भ्रष्टाचार खत्म करने वाली मशीन की परिकल्पना...

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ब्लॉग प्रेषक: डॉ. अभिषेक कुमार
पद/पेशा: साहित्यकार, प्रकृति प्रेमी व विचारक
प्रेषण दिनांक: 18-05-2024
उम्र: 34
पता: ठेकमा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9472351693

भ्रष्टाचार खत्म करने वाली मशीन की परिकल्पना...

भ्रष्टाचार खत्म करने वाली मशीन की परिकल्पना
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 ©आलेख: डॉ. अभिषेक कुमार 
       भ्रष्टाचार विरोधी या भ्रष्टाचार खत्म करने की मशीन यह सुनने में अजीब और अटपटा जरूर लग रहा होगा परंतु भविष्य में एक दिन भ्रष्टाचार को नियंत्रण करने के लिए एक विशेष मशीन की जरूरत पड़ेगी। क्यों की जैसे जैसे कलयुग का समय बीतता जायेगा भ्रष्टाचार, पाप, अनाचार, अनीति और अधर्म का बोल बाला बढ़ता ही चला जायेगा ऐसा उल्लेख शास्त्र वेद पुराणों में भी मिलता है। चारों युग सतयुग, त्रेता द्वापर और कलयुग पर नजर डाले तो सतयुग में भ्रष्टाचार न के बराबर था। इस युग में सत्य, सच्चाई, ईमानदारी, नैतिकता और मानवता का बोल बाला था। पशु, पक्षी, पेड़ पौधे सभी बोलते थें। हालाकि इस युग में हिरण्यकश्यप, हिरण्याक्ष, शंखासुर जैसे कुछ भ्रष्ट आचरण के अपराधी हुए जिसे संघार करने के लिए भगवान नारायण को मत्स्य, कूर्म, वाराह, और नृसिंह औतार लेना पड़ा था।
वहीं त्रेता युग में सतयुग के अपेक्षा भ्रष्टाचार का बोल बाला बढ़ा और इस युग में रावण, मारीच, सुबाहु, खर, दूषण, विराध, कबंध और कालनेवी आदि प्रमुख भ्रष्ट आचरण के राक्षस हुए जो पूरे अर्यव्रत की भूमि सहित समस्त भूमंडल और अन्य लोको पर भी कोहराम मचाए हुए थें। जिनका सफाया करने के लिए भगवान नारायण को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का अवतार लेना पड़ा था। वहीं द्वापर युग में त्रेता के अपेक्षा भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ा और इस युग में कंस, पूतना, केसी, दुर्योधन और दुशासन आदि भ्रष्ट आचरण के भ्रष्टाचारी उत्पन्न हुए जिनका खात्मा करने के लिए भगवान नारायण को श्री कृष्ण का अवतार लेना पड़ा था।
इन सभी राक्षसों के मूल गुण काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट और प्रपंच कलयुग के मानवों में "मैं" रूपी समा गया जो सबसे बलवान और अदृश्य है। चूंकि इसके खात्मा के सबसे सरल उपाय है हरि कथा सुमिरन जिसके प्रभाव से हृदयस्थ छुपे तमाम शत्रुओं का अंत होता है और हृदय शुद्ध निर्मल हो जाता है जहां परमानंद की मस्ती का सहज अनुभूति होने लगता है। हालाकि शास्त्रों के अनुसार कलयुग के भ्रष्टाचारियों, पापाचारियों, अनाचारियों, आतातायियों और दमनकारी शक्तियों को समूल नाश करने के लिए सर्व शक्तिमान के कल्कि अवतार होना शेष है परंतु इससे पहले दिन प्रति दिन बढ़ रहे भ्रष्टाचार को नैतिकता, मानवता, ईमानदारी, सपथ, संकल्प के सहारे खत्म नहीं किया जा सकता और न ही ऐसे संकल्पधारी, सपथधारी पर पूर्ण विश्वास किया जा सकता..? राजा हरिश्चंद्र, भरत, केवट और लाल बहादुर शास्त्री जैसे सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार व्यक्तित्व सदियों में जन्म लेते हैं। वर्तमान समय में उपजे लोभ, मोह, निज स्वार्थ जिससे उत्पन्न भ्रष्टाचार और अपराध को पूर्णतः खत्म करने के लिए सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता प्रणाली के एक मशीन को विकसित करना आवश्यक होगा।

