बाल कहानी-सच

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ब्लॉग प्रेषक: शमा परवीन
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 27-10-2022
उम्र: **
पता: बहराइच, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: *********

बाल कहानी-सच

कहानी- सच


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(राजू और राकेश आपस में बातें कर रहे हैं)

राजू- ये बताओ राकेश! आज बहुत दिनों के बाद हम दोनों विद्यालय जा रहे हैं। क्या तुमने होमवर्क किया है?

राकेश- हां राजू! मैने होमवर्क कर लिया है। तुम अपनी बताओ मित्र! क्या तुमने होमवर्क किया या पिछली बार की तरह इस बार भी कोई बहाना बनाओगे?

राजू- मैं कर लेता, पर तुम तो जानते ही हो, मुझे कितना काम करना रहता है इसलिए होमवर्क नहीं कर पाया। गुरू जी से बता दूँगा कि मैं बीमार था और तुम भी जरा सिफारिश कर देना। कह देना कि हाँ! यह बीमार था।

राकेश- पर राजू! तुम तो बीमार नहीं थे। तुम रोज मेरे साथ क्रिकेट खेलते थे और हाँ! ये बताओं, कौन सा काम ? 

अभी तुमने कहा, मुझे बहुत सा काम रहता है। आखिर मुझे भी तो बताओ तुम्हें कौन सा काम करना होता है?

राजू- बहुत से काम रहते हैं। कभी अम्मी कहती हैं ये ले आओ, वह ले आओ! कभी पापा कहते हैं साथ चलो। 

गर्मी की छुट्टियाँ कब खत्म हो गई, पता ही नहीं चला‌? सोचा था आज कर लूँगा। होमवर्क कल कर लूँगा, पर समय ही नहीं मिल पाया।

राकेश- घर के कामों में मैं भी हाथ बँटाता था। पापा के साथ कभी कभी दुकान पर बैठता था और तुम्हारे साथ तो खेलता भी था। मैं प्रतिदिन घर पर समय से पढ़ाई भी करता था और होमवर्क भी पूरा करता था। मैं तुम्हें भी बार-बार समझाता था, पर तुम बहाने बनाते थे। आज तुम कह रहे हो कि गुरू जी से बता देना कि तुम बीमार थे। सॉरी दोस्त! मैं झूँठ नहीं बोल सकता।

राजू- इसमें झूठ बोलने वाली क्या बात है? तुम सिर्फ मुझे बचा लेना, यह कहकर कि राजू बहुत बीमार था और क्या करना है? तुम्हें बस चुप हो जाना। उसके बाद मैं संभाल लूंगा।

राकेश- माफ करना दोस्त! पर मैं गुरुजी से झूँठ नहीं बोल सकता। झूठ बोलना पाप है। अगर तुम मेरी बात मानो तो गुरु जी से सब सच- सच बता देना। सच में बहुत ताकत होती है।

राजू- अच्छा चुप हो जाओ! विद्यालय आ गया है। कोई सुन लेगा तो बहुत मुश्किल हो जायेगी। वैसे भी आज विद्यालय आने में देर हो गई है। लगता है, प्रार्थना सभा हो गई है.. कक्षा भी प्रारंभ हो चुकी है..जल्दी से कक्षा में चलो।

(राजू और राकेश अध्यापक से पूछकर कक्षा में प्रवेश करते हैं)

अध्यापक- सभी बच्चों का कक्षा में स्वागत है। बच्चों! गर्मी की छुट्टियाँ कैसी रही? आप सब तो खूब खेले होंगे। खूब घूमे होंगे और हां! यह बताओ गर्मी की छुट्टियों से पहले जो होमवर्क दिया गया था, वह आप लोगों ने किया कि नहीं? जल्दी-जल्दी सभी बच्चे होमवर्क दिखायें।

राजू और राकेश तुम दोनों भी अपनी- अपनी अपनी कापियाँ दिखाओ?

राकेश- जी मैम!

राजू- मुझे माफ कर दीजिए! मुझसे गलती हो गई। मैंने होमवर्क नहीं किया है। पर मैं आपसे और खुद से वादा करता हूँ कि अब मैं मन लगाकर पढ़ाई और समय से होमवर्क भी करूँगा।

अध्यापक- ठीक है राजू! कोई बात नहीं.. तुम अब आगे से ध्यान रखना और समय पर होमवर्क जरूर करना और मन लगाकर पढ़ाई करना।


शिक्षा-

हमें अपने काम में कभी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

लेखिका-

शमा परवीन

बहराइच, उत्तर प्रदेश

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