झारखण्ड की बौद्ध विरासत
पुरातत्व अध्येता, इतिहासकार एवं शिक्षाविद् श्री अंगद किशोर ने इस नवीन शोधपरक एवं तथ्यात्मक पुस्तक झारखंड की बौद्ध विरासत में झारखंड के अतीत पर पड़ी धूल की मोटी परत को हटाने के साथ-साथ इतिहास की बिखरी हुई कड़ियों को जोड़कर एक मुकम्मल मजबूत कड़ी का निर्माण किया है। जो झारखंड के इतिहास को अतीत विहीन या धूमिल समझते हैं, उनके लिए निःसंदेह यह पुस्तक एक नयी रौशनी बनकर उनकी अज्ञानता रूपी अंधेरे को दूर करेगी और इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित भी। वस्तुतः जल, जंगल, ज़मीन और पहाड़ की यह धरती अपने उदर में सिर्फ अथाह खनिज संपदा ही नहीं भरी है, बल्कि समृद्ध और गौरवशाली इतिहास के साक्ष्य भी समेट कर रखी है। आज उन साक्ष्यों को सामने लाने, सद्याख्या करने तथा विद्वत् धरती-पुत्रों को परोसने की जरूरत है। अंततः मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूं कि अंगद किशोर की यह अनमोल, खोजपरक, महत्वपूर्ण और रोचक कृति सिर्फ झारखंड ही नहीं, अपितु बौद्ध जगत के इतिहास में चार चांद लगाएगी।
लेखक | अंगद किशोर, जपला, झारखण्ड |
पता | जपला, पलामू, झारखण्ड |
मोबाइल नंबर | +91 85409 75076 |
ई-मेल | jhtendua@gmail.com |
सह लेखक | N/A |
प्रकार | ई-बुक/ई-पठन |
भाषा | हिंदी |
कॉपीराइट | हाँ |
पठन आयु वर्ग | सब लोग |
कुल पृष्टों की संख्या | 310 |
ISBN(आईएसबीएन) | 978-81-958355-0-8 |
Publisher/प्रकाशक | दिव्य प्रेरक कहानियाँ, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र, जयहिंद तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार, भारत |
अन्य | NA |
प्रकाशित तिथि | 20-10-24 |