परिचय
मानवता अनुसंधान केंद्र के बारे में
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दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र देश/दुनियाँ का पहली एक ऐसी शोध संस्थान है जो अनोखी और नई पहल के साथ-साथ मानवों में मानवता और नैतिकता के उच्च आदर्श बिंदु प्रतिस्थापित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्व शांति, तरक्की, उन्नति हेतु लोगों के मानशिकता को काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट, प्रपंच आदि शत्रुओं से मुक्त कराते हुए जीवन को बदल देगा और सत्य, प्रेम,अहिंसा, सद्भावना, सहयोग एवं मानवीय एकता बंधुत्व भाईचारे के मीठे रस से सराबोर कर देगा तथा आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक केंद्र बिंदु बनेगा।
ISO 21001:2018 प्रमाणित दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र को भारतीय न्यास अधिनियम कानून- 1882 के तहत उत्तर प्रदेश राज्य के आजमगढ़ जिले अंतर्गत उपनिबंधक कार्यालय लालगंज में दिनांक- 03/05/2023 को पंजीकृत कराया गया। जिसका पंजीयन संख्या- 04/36/2023 है। इस अनुसंधान केंद्र का मुख्य उद्देश्य मानवता संबंधित सैंकड़ो विषय पर व्यवहारिक अनुसंधान कराने एवं मानवता के उच्च मूल्यों को प्रस्थापित कराने से है।
ज्ञात हो कि दिव्य प्रेरक कहानियाँ ब्राण्ड नाम के बैनर तले साहित्य विद्या पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र दो उद्धेस्यों के लेकर इसकी नींव 01/06/2021 को पड़ी थी। बाद में इसमें लेखकों के लेखनी को सहजतापूर्ण एवं मामूली संसाधन एवं परिश्रम के माध्यम से राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने एवं उनकी ख्याति दिलाने हेतु सैंकड़ो विषय पर निःशुल्क ब्लॉग पोस्ट लेखन, पठन एवं ISBN (अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या), पुस्तक डिजाइन, मुद्रण, कॉपीराइट जैसी और अन्य सेवाओं का शुभारंभ किया गया।
इस न्यास/मानवता अनुसंधान केंद्र के संस्थापक अध्यक्ष/मुख्य प्रबंध निदेशक/मुख्य ट्रस्टी राष्ट्र लेखक, भारत साहित्य रत्न उपाधि से अलंकृत श्री डॉ. अभिषेक कुमार हैं। सचिव- श्रीमती मंजू कश्यप एवं कोषाध्यक्ष- श्री अनिल हैं। इस अनुसंधान केंद्र के संरक्षक/कुलपति भारत भूषण महंत श्री डॉ. नानकदास जी महाराज (पीठाधीश्वर महंत सतगुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान, बड़ी खाटू, नागौर, राजस्थान) हैं।
समयोपरांत इस शोध संस्थान को भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग, RRRNA और विद्यांजलि उच्चतर शिक्षा कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय, नीति आयोग, 80G, 12A आयकर विभाग में विभिन्न संबंधित मान्यताओं के लिए पंजीकृत कराया गया।
संस्थापक अध्यक्ष/मुख्य प्रबंध निदेशक का जीवन परिचय
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युवा, जुनूनी और उदियमान साहित्यकार : डॉ. अभिषेक कुमार
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री डॉ. अभिषेक कुमार हिंदी साहित्य जगत में आज नव नक्षत्र की तरह उदियमान हैं। जिस जुनून और दृढ़ संकल्प के साथ वे साहित्य सृजन में अहर्निश जूटे हुए हैं, इससे इस बात का अंदाजा सहज रूप से लगाया जा सकता है कि उनका भविष्य उज्ज्वल, प्रेरक और सुखद रहने वाला है। बुलंदी को चूमने की चाहत रखने वाले डॉ. अभिषेक कुमार कम उम्र में ही आधे दर्जन से अधिक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। जो शख्स संघर्ष और कड़ी मेहनत की उपज हो, धीर-वीर हो, जुनून जिसका साथी हो और आत्म जिसका मार्गदर्शक तथा जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं और पाने के लिए सारा संसार हो, उसे आकाश को बाहों में भरने से कौन रोक सकता है! इसी श्रेणी में आते हैं, श्री डॉ. अभिषेक कुमार।