चूंकि सत्य सनातन ऋषि मुनि महर्षियों ने गुरुकुल शिक्षा पद्धति को इजात किया था जहां बच्चो को इक्कीस वर्ष तक पूर्ण ब्रह्मचर्य पालन करते हुए धर्म शास्त्र वेद पुराण उपनिषदों के पाठ पढ़ाएं जाते थें। भक्तियोग, ध्यानयोग, कर्मयोग, अभियांत्रिकी, समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र, प्रबंधन आदि के पाठ पढ़ाएं जाते थें। उन बच्चो को योग विधा, सत्व गुण, राजो गुण, एवं तमो गुण आधारित प्रभावों को विस्तृत समझाते थें।
जब वे पढ़ लिख कर समाज में आएं तो चरित्रवान, नैतिकवान, ईमानदार बन कर सत्य कर्म से अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें और सामाजिक सरोकार से संबंधित अपना निस्वार्थ योगदान दें सकें। चूंकि सत्व गुण आधारित आहार विचार रखने वाले मनुष्य अपराधी भ्रष्टाचारी नहीं होते।
कलयुग के प्रारंभ से ही ईशा के पूर्व या ईशा के बाद राजतांत्रिक व्यवस्था में बहुत सारे ऐसे शासन कर्ताओं का इतिहास में जिक्र मिलता है जिनकी क्रूरता, भ्रष्ट आचरण एक मिशाल बन गई और अंतिम दशा तक अत्याचार, अनाचार, पापाचर में लिप्त रहे और जमकर कहर बरपाया। हालाकि प्रारब्धानुसार भयानक अंत उन सभी का हुआ पर वे जब तक जीवित रहे जान माल की भारी तबाही मचाते रहे, धन संपदा लूटते रहे, कई कई रानियां रखते रहें और आम जनों का शोषण करते रहें। बीसवीं सदी के मध्य के बाद लोकतांत्रिक, प्रजातांत्रिक व्यवस्था में शासनकर्ताओं, मंत्री, नेताओं एवं पदाधिकारियों के एक से बढ़कर एक घोटाले, भ्रष्टाचार के मामले सामने आए जिसमें कइयों पर गाज भी गिरी, कई सलाखों के पीछे गए है तो कइयों पर मुकदमा साबित ही नहीं हो पाया, कइयों का मुकदमा बहुत वर्षो के बाद भी स्पष्ट नहीं हो पाया या उन्हें सजा मिली। कुछ भ्रष्टाचारी सदैव अपने आप को शासन सत्तारूढ़ दल के साथ गठजोड़ में रहे, क्यों न बार बार, कई बार दल बदलना पड़े इसमें कोई परहेज कोई संकोच नहीं की। जनता जनार्दन क्या सोचेगी इसके परवाह किए बगैर लोमड़ी के समान शासन, सत्ताधारी के समक्ष सिर झुकाए चापलूसी और गुणगान करते हुए नजर आएं।

