
ब्लॉग प्रेषक: | संतोष तात्या |
पद/पेशा: | शोधार्थी |
प्रेषण दिनांक: | 16-06-2024 |
उम्र: | 28 |
पता: | Village Bolai, Tehsil Gulana, District Shajapur, Madhya Pradesh ,465220 |
मोबाइल नंबर: | 9424526030 |
बहन बेटियों पर होने वाले जघन्य अपराध
बहन बेटियों पर होने वाले जघन्य अपराध
भूमिका
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध, विशेषकर बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएं, समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई हैं। इन अपराधों का असर न केवल पीड़ितों पर बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत कानून और सख्त सजा की व्यवस्था की जरूरत है। सऊदी अरब की कठोर सजा नीति का अनुकरण करने का विचार इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकता है।
सऊदी अरब में कठोर कानून
सऊदी अरब में अपराधियों के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। वहां का न्याय प्रणाली त्वरित और निष्पक्ष मानी जाती है, जिसमें अपराधियों को कड़ी सजा दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप, वहां अपराध दर अपेक्षाकृत कम है। भारत में भी ऐसे कठोर कानून लागू करने से अपराधियों में डर पैदा हो सकता है और अपराध की घटनाएं कम हो सकती हैं।
कठोर सजा की प्रवृत्ति
1. सजा का प्रकार: सऊदी अरब में बलात्कारियों को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी जाती है, जिससे समाज में एक सशक्त संदेश जाता है।
2. त्वरित न्याय: वहां की न्याय प्रणाली में मामलों को लंबा खींचा नहीं जाता, जिससे पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलता है।
भारत में वर्तमान स्थिति
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में कानून मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन और प्रवर्तन अपेक्षित तरीके से नहीं हो पाता। बलात्कार जैसे मामलों में अक्सर न्याय मिलने में वर्षों लग जाते हैं, जिससे अपराधियों को कठोर सजा नहीं मिल पाती और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता।
प्रमुख समस्याएं
1. लंबी न्याय प्रक्रिया: भारत में न्याय प्रक्रिया लंबी और जटिल है, जिससे पीड़ितों को त्वरित न्याय नहीं मिल पाता।
2. साक्ष्य की कमी: कई मामलों में साक्ष्य की कमी के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिल पाती।
3. सामाजिक दबाव: पीड़ितों को सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे वे अक्सर अपराध की रिपोर्ट नहीं कर पातीं।
कठोर कानूनों की आवश्यकता
भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त और कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है। इस दिशा में कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं।
1. मौत की सजा: बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान होना चाहिए।
2. त्वरित न्याय प्रणाली: न्याय प्रक्रिया को त्वरित और सरल बनाया जाना चाहिए ताकि पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सके।
3. जन जागरूकता: समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक अभियान चलाए जाने चाहिए।
4. पुलिस सुधार: पुलिस व्यवस्था में सुधार कर उन्हें अधिक संवेदनशील और उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए।
स्कूल, कॉलेज और कोचिंग के लिए विशेष वाहन व्यवस्था
महिलाओं की सुरक्षा केवल कठोर कानून बनाने से ही नहीं हो सकती, बल्कि उन्हें सुरक्षित परिवहन व्यवस्था भी उपलब्ध करानी होगी। विशेष रूप से स्कूल, कॉलेज और कोचिंग के लिए विशेष वाहन व्यवस्था का प्रावधान करना चाहिए।
विशेष वाहन व्यवस्था के लाभ
1. सुरक्षा: विशेष वाहन व्यवस्था से छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, जिससे वे सुरक्षित तरीके से अपनी शिक्षा जारी रख सकें।
2. सुविधा: इस व्यवस्था से छात्राओं को यात्रा में सुविधा होगी और वे समय पर अपनी कक्षाओं में पहुंच सकेंगी।
3. विश्वास: माता-पिता और अभिभावकों में विश्वास बढ़ेगा कि उनकी बेटियां सुरक्षित हैं।
उपाय
1. विशेष बस सेवा: स्कूल और कॉलेजों के लिए विशेष बस सेवा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
2. सुरक्षा गार्ड: इन बसों में सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति होनी चाहिए।
3. GPS ट्रैकिंग: सभी बसों में GPS ट्रैकिंग की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि माता-पिता और प्रशासन बसों की स्थिति जान सकें।
4. हेल्पलाइन: किसी भी आपात स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
भारत में बहन बेटियों के साथ हो रहे जघन्य कुकृत्य अपराधों की रोकथाम के लिए कठोर कानून बनाने और स्कूल, कॉलेज तथा कोचिंग के लिए विशेष वाहन व्यवस्था की आवश्यकता है। सऊदी अरब जैसे देशों के कठोर कानूनों से प्रेरणा लेते हुए, भारत में भी ऐसे कानूनों को लागू किया जाना चाहिए ताकि अपराधियों में डर पैदा हो और अपराध की घटनाएं कम हो सकें। इसके साथ ही, विशेष वाहन व्यवस्था से छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि समाज, सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियां मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और एक सुरक्षित और न्यायसंगत समाज का निर्माण करें।
– संतोष तात्या
शोधार्थी, समाज कार्य
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