◆जीवन परिचय
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साहित्यकार श्री डॉ. अभिषेक़ कुमार जी का जन्म बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के ग्रामीण अंचल के रसूलपुर ग्राम (ननिहाल) में दिनांक 05/03/1990 को हुआ था। साधारण परिवार में जन्मे डॉ. अभिषेक़ कुमार का बाल्यकाल अभावग्रस्त तथा खींचा-तान में बीता। आवश्यक सामग्रियों के लिए हर वक्त जूझना पड़ा। यहीं से इनके अंदर एक जुझारूपन पैदा हुआ, जिससे कार्य -सामर्थ्य में काफी इजाफा हुआ। इनके पिता जी का नाम श्री बसंत कुमार सिंह, माता जी का नाम श्रीमती रीना सिंह है। इनके दादा जी का नाम स्व. श्री सत्यदेव सिंह था जो बड़े ही सत्यवादी,धर्मपरायण और उदार व्यक्ति थे। दादा जी की गोद मे बचपन बीतने के कारण बालक अभिषेक के मन पर अध्यात्म एवं सत्यनिष्ठता का गहरा प्रभाव पड़ा।
डॉ. अभिषेक़ कुमार की प्रारंभिक शिक्षा उनके ननिहाल स्थित पैदायसी ग्राम में हुई। उन्होंने अपना घर नबीनगर प्रखंड के ग्राम जयहिन्द तेंदुआ स्थित हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा सन 2005 में उत्तीर्ण किया। तत्पश्चात उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु पटना चले गए। वहां उन्होंने इंटरमीडिएट विज्ञान की परीक्षा सन 2007 में अनुतीर्ण हो गए कारण की हिंदी परिवेश में रहन सहन एवं मैट्रिक तक कि पढ़ाई हिंदी माध्यम से ही करने के कारण अंग्रेजी पर समझ विकसित नहीं हो पाई और पटना जैसे शहरों में उस समय कॉलेज कोचिंग में अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़ाई होती थी। चूंकि अनुतीर्ण होने के पश्चात अंग्रेजी भाषा पर समझ बना कर सन 2008 की परीक्षा में वे साधारण अंको से पास कियें।
तदुपरांत मगध विश्वविद्यालय से हिंदी माध्यम में स्नातक फिर इसके बाद अर्थशास्त्र में सन 2013 में प्रथम श्रेणी से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। तभी 2014 में जीविकोपार्जन हेतु बिहार सरकार के जीविका परियोजना में सामुदायिक समन्वयक के पद के लिए परीक्षा पास होकर चयनित हो गए और कैमूर जिले में योगदान किया। वहां उन्होंने एक से बढ़ कर एक आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक विकास से जुड़े कार्य किये।
नौकरी करते हुए उन्होंने शिक्षा का दामन कभी न छोड़ा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय से ग्राम्य विकास एवं हिंदी में स्नाकोत्तर उपाधि, स्वास्थ्य एवं पोषण में डिप्लोमा, पर्यावरण सतत विकास एवं पशु कल्याण में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र से MBA की उपाधि प्राप्त की।
कभी न हार मानने वाले प्रतिक्षण उत्साहित और उमंगित रहने वाले डॉ. अभिषेक अपने उदार जज्बा और लगनशीलता के दम पर 27 अक्टूबर 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार अंतर्गत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में वाराणसी जिले के चिरईगाँव विकास खण्ड अंतर्गत योगदान लिए परंतु अनुपयुक्त कार्यालय वातावरण एवं अमानवीय दबाव के कारण और नई भर्ती में पुनः उत्तर प्रदेश सरकार अंतर्गत ही राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन आजमगढ़ में अवसर मिलने के कारण वाराणसी में त्यागपत्र देकर दिनांक- 16/12/2018 को आजमगढ़ जिले के ललगंज ब्लॉक में ब्लॉक मिशन प्रबंधक-कौशल एवं रोजगार/नॉन फार्म के पद पर पदस्थापित हुए। तब से इसी पद पर फूलपुर, ठेकमा ब्लॉक सहित लालगंज में कार्यरत हैं। इसी दरमियान रोहतास जिला निवासी और बिहार सरकार में औरंगाबाद जिले अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका सुश्री दिव्या भारती के साथ पवित्र विवाह के बंधन में बंध गए। इस विवाह की खासियत थी कि यह दहेज मुक्त था।