राजतांत्रिक व्यस्था के राजा तथा वर्तमान प्रजातांत्रिक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तमाम सरकारों ने भ्रष्टाचार खत्म करने के हर संभव प्रयास किए जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। परंतु भ्रष्टाचार, नैतिकता, ईमानदारी, मानवता या फिर कानून के भय से खत्म होने का नाम नहीं लिया बल्कि दिन प्रतिदिन नए स्वरूपों में बढ़ता ही गया। आने वाले समय घोर कालिकाल के कलुषित वातावरण में भ्रष्टचार खत्म करने का एक ही मात्र उपाय होगा सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता प्रणाली के मशीन। अर्थात भ्रष्टाचार न करने का सपथ, संकल्प नहीं बल्कि एक उन्नत मशीन। उदाहरण के तौर पर याद कीजिए बीसवीं सदी के मध्य और अंतिम के दसको में सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसे की वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा पेंशन या अन्य कोई योजनाओं की धनराशि लाभार्थियों को नगद भुगतान किए जाते थें मात्र एक दस्तावेज पर दस्तख़त या अंगूठा निशान ले कर। क्या यह पद्धति वर्तमान में इक्कसवीं सदी के तीसरे दसक में है..? नहीं अब लाभार्थियों के सीधे व्यक्तिगत खाते में DBT के माध्यम से धनराशि को हस्तांतरण  किए जाते हैं। क्या परिवर्तन की इस रूप रेखा से भारष्टाचार रुका..? नहीं कमीशन, अवैध रिश्वतखोरी लेने वाले लोग अभी भी धनराशि बड़े आराम से ले लेते हैं और लाभार्थी भी उनके ठिकाने तक स्वयं गोपनीय तरीके से पहुंचा देते हैं। वहीं पिछले सदी में कुछ लोग नगद धनराशि भुगतान के वक्त हस्ताक्षर या अंगूठा लगवा कर पैसा देते नहीं थे जैसा की माउंटेन मैन दसरथ मांझी के साथ हुआ था। या ऐसे लाभार्थियों को कम देते थें।
गरीबों, वंचितों के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न लाभकारी योजनाओं को क्या वर्तमान युग में बहुत सारे अपात्र सक्षम लोग भी लाभान्वित नहीं हो रहे हैं..? जरूर हो रहे हैं। लाभ देने वाले कुछ संबंधित अधिकारी, कर्मचारी अपात्र सक्षम लाभार्थी भी मिले जुले होते हैं और योजना की धनराशि को आपस में स्वेच्छा से बांट लेते हैं। पात्र वंचित गरीबों के लिए तमाम जीवन भर की योजनाएं सरकार चला रही है परंतु क्या उन गरीब, वंचित पात्र लाभार्थियों को रिश्वत, कमीशन नहीं देना पड़ता..? देना पड़ता है यह किसी से छुपा नहीं है सर्व विदित है। क्या यह भ्रष्टाचार का नमूना नहीं है..? महान कथाकार प्रेम चंद ने अपनी पुस्तक पांच परमेश्वर में पंच अर्थात न्यायकर्ता, जांच कर्ताओं को परमेश्वर अर्थात ईश्वर से तुलना किया था जो कभी अन्याय नहीं करता बल्कि सदैव न्याय करता है। वर्तमान युग में क्या ऐसे मामले सामने नहीं आते कोई जांच कर्ता रिश्वत के शूली पर चढ़ कर न्याय को अन्याय और अन्याय को न्याय साबित कर दिया..? कुछ लोग तो फिराक में रहते हैं की महीने में पांच सात जांच मिल जाए तो भाग्योदय हो जायेगा और रिश्वत स्वरूप मामले को दबाने हेतु एक अच्छी खासी मोटी रकम स्वत: बिन मांगे कमरे तक पहुंच जाएगी..! क्या यह भ्रष्टाचार का उच्चतम शिखर नहीं है..? कोई व्यक्ति सरकारी जनहित राष्ट्र सेवा में अपना उम्र खपा दे, कोई निजी सुखों को तिलांजलि देकर परिवार पत्नी पुत्र पुत्रियों के मोह से परे होकर दिन रात सीमा पर प्रहरी बन कर अपना जान भी हंसते हंसते न्यवछावर करने को तैयार है उसे न्यायोचित, मनवोचित उचित पेंशन भत्ते न मिले अथवा अपेक्षाकृत बेहद कम मिले और कोई जितना बार विधान सभा, विधान परिषद, लोक सभा एवं राज्य सभा का सदस्य चुना जाए उसे उतना बार के अलग अलग एक मोटी रकम वेतन भत्ते पेंशन मिलने का प्रावधान हो यह कैसा समानता एवं न्याय व्यस्था है..? क्या इसे स्वार्थ लोलुपता नहीं कहेंगे..? जरा विचार कीजिए..! वर्तमान युग में एक दूसरे के परस्पर सहयोग वाले कितने कार्य बिना रिश्वत भ्रष्टाचार के नैतिकता, मानवता ईमानदारी पूर्वक हो रहा है जरा मनन चिंतन कीजिए तो जवाब स्वत: मिल जायेगा।

