
ब्लॉग प्रेषक: | अमृता विश्वकर्मा |
पद/पेशा: | साहित्यकार |
प्रेषण दिनांक: | 06-10-2023 |
उम्र: | 24 |
पता: | सिलाओ,nalanda |
मोबाइल नंबर: | *********** |
वस्त्रहरण
वस्त्रहरण
कहा जाता है कि महाभारत द्रौपदी के कारण हुआ। यदि द्रौपदी दुर्योधन को अंधा नहीं कहती तो ये युद्ध नहीं होता। द्रौपदी का वस्त्रहरण भरी सभा में नहीं होता। किन्तु सत्य तो ये है कि उस समय द्रौपदी का वस्त्रहरण नहीं हुआ। वस्त्रहरण हुआ तो उन पुरुषों का जो एक असहाय स्त्री की विवशता का लाभ उठा कर उसका अपमान किया। वस्त्रहरण हुआ उनके पांचों पतियों का जो एक पत्नी की लज्जा नहीं बचा सके । युधिष्ठिर जैसे महान योद्धा निष्ठुर हो गए।भीम की ताकत भी कुछ नहीं कर सकी। अर्जुन ने भी कुछ नहीं किया। नकुल और सहदेव के विवेक और कौशल भी धरे के धरे रह गए। गुरु द्रोण का ज्ञान भी अज्ञान बन कर रह गया। भीष्म पितामह को अजेय होने का वरदान था।एक स्त्री से वो कभी नहीं लड़े फिर भी वे द्रौपदी के समक्ष अप्रत्यक्ष रुप से पराजित हो गए। उन्होंने ये प्रतिज्ञा की थी कि वो पूरी उम्र अविवाहित रहेंगे काश उन्होंने ये प्रण लिया होता कि उचित अनुचित को लेकर सही राह बताएंगे। धृतराष्ट्र अंधे थे लेकिन बहरे नहीं थे फिर भी वे द्रौपदी के करुण पुकार को नहीं सुन पाए थे। गांधारी स्वयं एक स्त्री हो कर भी एक स्त्री की पीड़ा को नहीं समझ सकी। मात्र एक विकर्ण ही ऐसा व्यक्ति था जो इस वस्त्रहरण के विरुद्ध था। इतने बड़े योद्धा और पराक्रमी लोगों के होते हुए भी भरी सभा में द्रोपदी का वस्त्रहरण होता है तो वो वस्त्रहरण द्रौपदी का नहीं अपितु उन सभी व्यक्तियों का हुआ जो उस सभा में उपस्थित था।
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