वर्ष 2010 में महज 20 साल के उम्र में श्री डॉ. अभिषेक कुमार जी ने अपने गुरु से सारस्वत्य मंत्र का दीक्षा भी लिए तब से आज तक निरंतर प्रतिदिन माता सरस्वती का मंत्र जाप, पूजा, अर्चना करते है जिसके प्रभाव से इनकी बुद्धिमत्ता, कार्यशैली, ओज-तेज का क्या कहना..! इनकी लेखन एवं क्रियाकलाप असाधारण दिव्य है जो साधारण नजरों से आसानी से नहीं समझी जा सकती।
बाल्य काल से ही सत्य मार्ग एवं अच्छाइयों के ग्रहण करने एवं सीखने की ललक होने के कारण आजमगढ़ के तत्कालीन NRLM के डिप्टी कमिश्नर श्री B. K. मोहन जी के कुशल नेतृत्व, मार्गदर्शन, सानिध्य में कार्य करके अभिषेक़ कुमार के व्यक्तित्व में और निखार आया। श्री B.K. मोहन जी से प्राप्त आध्यात्मिक, सांसारिक ज्ञान से उन्होंने कालजयी मुकाम को हासिल किया।
सामाजिक, आर्थिक, बौद्धिक परिवेश से जुड़ी समस्याओं एवं उसके निराकरण पर अभिषेक निरंतर प्रयासरत रहते हैं। वैसे तो इनके अंदर एक उच्च कोटि लेखनी शक्ति एवं एक अच्छे वक्ता का गुण बाल्यकाल से ही मौजूद है। कई मंचो का उन्होंने साझा भी किया है। आजमगढ़ से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में कार्य करते हुए जनसमुदायों में गरीबी, लाचारी को अत्यंत करीब से देखने के कारण एवं कोरोना काल में पर्यावरण संतुलन के अनुभव में प्राकृत पर्यावरण से जुड़ी रचनाओं ने उन्हें एक रचनाकार/साहित्यकार में तब्दील कर दिया।
श्री अभिषेक़ कुमार एक प्राकृत रस के रचनाकार हैं तथा इनकी लेखनी में सामाजिक पहलुओं मानव कल्याण/बदलाव, प्राकृत, पर्यावरण संबंधी तथ्यों का विस्तार से वर्णन मिलता है।साथ ही जीव- जंतु, पशु-पक्षी कल्याण संबंधी बातें बढ़-चढ़ कर देखने को मिलता है।
रचनाधर्मियों के साथ साथ समाज-हित में दिव्य प्रेरक कहानियाँ (साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र) की स्थापना कर साहित्यकार श्री अभिषेक कुमार ने ऐतिहासिक कार्य किया है। इस साहित्यिक सामाजिक वेबसाइट के माध्यम से कमजोर अर्थव्यवस्था को दृष्टि में रखकर वे निचले तबके के साहित्यकारों की लेखनी को विश्व स्तर पर नि:शुल्क मंच प्रदान करते हैं। जहाँ एक ओर उनकी रचनाएँ बड़ी सहूलियत से समाज के सामने व्यापक स्तर पर ई-प्रकशित हो रही हैं, वहीं ऑनलाइन पुस्तक विक्रय से रायल्टी स्वरुप धन भी प्राप्त हो रहा है।
साहित्यकार श्री डॉ. अभिषेक कुमार जी का उद्देश्य समाज के अनाथ, उपेक्षित, मुख्य धारा से पिछड़े हुए अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़े एवं सामान्य, निर्बल वर्ग के सभी नागरिकों को आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक, शैक्षणिक, चारित्रिक एवं अध्यात्मिक उत्थान हेतु कार्य करना है। समाज में व्याप्त छुआछुत एवं उंच-नीच का भेद-भाव मिटाकर सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास करना एवं समाज के वयोवृद्ध, परित्यक्ता एवं अनाथ मातृशक्ति के सहायतार्थ उपयोगी एवं कल्याणकारी कार्य करने के लिय सदैव तत्पर/प्रतिबद्ध रहना है। साहित्यकार श्री अभिषेक कुमार कहते हैं कि वे समाज के मुख्य धारा से पिछड़े हुए लोगों में परिवर्तन के वर्तमान प्रणाली से दुखी हैं। वे वर्तमान विकास के मूल-भूत ढांचा के पक्षधर हैं, किन्तु उनका आधिपत्य स्वीकार नहीं करते। उनका कहना है कि उनकीआँखों में गरीबो के शोषण दुःख-दर्द, कुपोषण बेरोजगारी, अशिक्षा, के उत्थान हेतु स्वर्णिम सपने हैं। स्वप्नों को सच करने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं। संघर्ष का निश्चय लेकर चले हैं, विजय का विश्वास है।
