जनमानस को सकारात्मक संदेश दिया है तथा इनकी रचना "राँझे की जीत" दहेज कुप्रथा पर ही करारा प्रहार है और समाज में दहेज की मोह न रखते हुए आत्मनिर्भरता से धनार्जन की चाह को संदेशीत किया है।
इस अभियान से जुड़ कर दहेज न लेने का संकल्प लें और दहेजमुक्त अपने पुत्रों को मुफ्त में और कम से कम खर्चो में विवाह सम्पन कराएं और एक स्वस्थ मजबूत समाज बनाएं।
इस संदर्भ में "विचार भेजे" वाले सेक्शन में जाके आप अपनी विचार हम तक सीधा भेज सकते हैं।
साहित्यिक जन जागरूकता अभियान
योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण गीता के 10 वें अध्याय में कहें हैं- "मैं कवियों में शुक्राचार्य हूँ और लेखकों में वेदव्यास" अर्थात साहित्यकार ईश्वर का प्रतिनिधि होता है एवं समाज का दर्पण भी है।
वर्तमान परिवेश में साहित्यिक पुस्तक पठन एवं लेखन का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता चला जा रहा है जबकि पुस्तके मन के मैल को साफ कर निर्मल बना देती है तथा एक नवीन संचेतना, ऊर्जा, स्फूर्ति से लबालब कर देती है और भविष्य के लिए सजग एवं होंसियार भी कर देती है।
ऐसे में कलम के जादूगर एवं प्रख्यात हिंदी साहित्यकार श्री अभिषेक़ कुमार जी के द्वरा "साहित्यिक जन जागरूकता अभियान" चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत नए लेखकों को साहित्य लेखनी की ओर ध्यान आकर्षित कराया जा रहा है तथा पुराने लेखकों के लिए ईबुक डिजाइन, कॉपीराइट एवं निःशुल्क ईप्रकाशन का विकल्प मुहैया कराया जा रहा है।
अधिक से अधिक इस अभियान से जुड़ कर "साहित्यिक जन जागरूकता अभियान" को सफल बनायें तथा विचार भेजे वाले सेक्शन में जाके आप अपनी मंतव्य को हम तक सीधा भेज सकते है।
सत्य सनातन सांस्कृतिक कार्यक्रम अभियान
हमारे पूर्वजों को सांस्कृतिक कार्यक्रम अंतर्गत गीत, संगीत, गायन, वादन एवं नाट्य कला से गहरा तालुक था और भारत के प्रत्येक ग्राम, शहर में बिभिन्न प्रकार के कार्यक्रम अक्सर आयोजित हुआ करते थें परंतु वर्तमान समय में सांस्कृतिक कार्यक्रम विलुप्तता के कगार पर है अब कुछ ही स्थानों पर इनकी महत्वता मात्र सीमित रह गई है।
जिस प्रकार पेट की क्षुधा मिटाने एवं बदन की तंदुरुस्ती हेतु अच्छा पोषण युक्त भोजन की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार चिंता मुक्त, स्वस्थ्य, अवसादग्रस्त रहित मन, मस्तिष्क के लिए गीत, संगीत, गायन, वादन, नाट्यकला आवश्यक है। अपने पारंपरिक वाद्ययंत्रों जैसे कि हारमोनियम, तबला, नाल, नगाड़ा, बैंजु, सितार आदि से निकले मधुर ध्वनि मन मस्तिष्क को मदमस्त आनंदित कर देती है तथा कई मनोवैज्ञानिक बीमारियों को दूर भी भगाती है। साथ ही साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन एवं वाद्ययंत्रों के बजाने संबंधी हुनर से अच्छा-खासा धनार्जन भी होता है तथा ख्याति भी मिलती है।
अतः हम सभी लौट चले सत्य सनातन सांस्कृतिक कार्यक्रम की ओर तथा इस अभियान से जनमानस को जागरूक करें...
