
ब्लॉग प्रेषक: | अमृता कुमारी विश्वकर्मा |
पद/पेशा: | साहित्यकार |
प्रेषण दिनांक: | 30-10-2022 |
उम्र: | 24 |
पता: | सिलाव, नालंदा |
मोबाइल नंबर: | *********** |
प्रकृति का पर्व :छठ महापर्व
प्रकृति का पर्व: छठ महापर्व
छठ चार दिन का पर्व होता है जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी से आरम्भ हो कर सप्तमी तक चलती है | छठ मात्र एक पर्व नहीं है | इसमें भावना है, आस्था है, विश्वास है, श्रद्धा है | इस महापर्व में व्रती 48 घंटे निर्जला उपवास करते हैं |
छठ पर्व पूर्ण रूप से प्रकृति के महत्ता को बताता है | नहाय - खाय के दिन कद्दू भात मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनाया जाता है | खरना के दिन भी मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनाया जाता है | इस प्रसाद के स्वाद के आगे महंगे से महंगा भोजन भी फीका लगता है | मिट्टी के बने दीप, चौमुखी व पंचमुखी दीयों का प्रयोग किया जाता है | बांस से बने सूप, दौरा, टोकरी, मउनी, और कंद - मूल व फल जैसे ईख, सेब, केला, संतरा, गागर नींबू, नारियल, अनानास, शकरकंद, शरीफा, हल्दी, सुथनी, पानी फल सिंघाड़ा, कमरख, सेंधा नमक, कद्दू, कोहड़ा,चना, चावल, घी, ठेकुआ इत्यादि सामग्री प्रकृति से जोड़ती है |
इस पर्व में स्वछता, शुद्धता और पवित्रता का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है | और सभी लोग इसका पालन भी करते हैं | बिना मिलावट किये हुए सामग्री मिलती है | सफाई का भी पूर्ण ध्यान रखा जाता है जिसका अनुसरण सभी लोग करते हैं यहाँ तक कि जिस मार्ग से व्रती अर्घ्य देने जाते हैं उस मार्ग को गली, मोहल्ले और दुकानों वाले सभी उस मार्ग को साफ करते हैं कि व्रती गंदे मार्ग से होकर किस प्रकार प्रस्थान करेंगी
इस पर्व की सबसे बड़ी बात यें है कि ये एकता भी इसमें देखने को मिलता है | इस व्रत को रखने वाले के परिवार वाले चाहे जहाँ भी रहे अपने घर वापस अवश्य आते हैं | खरना के दिन गली की स्त्रियाँ आकर छठ के गीत गाती हैं, प्रसाद बनाती है, ठेकुआ छानती है | पुरुष वर्ग भी एक - दूसरे का सहयोग करते हैं | जब अर्घ्य देने जाते हैं तो बिना किसी भेदभाव के सभी एक कतार में खड़े हो कर सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं | और ये बताते हैं कि सूर्य भगवान सबके लिए समान रूप से रौशनी प्रदान करते हैं | चाहे वो राजा हो या रंक, ऊँची जाति का हो या नीची जाति का, काला हो या गोरा, स्त्री हो या पुरुष | सभी पर उनकी कृपा समान रहती है | कोई भेदभाव नहीं होता है | यही एक ऐसा त्यौहार है जिसमे हम किसी भगवान को साक्षात् दर्शन कर उन्हें पूजते हैं | इसीलिए इसे महापर्व कहा जाता है |
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