◆साहित्यिक रचना
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★पथरीले रास्ते, सौभाग्य, कीट पतंगों के मौलिक अधिकार, आत्मनिर्भरता की सौगात, अवसर, उमंग की हिलोरे, विवशता, जंगल की चीख पुकार, राँझे की जीत, सहनशील नदियाँ, अव्यक्त, अंग प्रत्यंग की रात्रिकालीन सभा, थ्योरी ऑफ़ ओल्ड एज, अयोध्या के श्री राम, पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय, आधुनिक भारत निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान आदि।
◆अवार्ड/सम्मान
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1. साहित्य एवं समाज सेवा के लिए उत्तर प्रदेश के संसदीय क्षेत्र लालगंज के पूर्व सांसद एवं प्रदेश उपाध्यक्षा माननीय श्री मती नीलम सोनकर जी द्वरा प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित l (वर्ष-2021)
2. साहित्य एवं समाज सेवा के लिए उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के श्रम प्रकोष्ट के संयोजक माननीय श्री रामाकांत मिश्रा जी द्वरा प्रशस्तिपत्र सम्मानित। (वर्ष-2021)
3. पूर्वांचल समाचार द्वारा कलम के जादूगर उपाधि से अलंकृत/सम्मानित। (वर्ष-2021)
4. हरियाणा के रजिस्टर्ड संस्था द्वरा साहित्य एवं समाज कार्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत माता अभिनन्दन सम्मान से सम्मानित l (वर्ष-2021)
5. उत्कृष्ट साहित्यिक रचना एवं सामाजिक सेवाओं तथा पर्यावरण एवं मानवीय जनसन्देश के दृष्टिगत राँची लिटरेचर फेस्टिवल 2021 में अंतर्राष्ट्रीय समाज सेवा अवार्ड-2021 से सम्मानित। (वर्ष-2021)
6. सत गुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान बड़ी खाटू राजस्थान एवं टी बोर्ड इंडिया भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में नई दिल्ली स्थित संविधान क्लब में आयोजित कार्यक्रम में विश्व संत कबीर अवार्ड-2022 से सम्मानित। (वर्ष-2022)
7. अयोध्या में आयोजित श्री राम अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मोहोत्स्व में उत्कृष्ट लेखनी के लिए भारत साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित। (वर्ष-2022)
8. भोपाल साहित्य एवं कवि सम्मलेन में साहित्य साधक सम्मान से सम्मानित। (वर्ष-2022)
9. 05 फ़रवरी 2023 को नई दिल्ली स्थित डॉ. अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय हॉल में आयोजित कबीर कोहिनूर सम्मान समारोह में उत्कृष्ट ऐतिहासिक लेखन हेतु कबीर कोहिनूर सम्मान, राष्ट्र लेखक की उपाधि व पिन्यूमा विश्वविद्यालय जिम्बाब्वे के द्वारा साहित्य में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।
10. 14 अप्रैल 2023 को कबीर आश्रम सेवा संस्थान, बड़ी खाटू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के तरनऊ ग्राम में आयोजित कार्यक्रम में विश्व कीर्ति बाबा साहेब आम्बेडकर सम्मान से सम्मानित किया गया।
बहरहाल श्री डॉ. अभिषेक कुमार जी रात में सपना नहीं,दिन में सपना देखते हैं और वह भी जगकर। सचमुच वे एक कर्मयोगी की तरह अहर्निश विभिन्न क्षेत्रों में मुकाम को हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। मेरी शुभकामना उनके साथ है।
अंगद किशोर
शिक्षक एवं इतिहासकार, अध्यक्ष सोन घाटी पुरातत्व विभाग
जपला, पलामू, झारखण्ड