वास्तव में भ्रष्टाचार के मूल कारण स्वार्थ, लोभ और मोह है। इन्हीं कारणों के वजह से व्यक्ति अपने, पराए किसी के साथ भी धोखाघड़ी, जालसाजी, छल, कपट, प्रपंच करने को आतुर रहता है और धन की तृष्णायें उसे इतना मोहित कर देता है की कुछ भी नीति अनीति पूर्वक अमर्यादित अनर्गल कार्य करना भी पड़े तो कोई संकोच नहीं बस धन संग्रहण होना चाहिए। दरअसल यह कुवृति हृदयस्थ छुपे शत्रुओं के उत्प्रेरणा से संबंधित है।

देश में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हेतु दो विकल्प मौजूद है:- पहला धर्म शास्त्र, वेद, पुराण, उपनिषदों का स्वाध्याय, परिपालन एवं दूसरा संविधान एवं कानून की विभिन्न धाराएं। अर्थात धर्म शास्त्र भाव के माध्यम से व्यक्ति को भ्रष्टाचार, अपराध न करने का प्रेरणा देता है। वहीं संविधान, कानून की विभिन्न धाराएं व्यक्ति को भय के द्वारा भ्रष्टाचार एवं अपराध न करने का सलाह देता है। वेद पुराणों उपनिषदों शास्त्रों में स्पष्ट वर्णित है की गुनाह के प्रवृति के अनुरूप कर्म के अकाट्य सिद्धांत के अनुसार ईश्वरीय दण्ड का विधान है, इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में जरूर कर्मानुसार सुख दु:ख, अमीरी गरीबी, लाचारी बेबसी का प्रावधान है। वहीं संविधान, कानून के विभिन्न धाराओं के अनुसार जैसा गुनाह, अपराध, भ्रष्टाचार होगा वैसे ही संवैधानिक दण्ड का विधान है। जिसमें कुछ वर्षो के कैद, जुर्माना से लेकर आजीवन कैद या मृत्यु दंड फांसी तक भी सजा मुकर्रर हो सकती है। परंतु क्या इन दोनो विधानों के अनुसार भी भ्रष्टाचार, अनाचार, अपराध पर पूर्ण रूपेण अंकुश लग पाया..? नहीं..! बल्कि दिन प्रतिदिन नित्य नवीन विभिन्न स्वरूपों में और बढ़ता ही चला गया। जैसे तालाब की मछलियां तल के गहराई में जाकर कोई छोटे मोटे कीड़े को चट कर जाती है, तालाब मालिक को सटीक पता नहीं चलता वह केवल अनुमान लगा सकता है की हो सकता है मछलियां छोटे मोटे कीड़े मकोड़े को खाई होगी। परंतु कब खाई किस कीड़े को खाई, किस समय खाई कोई सटीक प्रमाण नहीं है। ठीक उसी प्रकार कोई भी कर्मचारी, अधिकारी, आम जन कब रिश्वत लिया दिया, कहां लिया दिया गया, कब लिया दिया गया यह सब गोपनीय होता है। वहीं यह लेनदेन का वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक लीक हो जाता है अथवा सामने आता है और जांच के उपरांत प्रमाणित हो जाता है तो फिर संवैधानिक दण्ड का प्रावधान है। परंतु लोवर कोर्ट से लेकर उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय तक मामला का निपटारा होते होते तक कई दसक बीत जाते हैं चूंकि इतने भारी संख्या में मुकदमा ही दर्ज है।

