भारतीय रेल एव आजादी का अमृतमहोत्सव

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ब्लॉग प्रेषक: नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पद/पेशा: सेवा निवृत प्रचार्य
प्रेषण दिनांक: 04-02-2023
उम्र: 60 वर्ष
पता: C-159 Divya Nager Colony Post-Khorabaar Gorakhpur-273010 utter pradesh
मोबाइल नंबर: 9889621993

भारतीय रेल एव आजादी का अमृतमहोत्सव

आजादी का अमृमहोत्सव 

भारतीय रेल एव आजादी का

संघर्ष-----

 1-भारतीय रेल का वर्तमान एव अतीत---

भारत की आजादी के संघर्षो में एव आजादी के बाद  भारतीय रेल के योग दान की कदापी अनदेखी नही की जा सकता भारतीय रेल चाहे भारतीय जन का चाहे आजादी का संघर्ष हो या आजादी के बाद स्वतंत्र राष्ट्र के विकास में योगदान हो भारतीय रेल की महत्वपूर्ण भूमिका है।भारत मे अपने जन्म काल से ही भारतीय रेल ने  भारत के अस्तिव निर्माण एव अस्तित्व  शक्ति विकास में अति महत्वपूर्ण योग दान दिया है।भारत मे  पहलीबार 22 दिसम्बर 1851 पहली रेल पटरी  दौड़ी 16 अप्रैल 1953 को मुंबई से ठाणे के मध्य पहली यात्री चली ।वर्ष 1890 में भारतीय रेल अधिनियम बनाया गया वर्ष 1936 में पहली बार यात्री बोगी को बातानुकूलित बनाया गया ।भारतीय रेल में शुभंकर हरी बत्ती वाली लालटेन उठाये एक हाथ हाथी  भालू गार्ड है। भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण सन 1950 में किया गया वर्ष 1952 में छः ज़ोन के साथ जोनल सिस्टम लागू किया गया जो वर्तमान में 17 ज़ोन है।भारतीय रेल में तेरह लाख से अधिक कर्मचारी है ।वर्ष में लगभग छ अरब से अधिक यात्री भारतीय रेल से यात्रा करते है।भारतीय रेल विश्व मे सबसे व्यस्त और लंबे नेटवर्क के लिये मानी जाती है।कन्या कुमारी से जम्मू तबी से के मध्य चलने वाली हिम सागर एक्सप्रेस सबसे लंबी दूरी की रेल है जिसकी लम्बाई 3745 किलोमीटर है।सबसे तेज गति से चलने वाली रेल 140 किलोमीटर प्रति घण्टे की भूपाल शताब्दी एक्सप्रेस है।फेयर क्वीन विश्व का सबसे पुराना रेल इंजिन है जो अब भी दौड़ाता है।लाइफ लाइन एक विशेष एक्सप्रेस हैं इसे हॉस्पिटल आन व्हील नाम से जाना जाता है जिसमे ऑपरेशन थियेटर से लेकर सारी सुविधाएं उबलब्ध है।वर्ष 1974 में भारतीय रेल की हड़ताल  अबतक की सबसे बड़ी हड़ताल मानी जाती है यह 20 दिन चली  थी 1974 के पश्चात भरतीय रेल में कोई हड़ताल हुई।वर्ष 1977 मे धरोहर पर्यटन शिक्षा मनोरंजन के संरक्षण एव प्रोत्साहन राष्ट्रीय रेल संग्रहालय खोला गया।सोसाईटी ऑफ इंटरनेशनल ट्रेवलर्स ने भारत की भव्य गाड़िया डेक्कन ओडिसी, पैलेश आन व्हील और 100 साल पुरानी टॉय ट्रेन को विश्व की 25 सर्व श्रेष्ठ ट्रेनों की सूची में शामिल किया गया है।वर्ष 2002 में जन शताब्दी ट्रेन की शुरुआत हुई।2004 में इंटरनेट आरक्षण सुविधा लागू की गई।वर्ष 2007में दूर भाषिक ट्रेन पूंछ ताछ सेवा प्रारम्भ की गई।1853 में चली सबसे पहली रेल की लम्बाई 35

