राष्ट्रोदय लघुकथा

Image
ब्लॉग प्रेषक: डाॅ0 श्याम लाल गौड.
पद/पेशा: शिक्षक
प्रेषण दिनांक: 22-08-2022
उम्र: 40
पता: डाॅ0 श्याम लाल गौड़ स0 अ0नव्यव्याकरण श्री जगद्देव सिंह संस्कृत महाविद्यालय सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार पोस्ट ऑफिस साधु बेला जनपद हरिद्वार उत्तराखंड पिन कोड 24 9410
मोबाइल नंबर: 9837165447

राष्ट्रोदय लघुकथा

राष्ट्रोदय (लघुकथा)

    बहुत लंबे समय से एक विषय मन में कौंध रहा है, और  जानने की जीजिविषा मन में प्रकट होती जा रही है। समझ में नहीं आता । उत्तर कब, कहां, कैसे,और किलस से मिले।
प्रश्न है राष्ट्रोदय कैसे हो?
इस प्रश्न को लेकर के मैं बहुत से प्रबुद्धजनों के बीच में गया, जिसमें-
1-राजनीतिककार,
2-राष्ट्रचिंतक,
3-अध्यापक,
4-इतिहासवेत्ता,
5-धर्मवेत्ता,
6-घुमक्कड़ शास्त्र में अभिरुचि रखने वाले रसिक जनों से मिला और मैंने इन सब से उत्तर पाने का भरसक प्रयास किया।
प्रश्न वही है राष्ट्रोदय कैसे हो?
उत्तर लेने के लिए मैं सर्वप्रथम
1-राजनीतिककार के पास गया मैंने कहा, आप बताइए कि राष्ट्रोदय कैसे हो? उनका उत्तर इस प्रकार था-
स्वस्थ राजनीति, उत्तम चिंतन, अच्छे नेतृत्व की भावना को आत्मसात करने से राष्ट्रोदय संभव है।
इस संदर्भ में -

2-राष्ट्रचिंतक महोदय का उत्तर इस प्रकार प्राप्त हुआ राष्ट्रचिंतक महोदय का विचार है, कि राष्ट्रोदय -अपनी संस्कृति का आचरण करने, अपने संस्कारों को जीवित रखने और मर्यादित जीवन जीने से संभव है।

3-अध्यापक महोदय ने इस प्रश्न के उत्तर में अपना पक्ष इस प्रकार प्रस्तुत किया- अध्यापक महोदय का मानना है कि राष्ट्रोदय के लिए हमको, राष्ट्र को समझना होगा, उसकी परिस्थिति को समझना होगा और राष्ट्र  निर्माण की प्रक्रिया को समझना होगा, उसकी संचालन प्रक्रिया, राष्ट्र के प्रति दायित्व बोध, राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य और राष्ट्र की प्रगति में हमारा सहयोग, इन सब बातों को हमें समझना होगा, तब हम समझ पाएंगे कि राष्ट्रोदय क्या है?

4-इतिहासवेत्ता महोदय का इस प्रश्न के उत्तर के प्रति अपना एक भिन्न दृष्टिकोण जो यहां प्रस्तुत है- महोदय का मानना है कि मैंने कहीं राष्ट्रों को बनते और बिगड़ते हुए देखा और सुना हुआ है, मैं यह नहीं जानता हूं कि आखिर इसके पीछे ऐसे कौन सी ताकत होती है, जो बड़े-बड़े राष्ट्रों को और उसकी संस्कृति कला, उसके भूगोल को क्षणभर में धूल में मिला देते हैं, इन्हीं सब विषयों के प्रति सजीवता, सतर्कता, सजगता, कर्तव्यपरायणता आदि महत्वपूर्ण बिंदु राष्ट्रोदय में अत्यंत सहयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

5-धर्मवेत्ता महाराज जी के सम्मुख जब मैं अपनी इस जिजीविषा को लेकर के प्रस्तुत हुआ तो वे मेरी भावनाओं को समझ चुके थे, उन्होंने एक हल्की सी मुस्कान के साथ मेरे प्रश्न का उत्तर देना प्रारंभ किया- कहा कि राष्ट्र किसी मूर्त रूप का नाम नहीं है, राष्ट्र मूर्त रूप के प्रति व्यक्ति-व्यक्ति में अमूर्त रूप से जो भावनाएं सन्निहित होती हैं, उसी से राष्ट्र बनता है  उदाहरण के तौर पर देखें- हमारे सम्मुख राष्ट्र मूर्त रूप में उपस्थित है, परंतु यदि अगर उसके साथ हमारी भावनाएं तादात्म्य रूप से नहीं जुड़ी हैं, तो हम यह कर सकते हैं ,न हम राष्ट्र में है और न ही हममें  राष्ट्र है, ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रोदय की कल्पना व्यर्थ होगी, इसलिए मूर्त राष्ट्र में अमूर्त भावना से हमें उसके साथ अन्योन्याश्रय भावना से जुड़े रहना होगा तभी सच्चा, अच्छा, उत्तम, श्रेष्ठ, अनुकरणीय, वंदनीय,  अभिनंदनीय और पूजनीय राष्ट्रोदय संभव है।
इसी प्रश्न का उत्तर-
6-घुमक्कड़ शास्त्र के रसिक महोदय ने इस प्रकार दिया- भाई देखो मैं देश,विदेश, स्वदेश, सब जगह घूमता रहता हूं, और देखता रहता हूं, कि कौन से राष्ट्र की संस्कृति कितने लंबे समय से जीवित है, कौन अपनी भाषा, वेशभूषा, रहन- सहन, खान-पान के प्रति सजग है , कौन अपने लिए संघर्षरत है, किस में लड़ने की जिजीविषा है,कौन अपने अधिकारों के लिए लड़ना जानता है, वही जीयेगा,वही रहेगा और उसी का राष्ट्रोदय होगा बाकी शेष सब धूल में मिल जाएंगे।
मैंने राष्ट्रोदय के संदर्भ में जिन महानुभावों से प्रश्न किए , उनके उत्तर से मुझे बड़ी संतुष्टि प्राप्त हुई, मुझे लगता है, अभी हमारी स्थिति बहुत अच्छी है, अभी हमारी उम्मीद समाप्त नहीं हुई, अभी हमारे विचार मरे नहीं, अभी हम दिशा और दशा दोनों बदलने की हिम्मत रखते हैं, हमारा ध्येय शुद्ध साफ और स्वच्छ है, हम लड़ना भी जानते हैं, हमें अधिकार देना और लेना दोनों आते हैं, हम शस्त्र और शास्त्र दोनों जानते हैं, हम आशावादी हैं इसीलिए हमें लोग सनातनी कहते हैं, ऐसी स्थिति में मुझे केवल आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि,जिस देश में-

राष्ट्रचिंतक,राष्ट्रविचारक अध्यापक, धर्मवेत्ता और घुमक्कड़ शास्त्र के विशेषज्ञों के विचार एक जैसे हो तो उस राष्ट्र का राष्ट्रोदय था, है, और रहेगा।।


डाॅ0 श्याम लाल गौड़

स0 अ0नव्यव्याकरण श्री जगद्देव सिंह संस्कृत महाविद्यालय सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार पोस्ट ऑफिस साधु बेला जनपद हरिद्वार उत्तराखंड पिन कोड 24 9410

Share It:
शेयर
श्रेणी:
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।

नए ब्लॉग पोस्ट