बाल कहानी-प्यारे चाचा

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ब्लॉग प्रेषक: शमा परवीन
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 12-11-2022
उम्र: **
पता: बहराइच, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: **********

बाल कहानी-प्यारे चाचा

बाल कहानी- प्यारे चाचा

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       गोपाल स्कूल से जैसे ही घर आया, उसने देखा कि घर के पास साइकिल खड़ी है। साइकिल देखकर गोपाल समझ गया कि चाचा जी आये हैं। साइकिल देखकर गोपाल का मन ललचाया।

गोपाल को साइकिल चलाना अच्छा लगता था, पर गोपाल साइकिल नहीं चला पाता था।

चाचा की साइकिल देखकर गोपाल का मन साइकिल चलाने का हुआ।

गोपाल ने चाचा जी से पूछा-,"चाचा जी! क्या मैं आपकी साइकिल थोड़ी देर चला लूँ?"

चाचा ने गोपाल से कहा-"बेटा! अभी तुम बहुत छोटे हो, ये साइकिल बड़ी है। तुम नहीं चला पाओगे। अगर गिर गये तो चोट लग जायेगी। अगले महीने तुम्हारे इम्तहान हैं। अभी खूब मन लगाकर पढ़ो। जब तुम पास हो जाओगे, तब ईनाम में तुम्हारे लिये छोटी-सी साइकिल ले आऊँगा और चलाना भी सिखा दूँगा।" चाचा के लाख समझाने पर भी गोपाल नहीं माना, "सिर्फ थोड़ी देर चलाऊँगा" कह कर गोपाल साइकिल लेकर मैदान में चला गया।

थोड़ी ही देर में गोपाल साइकिल चलाते वक़्त गिर गया। उसको काफी चोट आयी।

गोपाल के अभिभावक और चाचा जी तुरंत गोपाल को लेकर डॉक्टर के पास गये। गोपाल अपने किये पर बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने चाचाजी से माफ़ी माँगी। चाचाजी ने गोपाल को माफ़ करके गले से लगा लिया।

कुछ दिनों बाद जब गोपाल ठीक हो गया, उसने मन लगाकर पढ़ाई की और अपनी कक्षा में प्रथम आया। चाचाजी ने अपने वादे के अनुसार गोपाल को छोटी-सी साइकिल ईनाम में दी और चलाना भी सिखा दिया। गोपाल ने प्यारे चाचा जी का शुक्रिया अदा किया।

शिक्षा

हमें बड़ों की सीख मानकर उचित समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।


शमा परवीन

बहराइच उत्तर प्रदेश

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