| ब्लॉग प्रेषक: | चंदन कुमार |
| पद/पेशा: | प्रशिक्षण पदाधिकारी |
| प्रेषण दिनांक: | 18-01-2023 |
| उम्र: | 34 |
| पता: | सासाराम बिहार |
| मोबाइल नंबर: | 8709444600 |
*अखबार वाला*
*अखबार वाला*
सुबह सुबह जब टहलने निकला तो एक आवाज कान में आई कि आज की ताज़ा खबर। ले लो सर,
एक छोटे बच्चे को देखा और दिमाग में कुछ बातें दौड़ने लगी ।
अखबार में नाम छपवाने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते हैं। अगर आप कुछ अच्छा करें और आपका नाम अखबार में नहीं आया तो बहुत से लोगों को तो पता ही नहीं चलता है।
मैं भी सोचने लगा चलो उससे बात करते हैं, जनवरी का पहला दिन था, छुट्टी का दिन था मुझे भी कार्यालय नहीं जाना था। मैं उससे पूछने लगा बाबू तुम किस क्लास में पढ़ते हो, वह बोला कि दस में। बात के क्रम में वह बोला कि पिताजी अखबार बेचते हैं मगर तीन दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं है, लगता है ज्यादा ठंड लग गयी है।
अभी तो अखबार भी बेचना है, घर के लिए कुछ समान भी लेना है और दवा भी लेनी है। साथ में जो दस साल का बच्चा था, जो लगातार आज की ताज़ा खबर बोल रहा था, वो थोड़ा मायूस और दुखी दिख रहा था। कुछ देर के बाद उसने बड़े भाई से कहा कि आज सब बड़े लोग तो नया साल मना लेंगे,मगर अपना क्या होगा? यही कबीर की उक्ति आती है:-
*कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर ।*
*जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर ।*
उसके चेहरे पर विस्मय की रेखाएं स्पष्ट देखी जा सकती थीं।
मैं ने उससे कहा कि घबराओ नहीं मैं एक अच्छे डॉक्टर को जानता हूं, वो तुम्हारे पिताजी को ठीक कर देंगे। मेरा इतना कहना था कि दोनों भाई रोने लगें और कहने लगे कि सर पिछले पांच दिनों से यहीं सुन रहा हूं मां के चक्कर में पिता जी बीमार हुए और अब लगता है कि हम दोनों भी बीमार हो जाएंगे।
फिर उनदोनों को समझाते हुए मैंने उन्हें नास्ता करवाया और अपने घर ले आया। मेरे बड़े भाई डाक्टर है, वो उनका इलाज किए , उनके मां और पिताजी जी दोनों ठीक हो गए। उस दौरान उन दोनों से बात हुई तब वे बोले, इस संचार के साधन से क्या फायदा। हमारे घर की स्थिति इतनी खराब थी, हम सारी दुनिया को सबकी खबर बताते हैं मगर हमारी खबर कौन लेता है।
अखबार वाला सबकी खबर तो लाता है मगर अखबार वालों की खबर कौन लेता है। हम तरह तरह की योजनाएं लाते हैं क्या वह सही व्यक्ति तक पहुंच पाती है।
अखबार जितना रंगीन होता है क्या दुनिया भी उतनी रंगीन हो रही है। हमें ये समझना होगा कि ग़रीबी का स्तर कैसा है, उसको दूर कैसे करेंगे। ये समस्या केवल अखबार वालों का ही नहीं हमारे समाज में बहुत सारे लोग हैं जिनके साथ ऐसी समस्याएं हैं। हम सभी को एकजुट होकर ऐसी समस्याओं को दूर करना होगा। समाज को अगर समृद्ध और खुशहाल बनाना है तो शिक्षा के माध्यम से ग़रीबी पर प्रहार करके उसे दूर करना है ।
इसमें गरीबों को बौद्धिक, आर्थिक और सामाजिक सहायता आवश्यक है तभी संभव है। कबीर ने भी इस स्थिति पर लोगों को बहुत पहले ही कहा था:-
*धर्म किये धन ना घटे, नदी न घट्ट नीर।*
*अपनी आखों देखिले, यों कथि कहहिं कबीर।*
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