वर्तमान युग में बहुत सारे इंसान मेहनत ईमानदारी सत्य कर्म से जो रुपए पैसे प्राप्त हो रहे हैं उसमे संतोष धैर्य नाम की चीज नहीं है बस अवैध ऊपरी कमाई कैसे बढ़े, कैसे दूसरे अमीरों की तरह रुपया पैसा नौकर चाकर कीमती कार घर बंगला शानो शौकत पाने के लिए ना जाने कितने प्रकार के षड्यंत्र, कुकर्म, धोखाधड़ी, ठगी जैसे अपराध करने पर उतारू है। उसे न धर्म शास्त्र ईश्वरीय न्याय का डर है न कठोर कानून का भय..! धन चाहे जिस श्रोत से जिस प्रकार के जघन्य पाप कृत्य से आए बस आना चाहिए उसमें कोई परहेज नहीं जो होगा बाद में देखा जायेगा। लेकिन जिसका जान माल संपति ठगी, धोखाधड़ी के बेदी पर चढ़ जाता है उसका वास्तविक दर्द वही जानता है।
सांप्रदायिक सौहार्द प्रेम को खंडित करने के लिए असामाजिक तत्वों, संगठनों के द्वारा अवैध फंडिग, झंसापूर्ण धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग तथा देश में प्रति दिन न जाने कितने प्रकार के साइबर ठगी अपराध के लोग शिकार हो रहे हैं। कहीं न कहीं भ्रष्टाचार करने वाले लोगों में न ईश्वरीय न्याय व्यवस्था का डर है न वर्तमान कानून व्यस्था का भय है। तभी तो भ्रष्टाचार अपराध के मामले में गिरावट के बजाय तेजी आ रहा है। भ्रष्टाचारी बेखौफ अपने नाजायज मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए एक उन्नत सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता प्रणाली के मशीन बनाने पर बल दिया जाए..! हालाकि सऊदी अरब जैसे कुछ देश हैं जहां दुनिया के सबसे कठोर कानून का परिपालन किया जाता है। अपराधी, भ्रष्टाचारी को उसी के अपराध के सापेक्ष त्वरित क्रूर दण्ड देने का प्रावधान है। वहां मुकदमा वर्षो दसको तक नहीं चलता बल्कि तमाम गवाहों सबूतों के मध्यनजर शीघ्र कठोर दण्ड दे दिया जाता है। इस लिए वहां अपराध ना के बराबर होता है।

