बहुजन समाज पार्टी: फर्श से अर्श की ओर
बहुजन समाज पार्टी: अर्श से फर्श की ओर
_____ आर सी यादव
पंजाब के एक छोटे से गांव से निकल कर राजनीति पार्टी का गठन करने वाले माननीय कांशीराम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके बाद उनके सपनों की आधारशिला पर गठित राष्ट्रीय राजनैतिक दल, बहुजन समाज पार्टी का हश्र कुछ ऐसा होगा कि पार्टी के नेताओं को विधान सभा में बैठने के लिए सम्मानजनक स्थान ही नसीब नहीं होगा । सियासत का एक अजीब पहलू यह भी है कि यह कभी भी करवट बदल सकती है। 15 मार्च, 1934 को पंजाब में जन्मे भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक कांशीराम ने भारतीय वर्ण व्यवस्था में बहुजनों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए 14 अप्रैल 1984 को अपनी महत्त्वाकांक्षी राजनैतिक दल बहुजन समाज पार्टी का गठन किया। इसी वर्ष के अन्त में उन्होंने दलित शोषित संघर्ष समिति (डीएसएसएसएस) और पूर्व में सन् 1971 में अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) की भी स्थापना की ।
अपनी दूरदर्शिता, बुद्धिमानी और कुशल नेतृत्व के बल पर देखते ही देखते कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी के रूप में एक नया परंतु शक्तिशाली राजनैतिक दल भारतीय राजनीति के पटल पर खड़ा कर दिया। कांशीराम के प्रयासों का यह परिणाम रहा कि बहुजन समाज पार्टी दिन प्रतिदिन भारतीय राजनीति में सफलता की ओर अग्रसर होती गई। इस बीच कांशीराम को अपनी महत्त्वाकांक्षी राजनैतिक दल को गति देने के लिए सुश्री मायावती के रुप एक नया साथी मिल गया। मायावती के बसपा में आते ही इस राजनीतिक पार्टी को काफी बल मिला परिणाम सुखद रहा सुश्री मायावती साल 1994 में पहली बार राज्यसभा सांसद चुनी गई । वाकपटु और तेजतर्राक सुश्री मायावती के अंदर आत्मविश्वास और राजनीतिक महत्वाकांक्षा थी जिसके बिना पर सुश्री मायावती ने सन 1995 में गठबंधन की सरकार बनाते हुए पहली बार सबसे कम उम्र की उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। पार्टी सत्ता में आते ही अपनी महत्त्वाकांक्षी राजनैतिक सोच को आगे बढ़ाते हुए सफलता की सीडियां चढ़ने लगी। इस दरम्यान 15 दिसंबर 2001 को लखनऊ में एक रैली को संबोधित करते हुए कांशीराम ने सुश्री मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 18 सितंबर 2003 को सुश्री मायावती को पहली बार बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद 27 अगस्त 2006 को दूसरी बार और 30 अगस्त 2014 को लगातार तीसरी बार मायावती को पार्टी अध्यक्ष चुना गया । वर्तमान में सुश्री मायावती बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर आसीन हैं।
सुश्री मायावती का राजनीतिक कैरियर और मुख्यमंत्री मंत्रित्व काल जितना सफल रहा उतना ही विवादास्पद भी । एक समय ऐसा भी आया जब विशुद्ध जातिवादी राजनीति करने वाली सुश्री मायावती ने उत्तर प्रदेश में हरिजन एक्ट लागू कर सवर्ण, दलित और पिछड़ों के बीच में एक बड़ी खाई पैदा कर दी । हरिजन एक्ट लागू होते ही उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के लोगों को हरिजन बनाम सवर्ण के रुप में एक संवैधानिक हथियार मिल गया जिसका उपयोग वे यदाकदा सवर्ण जातियों पर अपनाने लगे । चूंकि हरिजन बनाम सवर्ण एक ऐसा एक्ट था जिसमें त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफतार का प्रावधान था लिहाजा दलित समुदाय के लोगों ने इसे सवर्ण जातियों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। मामूली बातचीत को भी शोषण का आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज होने लगे लिहाजा उत्तर प्रदेश के न्यायालयों में हरिजन बनाम सवर्ण मुकदमों की बाड़ ही आ गई । परिणाम यह रहा कि सवर्ण जातियां दलितों से भय खाने लगी ।
