आंगन में बिछी..चारपाई!🍁

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ब्लॉग प्रेषक: हरजीत सिंह मेहरा
पद/पेशा: ऑटो चालक..
प्रेषण दिनांक: 18-12-2022
उम्र: 53 वर्ष
पता: मकान नंबर 179,ज्योति मॉडल स्कूल वाली गली,गगनदीप कॉलोनी,भट्टियां बेट,लुधियाना,पंजाब (भारत)।पिन नंबर 141 008.
मोबाइल नंबर: 8528996698.

आंगन में बिछी..चारपाई!🍁

⏳आंगन में बिछी चारपाई..⏳


अगर आपकी उम्र पचास की है..

       तो आप बहुत नसीबवान हो,

"आंगन में बिछी उस चारपाई" की..

     आप आख़री चश्मदीद पहचान हो।

उस चारपाई पे दादाजी को आपने

     आंगन में हुक्का भरते देखा होगा,

हुक्के की चिलम से उठता धुंआ..

      और गुड़गुड़ाहट को सुना होगा!

नीम की छांव में बैठ बाबूजी को..

       चारपाई पे सुस्ताते हुए देखा होगा,

घूंघट गिरा अम्मा को भी उस पे..

      चावल के दाने बींनते हुए देखा होगा।

बचपन की शरारत में आपने कभी

     चारपाई पे मस्ती में,उछला तो होगा..

भाई-बहन की नोकझोंक में आपका,

     चारपाई से पांव,फिसला तो होगा!

चारपाई पर बैठ दादीजी से कभी,

    परियों की कहानी तो सुनी होगी..

खुले आसमान के नीचे चारपाई पे

     तारों की गिनती तो..गिनी होगी!

दिए की लौ में चारपाई पर बैठ..

    कभी परिवार संग खाना तो खाया होगा,

ग्रीष्म में चारपाई पे आंगन में बैठ,

    ठंडी पुरवाईं का आनंद तो उठाया होगा!

सीधे-साधे लोग थे वह सब...

    पवित्र था सबका खान- परिधान,

घर आए कुटुंब का तब सब

    चारपाई पे बैठा करते थे सम्मान।


"आंगन में बिछी चारपाई"उस वक्त,

    हमारे जीवन से जुड़ी एक काया थी,

राजा-रंक,अमीर-गरीब का तब..

      ये एक अनमोल सरमाया थी।

परिवर्तन के महाप्रलय में बहकर..

    इस की गरिमां कहीं पे खो गई,

दिखती नहीं उजालों में अब तो..

     ये अंधेरों में छुप कर.. सो गई!

गुज़र गया जो... दौर अब वो..

      मुड़ के कभी वापस ना आएगा,

आज की पीढ़ी चारपाई की अहमियत,

       कभी... समझ ही ना पाएगा.।

अमित स्मृति है अपने जीवन की,

       जीते जी कभी मिट न पाएगी..

"आंगन में बिछी चारपाई " की..

        याद ... सदा ही आएगी..!!

           ⌛⌛⌛⌛⌛


                  हरजीत सिंह मेहरा

                   लुधियाना पंजाब।

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