कैसा होगा भ्रष्टाचार खत्म करने वाला मशीन
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वर्तमान युग में जीवनोपयोगी अधिकांश सरकारी, गैर सरकारी संगठनों विभागों के व्यक्तिगत और जनहित कार्य की परिकल्पना बिना कंप्यूटर के बिना नहीं हो सकता। सभी कार्यों में कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है। यदि बैंक का कंप्यूटर इंटरनेट सिस्टम फेल हो जाए तो आपके खाते में कितने धनराशि शेष है शाखा प्रबंधक बता नहीं सकतें। वर्तमान कंप्यूटर पदार्थ के मूलभूत कण इलेक्ट्रॉन आधारित बाइनरी प्रणाली पर आधारित है जिसका गति एवं कार्य से हम सभी परिचित हैं। परंतु जल्द ही कुछ वर्षो में इलेक्ट्रॉन आधारित बाइनरी कंप्यूटर प्रणाली को श्रद्धांजलि हो जाने के आसार हैं। फिर उदय होगा प्रकाश के मूलभूत कण फोटोन आधारित क्वांटम कंप्यूटर युक्त गणना प्रणाली जो वर्तमान बाइनरी कंप्यूटर संस्करण के मुकाबले हजार गुणा ज्यादा तेज और सटीक गणना करके एक सेकंड के तीसवें भाग में उत्तर देगा। इससे पूर्व के कंप्यूटरों मशीनों में मानवीय संवेदना संचेतना भावना जैसी कोई युक्ति नहीं होते थे परंतु इस क्वांटम कंप्यूटर युक्त प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमता के इंसानों के रूप रंग बुद्धि विवेक जैसा रोबोट तैयार कर लिया जाएगा जिसके अंदर मानवीय अनुभव, चेतना, संवेदना होगा और वह इंसानों की भांति जटिल से जटिल कार्यों को कदम ताल मिला के कार्य कर सकेगा। इससे आगे चल कर इंसानों द्वारा सुपर क्वांटम युक्त कंप्यूटर प्रणाली विकसित कर लिया जाएगा जो क्वांटम कंप्यूटर के युक्त लाखो गुणा तेज होगा। अब तक कोई मशीन कंप्यूटर खुला मैदान देख कर या किसी विषय पर स्वत: लेख नहीं लिख सकता वहीं इस प्रकार के सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता के रोबोट बड़े आसानी से बिल्कुल सटीक लेख लिख सकता है। इस प्रकार के कृत्रिम बुद्धिमता के रोबोट मानवों के जैसा हु बहु, सटीक तथा न्यायवोचित, मनवोचित प्रबंधन कार्य नेतृत्व कार्य कर सकते हैं। अर्थात किसी कार्यालय, किसी विभाग, किसी मंत्रालय के शीर्ष पदस्थ मानव अधिकारी के समानांतर उनके जैसा उनसे बेहतर और त्वरित कार्य कर सकने में सामर्थ्य होगा। इन मशीनों को कोई संतान, कोई परिवार नहीं होता की धन संपदा उनके लिए बचाना है या रिश्वत लेना है। ना ही उन्हें कार्यालय में किसी अरदली चपरासी की जरूरत है फाइल इधर उधर करने का, ना उन्हें खाना खाना है न उन्हे पानी पीना है ना ही उन्हें वेतन भत्ते देने है। इस प्रकार के कृत्रिम बुद्धिमता के रोबोटिक मशीन समस्त कार्यालयों के प्रमुख के समानांतर केवल एक-एक लगा दिया जाए तो मैं समझता हूं की अपराध भ्रष्टाचार पर स्वत: नियंत्रण हो जाएगा। बहुत सारे मामले में शक के आधार पर निर्दोष लोग वर्षो तक कोर्ट कचहरी कानून के चंगुल में फसे रहते हैं। कई बार विरोधी ज्यादा शक्तिशाली पैरवी वाला हो तो मुख्य आरोपी अपराधी के साथ साथ शक के आधार पर जो लोग संलिप्त नहीं है उन्हें भी हथकड़ी पहनावा देता है तथा उन्हें जेल के कोठरी में कई दिन महीने वर्षो गुजारने पड़ते है, कइयों को सजा भी मुकर्रर हो जाती है। चूंकि अपराधियों का भी तो एक परिवार होता है और यह जरूरी नहीं की उसके किए अपराध में परिवार का कोई सदस्य या पूरा परिवार सहभागी है, या उसका मनोबल ऊंचा कर रहा हो अथवा उसका सहयोगी वास्तव में है। एक अपराधी के द्वारा किए गए कुकर्मों का दंश कहीं न कहीं पूरा परिवार झेलता है और सामने वाला कभी कभी मुकदमा में अपराधी के साथ साथ उसके परिवार के अन्य निर्दोष सदस्यों को भी ईर्ष्या जलन क्रोध वश फसा देता है। हत्या, बलात्कार, यौन शोषण के कई ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें असली गुनाहगार को ढूंढ निकालना और कानून के हाथो में सौपना एक चुनौती और पहेली बन जाती है। कानून साक्ष्य के आधार पर सजा सुनाती है, कई मामलों में साक्ष्य भी नहीं मिलते और आरोपी साक्ष्य के बगैर बाइज्जात बारी हो जाते है। इस परिस्थिति में मानवीय जांच और न्याय प्रणाली के तहत सत्य का पता लगाने के हेतु अनुसंधान में वर्षो लग जाते हैं और कई बार तो तथ्यों को पहुंच पैरवी रुपया पैसा के दम पर तोड़ा और मरोड़ा जाता है अर्थात जिसकी लाठी उसकी भैंस। कुछ मामलों में तो निर्दोष गवाहों को भी ठिकाने लगा दिया जाता है या उसे रुपए पैसे या भय दिखा कर उल्टा बयान दिलवा दिया जाता है जिससे जांच की रूप रेखा ही बदल जाती है। ऐसे उलझे हुए जटिल केसों, मुकदमों, जांचों में सामने न्याय करने वाला अधिकारी कोई ठोस निर्णय पर पहुंच नहीं पाता और फैसला तिथि पर तिथि टलते चला जाता है। इन परिस्थितियों के मध्यनजर सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता के भ्रष्टाचार विरोधी रोबोटिक मशीन त्वरित एक सेकंड के साठवें भाग में जटिल से जटिल केश, मुकदमा, अपराध, भ्रष्टाचार, जालसाजी, झूठ, फरेब, ठगी, धोखा और षड्यंत्र को पर्दाफाश करने में सक्षम होंगे। सरल शब्दों में भ्रष्टाचार, अपराध में वास्तविक न्यायवोचीत पहलुओं का  अनुमान, वर्षो का जांच पड़ताल, अनुसंधान नहीं बल्कि एक उन्नत मशीन के द्वारा कुछ पलों में सटीक वास्तविक यथा स्थिति से अवगत कराएगा।