 किलोमीटर 14 बोगी थे जो मुम्बई से एव मुंबई से थाने के मध्य चलाई गई।भारतीय रेल अमेरिका  रूस और चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा रेल नेट वर्क भारत मे सबसे पहली रेल 1853 में दौड़ी जबकि चीन में तेईस साल बाद 1876 में भारत मे रेल नेटवर्क की लम्बाई 53596 किलोमीटर चीन में 27000 किलोमीटर था भारत मे मात्र 10000 किलोमीटर की बढ़ोतरी है जबकि चीन का नेटवर्क 78000 किलोमीटर है। भारत मे तीन तरह की रेल पटरियां है  बड़ी लाइन ,छोटी लाइन ,संकरी लाइन छोटी लाइन पटरियां लगभग समाप्त हो चुकी है सिर्फ मध्यप्रदेश रतलाम एवं अकोला के मध्य ही है कुछ दिनों में यह भी बड़ी लाइन में तब्दील हो जाएगा संकरी लाइन  भी मध्य प्रदेश में नागपुर छिंदवाड़ा जबलपुर भाग में है।

भारत मे वर्तमान समय मे 6 रेल इंजन कारखाने 3 रेल कोच फैक्ट्री एव 1 रेल व्हील फेक्ट्री है भारीतय रेल द्वारा भारतीय रेल द्वारा कंप्यूटरीकृत सेवाओ को शुरुआत 19 फरवरी 1986 से किया गया था जो अब विकसित और सम्पूर्ण सेवाओ में कंप्यूटरीकृत है।भारतीय रेल के लगभग 7000 से 8000 तक रेलवे स्टेशन है।भारतीय रेलवे बिना नौकरी दिये भी लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराती है एव ना जाने कितने बेसहारा की शरणस्थली है।

2-भारतीय रेल के विभिन्न पहलू---


भारतीय रेल सबसे सस्ती परिवहन

 सेवा है 10 पैसे प्रति किलोमीटर किराया रेलवे द्वारा लिया जाता है इसी कारण रेल में यात्रियों की संख्या बहुत रहती है। आम तौर पर भारत मे तीन तरह की रेलगाड़िया एव सुविधाएं है 1-पैसेंजर 2-एक्सप्रेस3-मेल सस्ता पैसेंजर यात्रा उससे महंगा एक्सप्रेस सबसे महंगा मेल होता है।जनरल बोगी सेकंड क्लास किराया सबसे कम होता है स्लीपर का उससे अधिक ए सी का किराया सबसे अधिक होता है।

नई रेल लाइन एव उसके बिस्तर के लिये एव यात्री सुविधाओं के लिये अत्यधिक धन की आवश्यकता है ।रेल के विकास में सबसे बड़ी बाधा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बदलती सरकारो के रेल के विषय मे अलग अलग विचार किसी के लिये रेल समाज बाद एव सेवा का माध्यम तो किसी के लिये मात्र एक यात्री आवागमन सुविधा जबकि भारतीय रेल भारत मे एक जन जीवन रेखा के तौर पर कार्य करती है।जबकि रेल के उकर्ष विकास के लिये एक स

मान विचारधारा के संकल्प की आवश्यकता है।मुंबई और अमृतसर के मध्य चलने वाली गोल्डन टेम्पल ट्रेन 84 वर्ष पूरे कर चुकी है 1928 में इसका सांचलन शुरू किया गया था यह ट्रेन देश की लंबी तेज ट्रेन थी उस समय यह पाकिस्तान के पेशावर को मुंबई से जोड़ती थी अवीभाजित भारत फ्रंट से चलने वाली इस ट्रेन का नाम पहले फ्रंटियर मेल था यह कोटा में इतनी मशहूर थी कि इसकी आवाज सुनकर लोग अपनी घड़ी एव टाइम मिलाते थे बटवारे के बाद यह ट्रेन मुम्बई अमृतसर के मध्य चलने लगी।