आप अपने राय "विचार भेजे" वाले सेक्शन में जाके भेज सकते हैं तथा इस अभियान से जुड़ने हेतु "हमसे जुड़े" वाले वाले सेक्शन में जाके हमसे सीधा जुड़ सकते हैं।
सत्य, सौहार्द, आपसी एकता, प्रेम एवं सहयोग अभियान
अभिषेक़ कुमार के विचारधाराओं के अनुसार एक दूसरे से क्रमबद्ध अग्रसरित करते हुए सत्य,सौहार्द, आपसी एकता, प्रेम, सहयोग के निम्न 10 चरण हैं:-
1. स्वयं पर विजय जैसे की मन, बुद्धि, आत्मा तीनो का सात्विकता ताल-मेल।
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2. अपने परिवार में आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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3. अपने पूरे कुल खानदान में आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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4. अपने प्राथमिक परिवेश/ग्राम/शहर/समाज में सभी वर्गों के साथ आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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5. तब फिर किसी विशेष समूह, वंचित वर्ग उस परिवेश, समाज में आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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6. अपने ब्लॉक में सभी वर्गों के साथ आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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7. अपने जिला में सभी वर्गों के साथ आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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8. अपने राज्य में सभी वर्गों के आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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9. अपने देश में सभी वर्गों के साथ आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
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10. पूरे विश्व में सभी वर्गों के साथ आपसी एकता, सत्य, सौहार्द, प्रेम, सहयोग।
अतः हम सब मिल कर सत्य, सौहार्द, आपसी एकता, प्रेम, भाईचारे पर आधारित एक ऐसे समाज/देश का निर्माण करें जिसमे कोई ऊंच-नीच, भेद-भाव न हो तथा व्यक्ति और समाज के समग्र विकास के पूरा अवसर हो।
इस अभियान से आप हमसे सीधा जुड़ सकते है "हमसे जुड़े" वाले सेक्शन में जाके एवं अपनी विचार हमें "विचार भेजें" वाले सेक्शन में जाके भेज सकते हैं।
बृद्ध माता-पिता आदर, सेवा, सम्मान अभियान
बृद्ध माँ पिता के आदर, सत्कार, सम्मान सभी मानवों का नैतिक अनिवार्य कर्तव्य है। माँ-पिता का आशीर्वाद संसार के किसी भी विपत्तियों को तत्क्षण भष्मीभूत कर सकते हैं। आशीर्वाद के प्रभाव से ही पूरा महाभारत जीत लिया गया था।
वर्तमान परिस्थितियों में बृद्ध मां-पिता बड़ा असहज महशुस कर रहे हैं। एक माता-पिता पाँच पुत्रो को सहूलियत से पालन-पोषण कर लेता है परंतु बृद्धा अवस्था में पाँच पुत्र मिलकर एक माता-पिता का देख-रेख नहीं कर पाते। कई माँ-पिता खिन्न होकर विवशता लाचारी का जीवन यापन कर रहें है कइयों को कोई सहारा न सूझ रहा तो बृद्धा आश्रम की ओर रुख कर रहे हैं।
माँ-पिता का आदर, सेवा, सम्मान के बिना किसी भी पुत्र का पूर्ण उन्नति, तरक्की किसी काल में संभव नहीं है।
महान कथाकार प्रेमचंद जी ने इन्हीं समस्याओं के मध्यनजर *बूढ़ी काकी* कहानी का लेखांकन किया था जो विचारणीय है।