बहुजन समाज पार्टी में सतीश मिश्रा जैसे सवर्ण कद्दावर नेताओं के होने के बावजूद भी सवर्ण जातियां हमेशा मायावती के निशाने पर रहीं। "तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार" जैसा संबोधन मायावती को सवर्ण जातियों से दूर करती चली गई। महात्मा गांधी को शैतान की औलाद कहने वाली मायावती को यह कत्तई अंदेशा नहीं था कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चार-घार बार मुख्यमंत्री का पद सुशोभित करने वाली पार्टी के खाते में विधानसभा की मात्र एक सीट नसीब होगी । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान मायावती की निष्क्रियता यह भी संकेत देती है कि मायावती को अब सत्ता की चाह नहीं है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि जो शख्स चार -चार बार मुख्यमंत्री और सांसद रहा हो उसे अब किस पद की लालसा। अपने राजनीतिक कैरियर के इतने सालों में मायावती ने अकूत बेनामी संपत्ति अर्जित कर ली है लिहाजा कभी दलित की बेटी कहीं जाने वाली मायावती को अब उनकी पार्टी और दलित समुदाय के लोग ही दौलत की बेटी कहने लगे हैं ।
सुश्री मायावती की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाति विशेष पर केन्द्रित थी जबकि आज की जनता पूर्णतया जागरूक हो गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के परिणाम ने यह जता दिया है कि जनता को अब जातिगत पार्टी का साथ नहीं बल्कि समाज की दशा सुधारने और समाज को नई दिशा देने वाले राजनीतिक पार्टी का साथ चाहिए। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी का सफाया होना पार्टी के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे पूर्व 2014 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी शून्य पर थी जबकि लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद पार्ट लोकसभा की 10 सीट जीतने में सफल रही । बाद में मायावती ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर गठबंधन तोड़ लिया ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम से यह संकेत मिल रहा कि जाति आधारित राजनीति करने वाली सुश्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी का उत्तर प्रदेश की सत्ता में आना नामुमकिन है। फर्श से अर्श तक पहुंच कर बुलंदी की तकदीर लिखने वाली बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर वही आ पहुंची है जहां से चली थी । बहुजन समाज पार्टी का भविष्य पूरी तरह अंधकारमय दिखाई दे रहा है । सत्ता और सियासत कभी भी चिरकालीन और स्थाई नहीं होती , बदलाव निश्चित ही है । अगर बहुजन समाज पार्टी भविष्य में अपनी विचारधाराओं को बदल कर सत्ता में वापसी करती है तो यह भी एक चमत्कार होगा । बहरहाल पार्टी का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है ।
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।
नए ब्लॉग पोस्ट
आईए आईए, कह कर नेता जी ने एक गरीब किसान से हाथ मिलाया और बोले, देखिए एक गरीब आदमी से भी मै हाथ मिला लेता हूं। ये एक बड़े नेता की निशानी होती है। आप जैसे फटीचर और गरीब मेरे घर के दरवाजे के भीतर चुनाव के घोषणा के बाद निडर होकर आते हैं, ये मेरी .....
Read More
डॉ. ए. पी.जे. अब्दुल कलाम को आज कौन नहीं जानता। ये भारत के राष्ट्रपति रह चुके हैं। और इन्हें लोग मिसाइल मैन भी कहते हैं। इनका जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा। इनके जीवन के बारे में थोड़ा सा प्रकाश डालना चाहूंगी।
इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931ई. में तमिलनाडु..
Read More
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "Rock Salt" सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है..
Read More
भोजपुरी भाषा के तुलसीदास कहे जाने वाले रामजियावन दास वावला जी का जीवन परिचय आद्योपांत। खले खले के जाती धरम करम रीति रिवाज बोली भाषा के मिलल जुलल बहुते विचित्रता से भरल बा भारत. भारत जईसन देशवा घर परिवार समाज की खतिर घमंड के बात बा.अईसन माटी ह जेकरे...
Read More
नन्दलाल मणि त्रिपाठी का साक्षात्कार
Read More
जीवन के अनेक बिंबों को एक ग़ज़ल के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, आशा करता हूँ आपको रचना पसंद आएगी।
Read More