सवाल उठता है की भ्रष्टाचार खत्म करने की मशीन काम कैसे करेगा..? आप भली भांति जानते हैं की कोई भी अपराधी कितना बड़ा भी क्यों न हो वह CCTV कैमरा के सामने जानबूझ कर अपराध या जुल्म नहीं करता। जहां लिखा होता है आप CCTV कैमरे के नजर में हैं वहां अपराधी स्वभाव के व्यक्ति भी नरम पड़ जाते हैं। कुछ सड़को पर ही देख लीजिए वहां स्पीडो मीटर सेंसर लगे होते हैं जैसे ही कोई व्यक्ति निर्धारित गति से तेज अपना वाहन चलता है, अगले दिन उसके घर लीगल नोटिस भेज दिया जाता है आर्थिक दण्ड शुल्क हेतु। गति सीमा लांघने संबंधी ये कौन स्वचालित काम कर रहा है..? कोई मानव नहीं बल्कि साधारण स्तर के कृत्रिम बुद्धिमता के मशीन ही सभी वाहनों के गति पर नजर बनाएं हैं।
ठीक उसी प्रकार सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता प्रणाली के रोबोट का मास्टर डेटा संग्रहण केन्द्र होगा और समस्त मानव उससे एक नैनो चिप के माध्यम से जुड़े होंगे। प्रत्येक मानव दिन भर में जो भी गतिविधियां कर रहा है उस रोबोटिक सिस्टम नजर बनाएं रखेगा और प्रत्येक व्यक्ति का दिन भर के डेटा अपने सिस्टम में संधारित स्टोर करता रहेगा। जैसे मोबाइल पर एक दूसरे से कुछ भी बात करने, फोटो, वीडियो, पीडीएफ डेटा भेजने, मंगवाने की स्वतंत्रता है। उसके निजिता के हनन के बैगर अति गोपनीय और सुरक्षित तरीके से सब कुछ एक्सचेंज कॉल सेंटर/उस कंपनी के पास रिकॉर्ड होता है। तभी तो कोई अपराधिक मामले में पकड़ा जाता है तो उस कंपनी से सीडीआर कॉल डिटेल रिपोर्ट खंगाली जाती है। ठीक उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्यों का निजीता के हनन के बगैर इस सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त रोबोटिक मशीन में प्रत्येक मनुष्यों का डेटा संधारित होता रहेगा। कहीं कोई भ्रष्टाचार, अपराध या जुल्म, शोषण करे तो तुरंत वह मशीन अपने से ऊपरी स्तर के मशीन और अपने अधीनस्थ मानव अधिकारी को डेटा, प्रमाण सहित सूचना प्रदान करेगा। इस प्रकार के सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त रोबोटिक मशीन में भारतीय संविधान, भारतीय दण्ड संहिता, एवं विभिन्न क्षेत्रों में अब तक बने समस्त कानून, नियम, प्रावधानों को एक प्रोग्रामिंग के जरिए प्रविष्ट करा दिया जायेगा और वह मशीन अपराध की प्रकृति गंभीरता, संलिप्तता के आधार पर त्वरित न्याय सुनाएगी। यह काम जो अब तक मानव करते आ रहे थें वह मशीन करेगा। क्योंकि इस प्रकार के मशीन में भी मानवों के तरह अनुभव, संवेदना, चेतना और सही गलत सोचने समझने महसूस करने की क्षमता होगी तथा यह मशीन पक्षपात रहित नैतिकता, मानवता ईमानदारी के साथ काम करेंगें। भ्रष्टाचार विरोधी इस तकनीकी मशीन के साथ समानांतर वर्तमान मानवीय संचालन, प्रबंधन, क्रियान्वयन प्रणाली भी समतुल्य यथावत कार्य करता रहेगा जो वर्तमान शासन प्रशासन व्यवस्था है। भ्रष्टाचार विरोधी मशीन के साथ साथ मानव अधिकारी दण्ड सहिता के प्रावधानों के अनुरूप मिले सजा का सत्यापन करता रहे और सजा सुनिश्चित करने और अनुपालन में सहयोग करें। सबकी जिम्मेदारी, कर्तव्य निर्धारित हो तथा नैतिकता मानवता के उच्च आदर्श बिंदु इस मशीनी युग में भी तनिक न खंडित हो ऐसा उस मशीन में प्रोग्रामिंग हो।

