
ब्लॉग प्रेषक: | पीयूष गोयल |
पद/पेशा: | सर्विस |
प्रेषण दिनांक: | 13-07-2023 |
उम्र: | ५७ |
पता: | Gr Noida |
मोबाइल नंबर: | 9654271007 |
साक्षात्कार —- पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
साक्षात्कार डॉ पीयूष गोयल
यह साक्षात्कार बिंदेश कुमार झा द्वारा लिया गया है। जो मूल रूप से एक लेखक हैं। यह वर्ष 2023 में जुलाई माह में मौखिक रूप से लिया गया है। जिसे लिखित रूप में प्रस्तुत किया गया है।
आप अपने बारे में बताइए।
मैं नाम पीयूष गोयल है । मैं 56 वर्षीय सच्चा हिंदुस्तानी और पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर हूं। 27 साल से अधिक बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने का अनुभव है । दर्पण छवि में लिखना मेरी रुचि है । और भगवान की कृपा से मैं 17 पुस्तकें हाथ से लिख चुका हूं। एक प्रेरक वक्ता और एक कार्टूनिस्ट हूं। क्रिकेट की अंपायरिंग भी करता हूं। गणित में कुछ शोधपत्र भी प्रकाशित हुए हैं । मेरी तीन पुस्तकें संग्रहालय में रखी गई है।
दर्पण छवि के बारे में बताइए।
जिस प्रकार से एंबुलेंस के ऊपर लिखे गए अक्षरों को पढ़ने के लिए हमें किसी शीशे की आवश्यकता होती है । उसी प्रकार से मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तकों को पढ़ने के लिए आपको शीशे की आवश्यकता पड़ेगी। इसी कला को दर्पण छवि कहते हैं। मैंने पुस्तकों को 2 भाषाओं हिंदी और इंग्लिश में लिखा है। सुई से ,मेहंदी से ,अल्युमिनियम शीट पर ,कार्बन पेपर पर आदि तरीकों से लिखा है
आपको अपने इस हुनर की पहचान कब हुई?
मेरे जीवन में ऐसी बहुत सी घटनाएं हुई, जिससे मैं प्रेरित हुआ हूं। मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं। मैं अपने माता-पिता के साथ रहता हूं। मेरे परिवार ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है । उसके पश्चात में इसका अभ्यास करने लगा । भगवान की कृपा से इसमें सफल भी हुआ हूं। मेरी बहुत से मित्रों ने मेरी इस कला को देखा तो मुझे बहुत कुछ करने के लिए प्रोत्साहित किए।
गणित और साहित्य को अपने साथ लेकर चलते हैं कैसे?
मेरा मानना है कि हमेशा ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे लोग अचंभित हो। गणित मेरा पहला प्रेम है, क्रिकेट मेरा दूसरा प्रेम है ,साहित्य और मेरा पेशा मेरा तीसरा प्रेम है, प्रेरक वक्ता रहना चौथा प्रेम है, दर्पण छवि में लिखना मेरा पांचवा प्रेम है। गणित में मुझे रुचि बचपन से ही था । आगे चलकर मुझे साहित्य से ऐसा प्रेम हुआ जिसका परिणाम मेरी बहुत ही पुस्तकें हैं। मेरे पास एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी है ,इसमें बहुत सी किताबें हैं । गणित में जो मुझे प्रेम था उसका परिणाम यह हुआ कि मैंने बहुत से शोधपत्र भी लिखें।
आपने बहुत सी किताबें लिखी हैं उनमें से आपकी प्रिय कौन सी है?
मुझे मेरी लिखी सभी किताबे बहुत प्रिय हैं । उसमें से भी दर्पण छवि में लिखी भगवत गीता, जिसके माध्यम से मुझे मंच की प्राप्ति हुई । मेरी सुई से लिखी हुई किताब जिससे मुझे गूगल पर पहचान मिली। दर्पण छवि में लिखी मेरी अन्य पुस्तकें जैसे गीतांजलि ,मधुशाला मेरी प्रिय है।
आप नए लेखकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
मैं लेखकों को संदेश देना चाहूंगा कि वह कभी हार ना माने। पूरी दुनिया नतीजों को सलाम करती है। परंतु प्रयास करने वाले को कभी हार नहीं मानना चाहिए। जीवन में तीन चीजें हमेशा याद रखनी चाहिए। नीति, नियम, और नियत। अगर हमें कार्य करने की नियत है । तो सफलता के दरवाजे हमारे सामने हैं। अगर व्यक्ति प्रयास करेगा तो सफलता उसे हर हाल में प्राप्त होगी। मैंने मेरी पुस्तक" सोचना तो पड़ेगा ही" मैं बहुत ही प्रेरणादायक विचारों की प्रस्तुति की है।
अगर आपको अगले जन्म पीयूष गोयल बनने का अवसर मिले तो क्या बनना चाहेंगे?
निश्चित रूप से मैं पीयूष गोयल बनना चाहूंगा । लेकिन मुझे मौका मिला एक जिंदगी का तो वृंदावन में जन्म लेना चाहूंगा । मैं एक वट वृक्ष बन के जो हजारों करोड़ों लोगों को छाया दे और साथ ही फल दे।
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