उस समय  फर्स्ट क्लास में सफर करने वालो को विशेष सम्मान प्राप्त होता था भोजन आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध थी।भारतीय रेल एशिया की सबसे बड़ी रेल प्रणाली है जिसकी लम्बाई 67415 किलोमीटर है एवं प्रति दिन 2 करोड़ इकत्तीस लाख यात्रियों एव 33 लाख टन माल ढुलाई होती है।रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में छः गुना कम ऊर्जा खपत होती है एव चार गुना अधिक किफायती है रेल निर्माण की लागत अन्य यातायात से लगभग छः गुनी कम आती है। भारत मे कुल 12617 पैसेंजर ट्रेन 7349 माल  गड़िया चलती है भारतीय रेल और परिवहन संस्थान की  स्थापना शिक्षक दिवस  5 सितंबर को की गई जो भारतीय रेल द्वारा शिक्षकों के सम्मान में महत्वपूर्ण है।भारतीय रेल के पास 12147 लोकोमोटिव 74003 यात्री कोच एव 289185 वैगन है 8702 यात्री ट्रेनों के साथ प्रति दिन 13523 ट्रेने चलती है।300 रेल यार्ड 2300 मालढुलाई 700 मरम्मत केंद्र है।

3-भारतीय रेल औपनिवेशिक साम्राज्य वाद के दर्द का दर्शक--


भारतीय रेल खराब उपनिवेशवाद और अच्छे राष्ट्रबाद के बंधे बधाए विवाद में कई साधारण कहानियों कल्पनाओं  अतिशयोक्तिओ का अस्तित्व है।भारतीय औपनिवेशिक चरित्र के विषय मे बहुत कुछ कहा लिखा जा सकता है।1910 में प्रकाशित गुमनाम व्यंग में शीर्षक था कूच परवानायपुर स्वादेशी रेलवे प्रथम विश्व युद्ध और स्वादेशी प्रेरित उपनिवेश वाद विरोधी विचारों को ध्यान में रख कर तैयार की गई थी। इस स्केच बुक के गुमनाम लेखक ने दावा किया यह किताब रेल कर्मी एव आम जन को रोमांचित कर सकती है।इस स्केच बुक को उलटते कोई शक की गुंजाइश नही बचती की इसका मात्र मकशद पद और वर्ग के भारतीयों की तकनीकी संगठन कौशल का माखौल उड़ाता है भविष्य में जिनके हाथो में देश की बागडोर आनेवाली है उन्हें उन्हें विश्व की तीसरी बड़ी रेलवे को चलाने में नाकाबिल माना जाता है।साम्राज्य समर्थकों और अंग्रेजी शिक्षित राष्ट्रवादीयो के बीच सतत चलने वाली लड़ाई बार बार1 उठने वाले तीन मुद्दों में रेल भी एक  मुद्दा हुआ करता था बाकी दो मुद्दे कोहिनूर खुद की अंग्रेजी भाषा थी।लंबे समय से उपवेशिक शक्तियां और उनके समर्थक यह दलील देते रहे है भले ही अंग्रेजो ने देश का शोषण किया हो यह भी सच है कि अंग्रेज ही भारत मे रेल लेकर आये जिससे उपमहाद्वीप को एकता के सूत्र में पिरोने का अवसर प्रदान किया।रेलवे की प्रसंशा अंग्रेजों की दौलत शक्ति कौशल के स्मारक के तौर पर की जाती है मगर यह बात भुला दी जाती है अंग्रेजी निजी स्वार्थ निजी दौलत भारत सरकार द्वारा निश्चित लाभ की सार्वजनिक गारण्टी की देन है के पी आर बुक इसी तरह की मान्यता का नमूना है ।भारतीय रेल के प्रगट उपनिवेशवादी चरित्र के बारे में काफी कुछ कहा जा सकता है।भारत के सबसे पुराने शहरों में एक जमाल पुर को दिखाना बंगाल में गलती है  यह बिहार राज्य के मुंगेर शहर के करीब है।


