दिव्य प्रेरक कहानियाँ

भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद्
Indian Language Coordination &
Help Council

दिनांक 31/12/2022 को भारत साहित्य रत्न व राष्ट्र लेखक उपाधि से अलंकृत डॉ.अभिषेक कुमार जी (जयहिन्द तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार) के द्वारा "भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद्" का गठन के आधिकारिक घोषणा की गई। यह "दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र न्यास" (ठेकमा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश) के बैनर तले पूरे भारतवर्ष में विभिन्न भाषाओं के साझा समन्वयन, साहित्यिक अनुवाद, सामाजिक सहयोग, उत्थान एवं धर्म संस्कृति, नैतिकता और मानवता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया।
भारत एकमात्र ऐसा देश है जो पूरे विश्व का दर्शन है और भिन्न-भिन्न सभ्यता संस्कृति बोली भाषा और विविधता होने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता अखंडता के सूत्र में अनादिकाल से बंधा हुआ था और आज भी है। इसीलिए यह देश विश्व गुरु के नाम से विख्यात हुआ। वर्तमान समय के कलुषित वातावरण में जाति-पाती, धर्म-सम्प्रदाय का ऊँच-नीच, भेद-भाव मानवता को शर्मसार कर रही है ऐसे में विद्वान वर्ग के जिम्मेदारियां अहम हो जाती है की अपने लेख, कविता, कहानी एवं साहित्य सृजन के माध्यम से समाज को सही आईना दिखाने का काम करें। क्यों कि ईश्वर द्वारा भेजे गए वे विशेष दूत हैं जैसा कि योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता के 10 वें अध्याय में कहे हैं। विश्व में भारत की सभ्यता संस्कृति एवं भाषा का इतिहास स्वर्णिम रहा है परंतु वर्तमान में भाषा और संस्कृति के वाहक लेखन और साहित्यकारिता के प्रति लोगों में रुचि दिन प्रतिदिन कम होती चली जा रही है। साहित्य से ही सामाजिक मनोवृत्ति में बदलाव एवं धर्म न्याय संगत विकास सम्भव है। पुस्तके मन में उठने वाले उमंगो को चाँद से स्पर्श करा सकती है। पुस्तक पठन लेखन से यदि नाता जोड़ा जाए तो निःसंदेह हृदयस्थ छुपे शत्रुओं का अंत होगा और व्यक्ति की उत्तम सोच से उसी के अनुरूप प्रकृति भी सृजन करेगी।
भारतीय संविधान ने मुख्य रूप से 22 भाषाओं को मान्यता दी है। देश के भीतर लगभग क्षेत्रीय स्तर पर 1000 से अधिक भाषाएँ बोली जाती है। जब हम एक दूसरे भाषा क्षेत्र वाले लोगो के बारे में जानेंगे समझेगें और उनकी मान्यताओं से कुछ अच्छी चीजें लेकर अपनी जीवन, समाज में ग्रहण करेंगे तो निःसंदेह वह मानवतावाद की सर्वोच्चता के शिखर होगा।
आज भारत वर्ष में एकता, अखण्डता, संप्रभुता, सौहार्द, प्रेम सगयोग के स्थापना हेतु भारत के विभिन्न भाषाओं के बीच समन्वयन स्थापित करना महत्वपूर्ण आयाम है। सभी भाषाओं के विद्वान तथा मातृ भाषा के अलावा अन्य भाषाओं के जानकार अनादि काल से इस वसुंधरा पर आते रहे हैं और अपने-अपने लेखन कौशल से राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव समाज को सींचते रहे हैं।
भारत में जितनी भाषाएँ हैं उनके विद्वानों और साहित्यकारों को "दिव्य प्रेरक कहानियाँ" भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद् के तहत जोड़ा जाएगा और एक दूसरे के सहयोग से भिन्न-भिन्न क्षेत्रो के सभ्यता संस्कृति रीति रिवाजों तथा प्रेरक कहानियों को एक दूसरे भाषाओं में अनुवाद कर देश के प्रत्येक पाठक वर्ग तक पहुंचाया जाएगा जिससे समाज एवं देश का भला हो तथा आधुनिक भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित हो। अनुवाद के क्षेत्र में कार्यरत विद्वानों के लिए सरकार के तरफ से कोई ठोस प्रोत्साहन एवं धनराशि मुहैया नहीं कराई जाती, हाँ साहित्य के क्षेत्र में सरकारी अनुदान की जो योजनाएं है उससे एक बड़ा लेखक वर्ग आज भी अछूता है। लेखको एवं साहित्य सृजन से संबंधित सरकारी योजनाएं एवं प्रोत्साहन का भरमार रहे जैसे अन्य विभागों कार्यक्रमों में देखने को मिलता है तो यह राष्ट्र कल्याणकारी निर्णय एवं ऐतिहासिक पहल होगा जिससे सरकार एवं लेखक दोनों को बल मिलेगा। आखिर सरकार के नीति निर्देशक तत्व पॉलिसी का जो विद्वान निर्माण करते हैं वह भी एक लेखक के ही श्रेणी में आते हैं। बहरहाल जब तक ऐसी कोई ठोस कार्यनीति जब तक सरकार की तरफ से पेशकश नहीं कि जाती हम आपसी सहयोग से भी इस क्षेत्र के समस्या को हल कर सकते हैं। इस उद्देश्य से वर्ष 2021 के जून माह में साहित्यकार डॉ. अभिषेक कुमार जी द्वारा दिव्य प्रेरक कहानियाँ साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र का स्थापना किया गया था जिसका मकसद भारी-भरकम पुस्तक निर्माण,प्रिंट, डिजाइन, मुद्रण और प्रकाशन से संबंधित अत्यधिक खर्चे को शून्य करना था। जो वास्तव में यह सुलभ भी हो पाया इस वैश्विक वैचारिक चेतना मंच के माध्यम से हज़ारो लेखक अपनी रचनाओं कृतियों को शून्य बजट में निःशुल्क विश्व स्तर पर ISBN के साथ प्रकशित करा रहे हैं जो आधिकारिक वेबसाइट www.dpkavishek.in पर स्पष्ट दृष्टिगोचर है।
"दिव्य प्रेरक कहानियाँ" भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद का उद्देश्य सम्पूर्ण भारतवर्ष के भाषा विशेषज्ञ, अनुवादक व लेखको को ऑनलाइन पटल पर निबंधित कर मानवता के कल्याणार्थ एवं वैकल्पिक रोजगार के साधन का विकल्प बनाना है। साहित्यकार डॉ. अभिषेक कुमार के मुख्य प्रबंध निर्देशन, दायित्व में प्रत्येक भाषा क्षेत्र के क्षेत्रीय भाषा निदेशक बनाया जाएगा जो अपने-अपने भाषा क्षेत्र के विद्वानों, लेखको, अनुवादको एवं पाठक वर्ग के जोड़ने का कार्य करेंगे।