अभिषेक़ कुमार द्वरा 2014 में ही जीविका बिहार सरकार में कैमूर जिला अंतर्गत कार्य के दौरान एक पाँच कमाऊ पुत्रो की माता-पिता के व्यथा को देखते हुए "बृद्ध माता-पिता आदर, सम्मान, सेवा अभियान" की सुरुआत कीया था जो अभी तक निरंतर सामाजिक सभाओं में माता-पिता के आदर, सम्मान, सेवा संबंधित प्रेरक वक्तव्य से जनमानस को जागृत करते आ रहे हैं।
आप अपना मंतव्य "विचार भेजें" वाले सेक्शन में जा के सीधा हमारे पास भेज सकते है तथा "हमसे जुड़े" वाले सेक्शन में जाके इस अभियान से जुड़ सकते हैं।
पशु-पक्षी, कीट-पतंग दयालुता/बचाओ अभियान
परिवेश के अनबोलते जीव-जंतु, पशु-पक्षी, किट-पतंग के कल्याण के प्रति चिंतन अभिषेक़ कुमार को मगध विश्वविद्यालय गया से ही उच्च शिक्षा ग्रहण के दौरान देखने को मिलती है। कई सामाजिक मंच एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जीव-जंतुओं के महत्व एवं प्रकृति संतुलन सहयोग में उनका योगदान के प्रति लोगो को जागरूक करते आये हैं, इस संदर्भ में इनकी रचना "कीट पतंगों के मौलिक अधिकार" बेमिसाल नमूना है।
इन जीव-जंतुओं, पशु-पक्षी, कीट-पतंगो के अकाल मृत्यु पर इनके परिवार में भी कोई रोने विलखने वाला है, उन्हें भी अपनो का बिछड़ने का दर्द-पीड़ा होता है। आखिर हम मनुष्य ही तो इस पृथ्वी के सबसे श्रेष्ठ और बुद्धिमान है इनकी संरक्षण का फिक्र हम नही करेंगे तो और कौन करेगा..? इन जीवों को प्रकृति स्वरूप में गुजर-बसर करने दें इनके अस्तित्व के साथ हम छेड़-छाड़ न करें तथा इन्हें तड़पाकर न हत्या करें यदि ऐसे होगा तो प्रकृति नाराज होगी और हमलोग को वो किसी न किसी तरीके से दण्ड देगी। कोरोना महामारी भी हमारे सामने एक उदाहरण है।
अतः जीव-जंतु, पशु-पक्षी, कीट-पतंग के प्रति हम दयालुता उदार भावना रखें। आप अपनी प्रतिक्रिया, मंतव्य "विचार भेजे" वाले सेक्शन में जा के भेज सकते हैं।
लौट चले वैदिक संस्कृति की ओर
कोरोना काल में प्रकृति के महत्व एवं उसके उत्पादों जड़ी-बूटियों के महिमा ने यह निष्कर्ष पर पहुँचाया की अब हम लौट चले अपने पुराने वैदिक संस्कृति की ओर.. अपने ज्ञान-विवेक को जागृत करें.. अभिषेक़ कुमार द्वरा वैदिक संस्कृति की ओर लौट चले अभियान की सुरुआत की गई जिसमें सामाजिक सभाओं एवं ऑनलाइन सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
चंद्रमा की चमक अभी फीकी नही हुई है उसमें वो गुण आज भी मौजूद है जिससे जड़ी-बूटियों को दिव्य लाभकारी गुण पुष्ट होती है। एक विशेष प्रयास हम पूरे भारत के समस्त नागरिक मिल के, स्वयं के प्रयास से वो बैध जी के पद्धति को फिर से पुनर्जीवित किया जाए, रोग व्याधि को अब स्वदेशी जड़ी बूटी पद्धति से ठीक किया जाए जिसके लिए यह बहुत जरूरी है कि जैविक पद्धति से कृषि हो रसायनों का उपयोग तनिक भी न हो तथा घर में एक देशी गाय हो।
आयुर्वेद पद्धति ग्राम-ग्राम तक सुलभ भी है और सस्ता भी तथा इससे बीमारियां भी सदा के लिए समाप्त हो जाती।
याद कीजिये वो गिलोय को पिछले साल के पहले बहुत लोग नही जानते थे, वो पेंडो पर खर पतवार के रूप पर निकलता था उसे कोई नही पूछता था...जब कोरोना महामारी आई और किसी बैध जी ने गिलोय की महिमा बताई तो लोग उसे ढूंढने लगे काढ़ा बनाने को.. तो क्या हम किसी विपत्ति काल मे ही हम अपनी स्वदेशी तकनीक को अपनाएंगे.. ऋषि मुनियों ने भारत वासियों को अमूल्य धरोहर/वस्तु प्रदान किये है जिसे हम सभी लोग को सहेज के रखना है, उसकी हिफाज़त करना है।
अतः हम लौट चले सत सनातन वैदिक संस्कृति की ओर...
