द्रौपदी मुर्मू: प्रधानमंत्री का मास्टर स्ट्रोक

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ब्लॉग प्रेषक: आर सी यादव
पद/पेशा: शिक्षक/ मोटिवेशनल स्पीकर/फ्रीलांस जर्नलिस्ट
प्रेषण दिनांक: 26-06-2022
उम्र: 42
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द्रौपदी मुर्मू: प्रधानमंत्री का मास्टर स्ट्रोक

          राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगाए जा रहे तमाम कयासों के बीच बीजेपी ने आदिवासी नेता और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राजग गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित कर विपक्षी दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के समय भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के कुल 500 नेता समर्थक और प्रस्तावकों की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि भाजपा अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनाने के लिए पूरी तरह से दृढ़संकल्प है। द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के समय खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के शीर्ष पदाधिकारी पूरी दमखम के साथ खड़े दिखाई दिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी द्रौपदी मुर्मू के प्रस्तावक बने । यह संगठन शक्ति ही भाजपा के सफलता को कहानी सुनिश्चित करती हुई दिखाई दे रही है। विपक्षी दलों के साक्षा उम्मीदवार बनाए गए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन कर भाजपा उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से दो दो हाथ करने के लिए कमर कस लिए हैं।

      राजग गठबंधन द्वारा द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करना प्रधानमंत्री का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। निश्चित रूप से यह बेहद चौंकाने वाली बात हो सकती है कि पार्टी में तमाम शीर्ष नेताओं के होने के बावजूद एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का विचार प्रधाननमंत्री के मन में कैसे आया? यह सर्वविदित है कि भाजपा गठबंधन सबका साथ सबका विकास के मुद्दे के साथ सत्ता में आई और इसके साथ ही पार्टी हर क्षेत्र में समाज के हर वर्ग के लोगों को सम्मान के साथ समाज और देश के मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रही है। एक आदिवासी महिला को देश का प्रथम नागरिक बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो चाल चली है उससे विपक्षी दलों के सभी राजनीतिक प्यादे स्वत: ही धराशाई हो गए हैं। यह प्रधानमंत्री की सार्थक सोच है कि देश के विकास में समाज के हर वर्ग के लोगों का अहम योगदान अति आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीति का कोई सानी नहीं है। सही समय और सही परिस्थितियों में सार्थक और सटीक कार्य निष्पादन करना ही उनकी प्राथमिकता रही है। इससे पूर्व भी उन्होंने वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को देश का महामहिम बनाकर एक सुखद संकेत दिया है। गंगा-जमुनी तहजीब और वसुधैव कुटुंबकम् भारत की प्रेरणा रही है। इसकी उपजाऊ मिट्टी में तमाम संस्कृतियों का उद्भव और विकास हुआ है। धर्म, जाति और सम्प्रदाय से परे हटकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामाजिक स्थिरता, समरसता, समानता, प्रेम-सद्भाव, भाई -चारा और उन्नति का बेमिसाल विजयस्तम्भ स्थापित किया है। सरकारी योजनाओं से समाज का हर वर्ग लाभान्वित हो, यही प्रधानमंत्री की प्राथमिकता रही है। राष्ट्रपति उम्मीदवार के रुप में द्रौपदी मुर्मू की घोषणा से आदिवासी समुदाय के लोगों को उचित सम्मान मिला है और उन्हें गर्व का अनुभव करने के एक मजबूत राजनैतिक जमीन भी मिल गई है । लिहाजा यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि दूरद्रष्टा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी राजनीतिक विसात से विपक्षी दलों को चारों खाने चित कर दिया है। राष्ट्रपति चुनाव में अभी समय शेष है। सत्ताधारी दल और विपक्षी दल दोनों के उम्मीदवार एक दूसरे से अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए समर्थन मांग रहे हैं। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता दिखाती और सामाजिक समरसता का संदेश देती हुई जाति विहिन विशुद्ध राजनीति और दूसरी ओर सत्ता की लालसा और राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले राजनेता। सफलता किसका वरण करेगी यह समय के गर्भ में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दूरद्रष्टा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीति किस तरह चुनाव का परिणाम अपनी ओर मोड़ने में सफल होती है।

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