सारांश:
भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद् का गठन भारत की विभिन्न भाषाओं को एक मंच पर लाने और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। इस परिषद् का मुख्य लक्ष्य है:

  • भाषाओं का समन्वय: भारत की विविध भाषाओं को एक साथ लाकर उनके बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
  • साहित्यिक अनुवाद: विभिन्न भाषाओं में लिखे गए साहित्य का अनुवाद कर, उन्हें देश के सभी लोगों तक पहुंचाना।
  • सामाजिक सहयोग: समाज में सद्भावना और एकता बढ़ाने के लिए साहित्य का उपयोग करना।
  • नैतिक मूल्यों का प्रचार: साहित्य के माध्यम से धर्म, संस्कृति और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना।

परिषद् के मुख्य कार्य:

  • साहित्यकारों को जोड़ना: देश के विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को एक मंच पर लाना।
  • साहित्य का प्रकाशन: साहित्यिक कार्यों का प्रकाशन और वितरण करना।
  • अनुवाद कार्य: विभिन्न भारतीय भाषाओं में साहित्य का अनुवाद करना और अनुवादकों को रोजगार सृजन करना।
  • साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन: साहित्यिक कार्यक्रमों, गोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन करना।

परिषद् का महत्व:

  • भारतीय संस्कृति का संरक्षण: भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना।
  • राष्ट्रीय एकता: विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना।
  • साहित्य का विकास: भारतीय साहित्य को विश्व पटल पर लाना।
  • सामाजिक परिवर्तन: साहित्य के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना।

यह परिषद्, दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र न्यास के बैनर तले स्थापित की गई है और इसका उद्देश्य मानवता के कल्याण के लिए साहित्य का उपयोग करना है।
संक्षेप में- भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद् भारत की साहित्यिक दुनिया में एक महत्वपूर्ण पहल है जो देश की विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को एक मंच पर लाने और प्रकाशित करने का प्रयास कर रही है।

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