4--भारतीय रेल का भारत की आजादी के संघर्ष में महत्व एव भूमिका----


(क)--महात्मा गांधी एव रेल---

महात्मा गांधी द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन इतिहास में रेलवे का सबसे अधिक प्रयोग किया जो देश को एक सूत्र में बांधने में कारगर सिद्ध हुई जिसका अनुभव उन्हें दक्षिण अफ्रीका सेंटपिटर्स से मिला अपने स्वतंत्रता के विभिन्न आंदोलनों में कम समय मे जन  सम्पर्क के लिये रेल तत्कालीन परिस्थितियों में बहुत कारगर एव प्रभवी परिणाम परक और प्राभावी थी  गोरों को  इस सत्यता की जानकारी होते ही उन्हें भारत छोड़ना पड़ा।दक्षिण अफ्रीका में एक रात गोरों ने फर्स्ट क्लास रेल डिब्बे से महात्मा गांधी का सामान प्लेट फार्म पर फेंक  दिया  तो महात्म्य ने आंदोलन छेड़ दिया जिसमें उन्हें सफलता मिला।गोरों द्वारा भारत मे रेल जैसी महत्वपूर्ण प्रद्योगिकी लाना उद्देश सिर्फ अपने व्यवसायिक सफलता एव प्रशासनिक पकड़ को मजबूत रखना था मगर अफ्रीका के अनुभव से बापू को पता था कि रेल स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण एव सहायक होगा यह महात्मा गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीयों को एक सूत्र में जोड़ने एव आंदोलन को प्रभावी बनाने के लिये रेल का भरपूर उपयोग किया अतः भारत के स्वतंत्रता आंदोलन महत्वपूर्ण भूमिका रेल ने निभाई है।


(ख)-काकोरी कांड--


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतारियो द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध की शुरुआत का शंखनाद की महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी कड़ी थी काकोरी कांड क्योकि क्रांतारियो को हथियार खरीदने एव संगठित क्रांति के लिये धन की आवश्यकता थी इसी उद्देश्य से 9 अगस्त ऊँन्नीस सौ पच्चीस को काकोरी कांड तत्कालीन क्रांति का अहम हिस्सा बना  हिंदुस्तान

रिपब्लिकन एसोसिएशन के दस सदस्यों ने घटना को अंजाम दिया लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन छुटी डाउन सहारनपुर लखनऊ पसेंजर ट्रेन क्रांतिकारीयो द्वारा चेन खींच कर रोका और क्रान्तरकारी राम प्रसाद विस्मिल के नेतृत्व में असफाकउल्लाह खां चंद्रशेखर आजाद एव छः अन्य सहयोगियों ने सरकारी खजाना लूट लिया बाद में गोरी सत्ता ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के 40 क्रांतारियो पर साम्राट के विरुद्ध शसस्त्र युद्ध छेड़ने सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का प्रकरण चलाया जिसमे राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी ,राम प्रसाद विस्मिल, असफाक उल्ला  खान  तथा रोशन सिंह को मृत्यु की  सजा सुनाई गई 16 क्रांतारियो को चार वर्षों को सश्रम कारावास बाकी को काला पानी की सजा सुनाई गई कोकोरी कांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय रेल एव क्रांति क्रांतिकारियों के समन्यव की इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है जो समाज को प्रेरित करता रहेगा।।


 (ग)पर्ण कुटी--दिल्ली मुम्बई ट्रेक पर स्थित नागदा का इतिहास आज़ादी से जुड़ा है रेलवे स्टेशन के समीप पण्डित दीन दयाल चौक पर स्थित  पर्ण कुटी  इसकी गवाह हैं स्नेही परिवार के सानिध्य में यहां आजादी के आंदोलन में कई क्रांतारियो ने पनाह लिया क्रान्तरकारी यहॉ छिपने के लिये आते एव भावी योजनाएं बनाते।सुभाषचंद्र बोस एव बटुकेश्वर दत्त भी यही छिपे रहे इसी प्रकार सुभाष चंद बोष एव साथी हरिलाल झांसी ने यहां फरारी काटी  यह स्थान मुर्द्वन्व गांधी मानस महाकाल रचयिता  साहित्यकार रचयिता कवि स्वरांत्रता सेनानी हरि प्रसाद वर्मा का निवास स्थान रहा अंग्रेज सरकार के पांच हज़ार के इनामी वारंटी बिहार निवासी क्रान्तरकारी श्याम बिहारी ने भी दो माह तक पर्ण कुटी में फरारी काटी इन्ही महापुरुषों के पद चिन्हों के गौरव गाथा के संवाहक है।इसके अतिरिक्त यहां स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख क्रांतिकारियों सेनानियों ने भी पर्ण कुटी में पनाह ली ।इस प्रकार दिल्ली मुंम्बई रेल ट्रेक का नागदा रेल स्टेशन भारत की स्वतंत्रता संग्राम एव क्रांतारियो की कहानी की जुबानी भारतीय रेल का महत्व भारत के आज़ादी के संघर्ष में वर्तमान में प्रेरक प्रेरणा है।


