लघुकथा-वो डरावना बंगला

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ब्लॉग प्रेषक: शमा परवीन
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 16-10-2022
उम्र: **
पता: बहराइच, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: **********

लघुकथा-वो डरावना बंगला

वो डरावना बंगला 

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    किराये पर घर नही मिल रहा है सारे पैसे ट्रेन मे चोरी हो गये भूख भी लगी है जेब मे एक  फूटी कौड़ी भी नही है। 

पास में ही सुनसान स्टेशन था बिना देरी किये मैं वहां से भाग खड़ा हुआ।

कितने अरमान से गाँव से शहर आया था  मेहनत से काम करूँगा और खूब पैसा कमाउगा पर ईश्वर ने ना जाने मेरे भाग मे क्या  लिखा है। 

रात भी काफी हो गयी है मै यही फुटपाथ पर सो जाता हूँ।

पुलिस ➡️उठ यहा क्यू सोया है रोड पर मरना है क्या। 

दारोगा जी माफ़ कर दीजिये मै फुटपाथ समझ कर सो गया।

पुलिस➡️नाम क्या है तुम्हारा?

  मेरा नाम सोनू है।

पुलिस-कहा से आया है और क्यू?

सोनू ➡️गाँव से आया हूँ काम की तलाश मे। 

रात हो गयी है मेरे सारे पैसे ट्रेन मे खो गये है ।

काम मिलते ही किराये पर रूम ले लूँगा। 

पुलिस➡️ठीक है भले लगते हो इसलिए छोड़ रहा हूँ पर रोड किनारे मत लेटो हटो यहाँ से।

सोनू ➡️ठीक है जा रहा हूँ। 

चलते - चलते बहुत दूर आ गया हूँ । थोड़ा बैठ जाता हूँ सामने होटल है चाय पी लेता हूँ। पर पैसे भी नही है।

क्या हुआ भाई  चाय चाहिये क्या?

सोनू-  हाँ चाहिये तो पर पैसे नही है।

तब काहे खड़े हो यहाँ आगे जाओ। 

आगे पहुँचते ही आवाज आई यहा आओ ।

जी आपने बुलाया ।

हाँ मैंने बुलाया ।

तुम गाँव से आये हो क्या?

हाँ।

कब? 

आज ही।

किस लिये?

काम की तलाश मे।

ये शहर है यहाँ काम मिलना बहुत मुश्किल है।

पर अगर तुम चाहो तो  तुम मेरे होटल पर काम कर सकते हो ।

सुबह 10 से रात  12 बजे तक ये होटल खुलता है। 

मेरे साथ जो काम करता था वो अपने गाँव चला गया है जब तक वो नही आता तुम यहां काम  करो।

भोजन पानी रहने का इन्तेजाम सब कर दूँगा। 

पास मे ही मालिक का बंगला है मै वहाँ ही रहता हूँ

 बंगला की देखभाल करता  हूँ मालिक विदेश मे है।

हाँ और एक बात अगर अच्छा काम रहा तुम्हारा तो रोज का सौ रूपया दूँगा वरना एक फूटी कौड़ी भी नही। 

बोलो मंजूर?

लो चाय पियो फिर बताओ हाँ या ना?

सोनू➡️ बहुत बहुत धन्यवाद भाई आप का एहसान रहेगा हमपर ।

मै मन लगा कर काम करूँगा।

सेठ➡️ आज ग्राहक अधिक थे इसलिए समय लग गया वरना अब तक होटल बन्द कर देता हूँ। 

तुम होटल बन्द करने मे मदद करो ताकि हम लोग समय पर बगले पर पहुंच  सके।

सोनू ➡️ठीक है सेठ जी। 

सेठ➡️अरे अरे मैं कोई सेठ नही हूँ मै भी एक गरीब इंसान हूँ। 

बस यही होटल है वो भी किराये का है मेरा नाम मोनू है

तुम मुझे मोनू भाई कह सकते हो।

ठीक है मोनू भाई। 

चलो अब बगले पर चलते है ।

अधिक दूर नही है बस आ गया ।

गेट खोलते ही अजीब सी आवाज़ सुनाई दी ।

ये आवाज कैसी है।

कुछ नही सोनू। 

बस तुम नये हो इसलिए लग रही होगी। 

धीरे - धीरे आदत हो जाएगी।

आखिर हम दोनो गाँव से है हमे इन आवाजों से डरना नही चाहिए। 

सोनू ➡️ बहुत बड़ा बंगला है।

कैसे रहते थे आप अकेले

मोनू ➡️और कही ठिकाना भी तो नही मिला।

हर जगह पैसे से घर मिलता है।

और यहाँ मुफ्त मे बंगला। 

अब सुबह पूछना जो पूछना होगा अब सो जाओ चाहे जिस कमरे मे,या यही पर कही ।

सोनू ➡️ये आवाज कैसी कौन हस रहा है  मोनू भाई उठो कोई हस रहा है ।

मोनू ➡️ क्या हुआ क्यू चिल्ला रहे हो ?

सोनू  ➡️कोई हस रहा है और कभी रो रहा है।

मोनू ➡️ये भूत  बंगला है चुपचाप सो जाओ अगर

 डरोगे तो डर लगेगा वरना कुछ नही होगा। 

(सोनू -डर कर भाग जाता है और ठान लेता है वो "डरावना बंगला है " अब वहाँ नही जाना है।)

शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश

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