स्वेच्छा से आप भी इस अभियान से जुड़ सकते है, "हमसे जुड़े" वाले सेक्शन में सीधा हमसे जुड़ सकते है तथा "विचार भेजे" वाले सेक्शन में आप अपनी प्रतिक्रिया, विचार भेज सकते हैं।
अश्लील गाने एवं फिल्में न देखने का अभियान
शास्त्रों में काम पूर्ति के नियम सिद्धांत एवं मर्यादा निर्धारित की गई है और इस नियम के प्रतिकूल काम की चाह एवं पूर्ति कामवासना तथा अनैतिकता की परिचायक है।
आज वर्तमान परिवेश में अश्लील गाने का प्रचलन बड़ा तेजी से बढ़ा है। आजकल अश्लील गाना गाने का होड़ लगा है और गायक इसी प्रकार के गाने से हिट हो रहे हैं। गायक तो दोषी है ही साथ-ही-साथ अश्लील गाने को सुनने वाले स्रोता भी गायक से ज्यादा दोषी है जो उसके गाने को सुन कर उसे पॉप्लर बना रहा है।
आज बहु बेटियाँ माताएं सार्वजनिक स्थल पर खुलेआम अश्लील गाने बजने एवं सुनने से शर्मिंदा एवं लाचार, बेबस है।
अश्लील गाने का समाज पर त्वरित प्रभाव तो नहीं होता परंतु दूरगामी प्रभाव बड़ा ही इसके भयानक है। अश्लील गाने का दृष्टिलोकन, कर्णकुटी से जब अंदर मन, मस्तिष्क में अश्लील दृश्य एवं शब्द पहुँचते है तो कामविकार उत्पन होता है जब काम की पूर्ति नही होती तो जघन्य अपराध का अमूमन किस्सा सुनने को मिलता है।
पूर्व समय मे रिश्तों का का बड़ा उच्च मर्यादा हुआ करता था परंतु अब वर्तमान में केवल अपना माँ-बेटा, अपना भाई-बहन का रिश्ता ही पाक-साफ बचा है इसके अलावा सारे रिश्ते-मर्यादा तार-तार होने की खबर आस-पास के परिवेश से ही मिलती है जिसका एक कारण अश्लील गाने सुनने, फिल्में देखने के वजह से भी है।
आज अश्लील गाना के गायक अश्लीलता भरे गाना गा के लोगो से आशीर्वाद मांगते है तो बड़ा हैरत होती है कि आखिर इनके माँ-पिता गुरु जानो ने कैसा संस्कार भरा है सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं है। प्रभु ने इतना सुंदर दुर्लभ मानव शरीर दिया है किसी अनैतिक कार्यो में लग के जीवन को दुरुपयोग करने के लिए नहीं। ये सरीर इस लिए मिली है कि आंखों से प्रभु के स्वरूप का दर्शन हो, कानो से प्रभु का गुणगान सुने, मन मस्तिष्क में प्रभु के लीलाओं का स्मरण हो तो फिर देखिए आनंद का पराबार, परमानंद की मस्ती अच्छे सराब के नशे एवं अश्लिलता के सेवन से करोड़ो गुना ज्यादा आनंददायक होगा।
भक्ति गाने, उपदेशक गाने, रोमांटिक गाने गाए जाए जिसमे अश्लील शब्दो, दृश्यों का तनिक भी स्थान न हो फिर देखिए जीवन के सार्थकता का आनंद।
मोहम्मद रफी साहब, किशोर कुमार, मुकेश, महेंद्र कपूर, मन्नाडे, हेमंत कुमार, लता मंगेशकर, आशा भोसले को कौन नहीं जानता इनकी कालजयी और सुद्ध सात्विक गाने सदा के लिए अमर हो गए।