(घ)नोवाखाली एव रेल---


मौजूदा नोवा खाली बांग्लादेश के चट गांव मंडल का एक जिला है इसका उत्तरी एव मध्य भाग मेघना नदी से की सतह से नीचा है यह जिला गंगवार क्षेत्र है नारियल दाल गन्ना धान जुट लाल मिर्च और प्याज मुख्य उत्पादन है।सुधाराम नोवा खाली का प्रश्सकीय केंद्र है यह शहर पूर्वी बंगाल रेल मार्ग की शाखा पर स्थित है यह दंगो के लिये मशहूर है जिन्ना के नक्शे कदम पर तत्कालीन मुख्य मंत्री सोहराब द्वारा 1946 अट्यूबर से हिंदुओ के विरुद्ध संगठित तौर पर प्रताडित करने का अभियान मुस्लिमों द्वारा चलाया गया जिसमें हजारों मारे गए लाखो बेघर हो। गए  इसी मध्य भारत को आज़ादी अंग्रेजो द्वारा द्विराष्ट्रवाद सिद्धान्त पर दिया गया जिसके कारण लाखो लोगो को नए मुल्क पाकिस्तान एव हिंदुस्तान आना जाना था जिसमे रेल की बड़ी अहम भूमिका थी जो लोग जीवित अपने देश नही पहुँच सके उनके शव रेल बोगी में आये रेल ने आज़ादी और बटवारे के दौर में जिस जिम्म्मेदारी का निर्वहन हिंदुस्तान पाकिस्तान दोनों नवोदित राष्ट्रों के लिये किया उसकी दूसरी नजीर शायद दुनिया मे कभी मीले यह भारतीय रेल की अति महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

नाम ---नन्द लाल मणि त्रिपाठी   साहित्यिक उप नाम-पीताम्बर                          

पद--प्रचार्य 

संस्थान --भारतीय जीवन बीमा निगम 

जन्म स्थान-----गोरखपुर   

निवास -C--159 दिव्य नगर कालोनी पोस्ट -खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश 

भाषा ज्ञान------हिंदी, संस्कृत  , अंग्रेजी  ,बंग्ला                              ज्ञान शैक्षिक स्तर---स्नातकोत्तर तक सभी बिषयों के अध्यापन क़ि योग्यता                       

समाजिक गतिविधि--1-युवा संवर्धन संरक्षण 2-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 3-महिला सशक्तिककर्ण 4--विकलांग अक्षम लोंगो के लिये प्रभावी परिणाम परक सहयोग                       

 लेखन विधा--कविता ,गीत ,ग़ज़ल,उपन्यास ,  कहानी  आदि ।।        प्रकाशितकृति--एहसास रिश्तों का प्रकाशित।।                             

शुभा का सच उपन्यास और शौर्य का शंखनाद प्रकाशन स्तर पर।                                             

अध्ययन एव अतिरिक्त ज्ञान--आधुनिक ज्योतिष विज्ञानं                                       

योग्यता ---वक्ता एवम् प्रेरक                

साझा संकलन --पच्चीस

सम्मान ---दो अंतरराष्ट्रीय सम्मान

दो सौ राष्ट्रीय सम्मान बिभिन्न स्तरों पर

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