इस तकनीकी व्यस्था से चोरी चुपके रहस्यमई षड्यंत्र करने वाले असल अपराधी के पास भी पुलिस आसानी से त्वरित पहुंच सकता है। बहुत सारे अपराध भ्रष्टाचार के ऐसे किस्से मिलते हैं जिसमें मुख्य साजिशकर्ता, अपराधी, कातिल वर्षो तक पता नहीं चलता तथा पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है केश को सुलझाने में। फिर उसके बाद भी अपराधियों द्वारा गवाहों सबूतों को मिटाने के लिए दूसरे अन्य लोगो को जान लेने से भी परहेज नहीं करते और किसी-किसी रंजिश में तो सिल-सिलेवार घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। एक अपराध को छुपाने के लिए और कई अपराध कर दिए जाते हैं। वास्तव में किसी भी अपराध भ्रष्टाचार के मूल जड़ को आम आदमी त्वरित भांप लेता है तथा अनुमान लगा लेता है परंतु कानून गवाहों और सबूतो के मध्यनजर सजा निर्धारित करता है। इसमें कोर्ट कचहरी की कार्यवाही लंबा खींचा जाता है। ऐसे में सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता के रोबोट सब कुछ सटीक प्रमाण सहित आख्या पल भर में त्वरित देंगें। इस प्रकार के व्यवस्था से ही इस घोर कालीकाल के कलुषित वातावरण में भ्रष्टाचार अपराध पर अंकुश लगाया जा सकता है।

वर्तमान समय में कुछ अपवाद को छोड़ आधी आबादी नारी शक्ति मदिरा एवं धूम्रपान से दूर हैं। अधिकांश पुरुष मांस मदिरा नशे का शिकार हो रहे हैं। चूंकि जैसा अन्न वैसा मन, जैसा आहार वैसा विचार ऐसे में शरीर में रजो गुण, तमो गुण की वृद्धि के कारण तथा अध्यात्म, योग से कोसो दूर मानवों के मन मस्तिष्क हृदय में विकार जैसे की काम क्रोध मद मोह लोभ अहंकार ईर्ष्या द्वेष पाखण्ड छल कपट प्रपंच आदि विनाशक शत्रुओं का जमावड़ा होना स्वाभाविक है। इनके खात्मा के कोई इंजेक्शन कोई दवाई नहीं आती ये केवल भागते हैं तो शुद्ध सात्विक आहार विचार एवं सत्संग प्रवचन सुनने तथा धार्मिक पुस्तकों के पढ़ने से। परंतु वर्तमान में इंसान जाति पाती धर्म संप्रदाय के ऊंच नीच भेद भाव में इतना उलझा है की सात्विक धर्मपूर्ण त्याग तपस्या परिश्रम की बाते किसी को नहीं सुहाती। इंद्रियों की मनमानी, वासना से कुछ गिने चुने असाधारण व्यक्ति आकर्षित नहीं होते साधारण तो मोहित हो जाते हैं और फिर यहीं से शुरू होता है अपराध और भ्रष्टाचार।

कलयुग की भविष्यवाणी सत्य होता प्रतीत हो रहा है की जैसे जैसे कलयुग बीतेगा पाप भ्रष्टाचार अपराध बढ़ेंगे। ऐसे में नियंत्रण के लिए अब कोई उपाय नहीं सूझ रहा ऐसे मशीन के अलावा..!

अतः सरकार को अपने सभी कार्यालयों प्रांतों कस्बों में भ्रष्टाचार खत्म करने की सुपर क्वांटम कंप्यूटर युक्त कृत्रिम बुद्धिमता के भ्रष्टाचार विरोधी रोबोटिक मशीन बनाने पर बल देना चाहिए। हां इसमें एक खतरा रहेगा की किसी गलत नकारात्मक व्यक्ति द्वारा रोबोट में असामाजिक अमर्यादित पहलुओं को प्रोग्रामिंग करके उसका दुरुपयोग कर सकता है। परंतु सरकार फिर भी सरकार है वह ईश्वर की भांति इस भूमंडल पर सर्व शक्तिमान है। वह सबकुछ नियंत्रित कर सकता है।

धन्यवाद

राष्ट्र लेखक एवं भारत साहित्य रत्न उपाधि से अलंकृत
डॉ. अभिषेक कुमार
मुख्य प्रबंध निदेशक
दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र
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