अतः हम सभी मिल के अश्लील गाने को न सुने न देखें तथा न प्रोत्साहित करें चाहे वह किसी भी गायक का गाना हो।
आप अपनी प्रतिक्रिया, विचार धारा "विचार भेजे" सेक्शन में जाके सीधा भेज सकते है तथा इस अभियान से "हमसे जुड़े" वाले सेक्शन में जाके सीधा जुड़ सकते हैं।
वैदिक ऑक्सीजन अभियान
वायुमंडल में घटते ऑक्सीजन का स्तर एवं कोरोना महामारी में ऑक्सीजन के किल्लत के दृष्टिगत अभिषेक़ कुमार द्वरा उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के विकास खंड ठेकमा से दिनांक 08/05/2021 को सरायमोहन ग्राम से दुर्गा आजीविका स्वयं सहायता समूह के दीदियों एवं कृषि सखी संगीता दीदी के साथ मिलकर बृक्षा रोपण कर वैदिक ऑक्सीजन अभियान कि सुरुआत किया गया जिसके अंतर्गत अत्यधिक ऑक्सीजन प्रदायी बृक्ष (पीपल, बरगद एवं नीम) लगाना है।
साथ ही साथ विकास खण्ड ठेकमा के समस्त समूह दीदियों एवं देश, प्रदेश के जनसमुदायों से भी निवेदन किया गया है कि आनेवाला भविष्य को सुखदायी बनाने हेतु, वायुमंडल में ऑक्सीजन के मात्रा बढ़ाने हेतु एवं तृप्तिदायक छावं हेतु कम एक पीपल, बरगद या नीम का पेड़ अवश्य अनिवार्य रूप से लगाए तथा अपने पुत्र की भांति उसे प्रारंभिक अवस्था मे घेराबंदी कर देख-रेख करें ।
इच्छुक व्यक्ति पर्यावरण प्रेमी वैदिक ऑक्सीजन अभियान से जुड़ प्रकृति संतुलन में सहयोग कर सकते हैं। "हमसे जुड़े" वाले सेक्शन में आप हमसे सीधा जुड़ सकते है तथा अपनी विचारधारा हमें भेज सकते हैं।
गौ सेवा सम्मान अभियान
गौ सेवा के प्रति तत्परता अभिषेक़ कुमार के बाल्यकाल से ही देखने को मिलती है। 33 करोड़ देवी-देवताओं को अपने सरीर में धारण करने वाली गौ माता, जिसके पीठ पर हाँथ फेरने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। जिसके अमृत समान दूध तथा दुग्ध उत्पाद का इस पृथ्वी पर दूसरा कोई विकल्प न हो, जिसके गोबर, मूत्र से हानिकारक कीटाणुओं का नाश हो, जिससे जैविक खाद का निर्माण होता है फलस्वरूप कृषि उत्पादों से सरीर रोगमुक्त तंदुरुस्त हो वैसे गाय माता के महिमा कलिकाल में दिन-प्रतिदिन छिन्न-भिन्न होती चली जा रही है। ऐसे में अभिषेक़ कुमार द्वरा यह गौ सेवा सम्मान अभियान के तहत जनसमुदायों को गौ महिमा तथा इसके अनेक फायदे के संदर्भ में जागरूक करते रहते है।
गौ सेवा में आस्था रखने वाले धर्मानुरागी भाई-बहन इस अभियान से जुड़ कर प्रत्येक घरों में एक देशी गाय पालने हेतु जागृत करें तथा आप "हमसे जुड़े" वाले सेक्शन में सीधा हमसे जुड़/संपर्क कर सकते हैं।