
ब्लॉग प्रेषक: | Divyanjli verma |
पद/पेशा: | लेखिका |
प्रेषण दिनांक: | 05-06-2023 |
उम्र: | 27 |
पता: | अयोध्या |
मोबाइल नंबर: | 8417935207 |
क्यों जरूरत पडी विश्व पर्यावरण दिवस की ?
ये वो युग था जब औद्योगिकरण और शहरीकरण बहुत तेजी से होने लगा था। मशीनों के निर्माण ने काम को आसान बना दिया था। जिस वज़ह से कच्चे माल के लिए जंगलों को तेजी से काटा जा रहा था। नगरों को बसाने के लिए भी जंगलों को काट कर वहां ऊँची ऊँची बिल्डिंग बनाई जा रही थी। पैसे की लालच मे इंसान अंधा हो चुका था। उसे बस जंगलों से अपना फायदा ही नजर आ रहा था। फर्निचर बनाने के लिए लकड़ी, घर बनाने के लिए लकडी, पेपर बनाने के लिए लकड़ी, जलाने की लकड़ी आदि सब जंगलों से ही मिल रहीं थीं। जिस वज़ह से बहुत अधिक मात्रा मे जंगल खत्म हो गए थे। लेकिन उस समय इस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया था और ना ही सोचा था कि जंगलों के न होने से कितना नुकसान हो सकता है।
इसका पता तो तब चला जब दक्षिणी गोलार्ध मे ओजोन परत में छेद हुआ। और वहां से सूरज की अल्ट्रा violet किरनें धरती तक आने लगी ।और उनके संपर्क मे आने वाला हर इंसान और हर जीव मरने लगे। जब इसके पीछे की वज़ह जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि धरती पर बढ़ी हुई हानिकारक गैस के कारण ओजोन परत को हानि पहुची है। लेकिन ये हानिकारक गैसे आई कहा से?
ये हानिकारक गैसे औद्योगिक फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएँ से, मोटर करो से निकलने वाले धुएँ से आई। और भारी मात्रा मे जंगलों के कट जाने के कारण इन गैसों का शुद्धीकरण नहीं हो पा रहा था जिससे वायुमण्डल मे इनकी मात्रा बढ़ने लगी। और नतीज़ा ये हुआ कि धरती पर भी गर्मी बढ़ने लगी, ओजोन परत को नुकसान पहुचने लगा, ग्लेसियर पिघलने लगे, पेड़ों की कमी की वज़ह से बारिश के बादल बिना बारिश किए ही उड़ जाते। जिससे धरातलिय जल मे कमी आई, धरती पर सूखा बढ़ गया। जीव, जन्तु, पक्षी हर कोई भूख, प्यास और गर्मी से तड़पने लगा।
तब जाके कहीं मेहसूस किया गया कि इंसानो ने अपने स्वार्थ के लिए किस तरह प्रकृति का दोहन किया है। और उसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। अगर इस पर जल्दी ही कुछ ना किया गया तो ये धरती रहने योग्य नहीं बचेगी।
उस दिन ये निर्णय लिया गया कि अब से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाएगा। और लोगों मे धरती के प्रति प्रेम जगाया जाएगा। अधिक से अधिक पेड़ लगाया जाएगा। और पेड़ों के कटने से हो रहे नुकसान के बारे मे बताया जाएगा। जिससे लोग पेड़ों को काटने की जगह अधिक पेड़ लगाये। और धरती को मरने से बचाए। तब से अब तक धरती पर बहुत से जंगलों को पुनः स्थापित कर दिया गया है। और अब हर बुढ़ा ,बच्चा और जवान जागरूक है ।और 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस बड़ी धूमधाम से मानता है। जैसे ये कोई त्योहार हो।
आज वहीं दिन है। जब हर स्कूल, कॉलेज और संस्थान मे विश्व पर्यावरण दिवस को एक त्योहार के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है ।और हर व्यक्ती अपने हिस्से का एक पेड़ लगा रहा है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए कहीं कवि सम्मेलन हो रहे है तो कहीं लेखन या कला प्रतियोगिता। स्कूल मे बच्चो को भी अब सिखाया जाने लगा है कि अपने जन्मदिन के दिन एक पेड़ जरूर लगाओ। कुल मिला के इन सबका तात्पर्य इतना ही है की पर्यावरण के प्रति जागरूक होके हर व्यक्ती अपनी धरती को बचाने के लिये एक पेड़ लगाये। और बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने में सहयोग दे।
स्वरचित लेख
Divyanjli Verma
अयोध्या, उत्तर प्रदेश
श्रेणी:
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।
नए ब्लॉग पोस्ट
26-06-2025
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं। पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग कॉपी पैंट में लुका के तुरंत सिनेमा हॉल भागे।
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में कर्म आधारित जन्म जीवन का अतीत भविष्य।
अक्सर गाँव में मैंने अपने बाल्य काल में देखा है अनुभव किया है वास्तविकता का अंवेषण किया है जिसके परिणाम मैंने पाया कि ज़ब कोई जातक (बच्चा ) जन्म लेता है तो सबसे पहले माता को उसके स्वर सुनने कि जिज्ञासा होती है नवजात ज़ब रुदन करता है तो माँ के साथ परिजन..
Read More05-06-2025
सनातन धर्म में धर्म कर्म के आधर पर अतीत एवं भविष्य काया कर्म का ज्ञान।
सनातन धर्म के मूल सिद्धांतो में धर्म क़ो जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण मानते हुए मान दंड एवं नियमों क़ो ख्याखित करते हुए स्पष्ट किया गया है जिसके अनुसार...
Read More17-05-2025
हाय हाय बिजली
हाय हाय बिजली।। सर ई का है ? दिखाई नहीं दे रहा है, ई पसीना है, ई पसीना घबराहट में नहीं निकला है, न ही किसी के डर से निकला है, फौलाद वाला शरबत पीने से भी नहीं निकला है, ई निकला है गर्मी से, और अगर बिजली रहती तो ई देह में ही सुख जाता लेकिन पंद्रह से बीस
Read More11-05-2025
आदर्श व्यक्तित्व के धनी नरसिंह बहादुर चंद।
युग मे समाज समय काल कि गति के अनुसार चलती रहती है पीछे मुड़ कर नहीं देखती है और नित्य निरंतर चलती जाती है साथ ही साथ अपने अतीत के प्रमाण प्रसंग परिणाम क़ो व्यख्या निष्कर्ष एवं प्रेरणा हेतु छोड़ती जाती...
Read More23-04-2025
घटते जीवांश से खेतों को खतरा।
जैसे कि कृषि विकास दर में स्थिरता की खबरें आ रहीं हैं। यह चिन्ता का विषय है। तमाम आधुनिक तकनीक व उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद यह स्थिरता विज्ञान जगत को नये सिरे से सोचने के लिए बाध्य कर रही है। अभी तक हमारी नीतियां तेज गति से बढ़ती जनसंख्या को भोजन देने..
Read More