डॉ निशंक शोध लेख

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ब्लॉग प्रेषक: नन्दलाल मणि त्रिपाठी
पद/पेशा: सेवा निबृत्त प्रचार्य
प्रेषण दिनांक: 25-01-2024
उम्र: 62 वर्ष
पता: C-159 Divya Nager Colony Post-Khorabaar Gorakhpur-273010 utter pradeshNear shree hospital
मोबाइल नंबर: 09889621993

डॉ निशंक शोध लेख

डॉ निशंक जी का दैदीप्यमान बहुआयामी व्यक्तित्व -

(A)-

जीवन परिचय -

रमेश पोखरियाल निशंक किसी परिचय सम्मान के मोहताज नही जैसा की नाम है निशंक निडर वेवाक विद्वत मनीषी  पुरुषार्थ पराक्रम  ऊर्जा के आदर्श प्रेरक प्रेरणा  व्यक्तित्व वर्तमान में समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए है चाहे वह युवा हो ,प्रौढ़ हो ,बृद्ध हो, किशोर हो ,बचपन हो, नारी हो ,पुरुष हो या समाज राष्ट्र के किसी भी विधा ,अध्याय, आयाम से जुड़ा कर्मयोद्धा, कर्मयोगी हो निशंक जी वास्तव में व्यक्ति नही व्यक्तित्व कि पूर्णता संपूर्णता कि युग चेतना जागृति जागरण के सत्यार्थ है ।

निशंक जी का जन्म 15 जुलाई 1958 को उत्तर प्रदेश वर्तमान में उत्तराखंड के पौड़ी ग्राम में परमानंद एव विश्वम्भरी देवी के पुत्र के रूप में हुआ श्री नगर गढ़वाल हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ आर्ट एव पी एच डी , डी लिट् हानर्स6 की शैक्षिक उपाधियों से विभूषित है ।

अनेको शैक्षिक गतिविधियों से जुड़ने के साथ साथ शैक्षिक  संस्थाओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है जो वर्तमान एव भविष्य में राष्ट्र एव समाज को दिशा दृष्टि प्रदान करती है।

निशंक जी का विवाह कुसुम कांत पोखरियाल जी से हुआ ।

निशंक जी के साहित्य के लिए विद्वत मनीषियों के विचार-

(अ)-

अंतरराष्ट्रीय विचार-

(क)-

डॉ नवीन रामगुलाम प्रधान मंत्री मॉरिशस गणराज्य - 

राजनीति में अत्यंत व्यस्त होने के वावजूद निरंतर लेखन डॉ निशंक कि साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाता है ।उनका लेखन राष्ट्र एव लोंगो को आपस मे जोड़ता है।

(ख)-

डॉ अनिरुद्ध जगन्नाथ महामहिम राष्ट्रपति मॉरिशस गणराज्य -

#डॉ रमेश पोखरियाल निशंक साहित्यिक विधाओं का बेजोड़ संगम है उनकी कविताएं जहाँ एक ओर आप जन को राष्ट्रीयता कि भावना से जोड़ती है ,वही उनकी कहानियां पाठकों को आम आदमी के दुःख दर्द एव यथार्थता से परिचित कराती है।मैं गर्व से कह सकता हूँ कि मैं भारत के ऐसे व्यक्ति से मिला हूँ जो विलक्षण,विनम्र, उदार हृदय,राष्ट्रभक्त, प्रखर एव संवेदनशील साहित्यकार है#

(ग)-

पद्मश्री रस्किन बांड- 

डॉ निशंक कि रचनाएं पिछड़े एव गरीब तबके की पीड़ा को सामने लाता है ।जो समूर्ण विश्व के संघर्ष को प्रदर्शित करता है।

(घ)-

सुप्रसिद्ध अमेरिकी लेखक -डेविड फाऊले -

मैंने डॉ निशंक कि महान कृति #ए वतन तेरे लिए #को पढा समझा और उसका मनन किया# 

#मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हिमालय से निकली निशंक कि गंगामयी काव्य धारा राष्ट्र के निर्माण में नींव का पत्थर बनेगी ।डॉ निशंक ने कवि के रूप में दैदीप्यमान सूर्य की तरह सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है ।उनकी अबाध साहित्य यात्रा हिंदी साहित्य कि संबृद्धी एवं श्री वृद्धि में बड़ी भूमिका निभाएगी #

(आ)

राष्ट्रीय विद्वत मनीषियों के विचार -

(च)-

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम- मैंने निशंक कि महान कृति

# ए वतन तेरे लिए # पढ़ा समझा और उनका मनन किया ।

#मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हिमालय से निकली निशंक कि गंगामयी काव्य धारा राष्ट्र के निर्माण में नींव का पत्थर बनेगी ।डॉ निशंक ने कवि के रूप में दैदीप्यमान सूर्य कि तरह सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है ।उनकी अबाध साहित्यिक यात्रा हिंदी कि सबृद्धि एव श्री बृद्धि में बड़ी भूमिका निभाएंगी#

(छ)-

अटल बिहारी बाजपेयी जी भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री- 

#सक्रिय राजनीति में रहते हुए भी जिस तरह से डॉ निशंक साहित्य के क्षेत्र में निरंतर संघर्षरत है वह आम आदमी के बस की बात नही है ।मुझे पूर्ण विश्वास है कि वे अपनी लेखनी के द्वारा देश के नीति नियंताओं के समक्ष विभिन्न मुद्दों को लेकर अनेक प्रश्ब खड़े करते रहेंगे#

(ज)-

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन- 

#शब्द कभी नही मरते ।डॉ निशंक के देश भक्तिपूर्ण गीत सदैव लोंगो कि जुबां पर रहेंगे#

(झ)

डॉ हरिवंश राय बच्चन विख्यात साहित्यकार -

#समर्पण एव नवांकुर कि कविताएं अत्यंत सुंदर है ।सरल एव सरस भाषा के माध्यम से कवि बहुत कुछ कह गया है#

(ट)-

पद्म श्री रामानंद सागर ,फ़िल्म निर्माता - 

#मैं हमेशा से ही निशंक कि राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण कविताओं से प्रभावित रहा हूँ ।मैंने उन्हें सदैव राष्ट्र कवि के रूप में देखा है#

(B)

डॉ निशंक जी की साहित्यक जीवन यात्रा -

निशंक जी बचपन से ही कविता कहानियां लिखते रहे है उनका पहला कविता संग्रह 1983 में समर्पण प्रकाशित हुआ अब तक उनके दस कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके है बारह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके है दस उपन्यास दो पर्यटन ग्रंथ छः बाल साहित्य दो व्यक्तिव विकास सहित कुल चार दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है आज भी अनेको राजनीतिक सामाजिक जिम्मीदारियो एव व्यस्तताओं के वावजूद लेखन कार्य निर्वाध रूप से जारी है ।

रमेश पोखरियाल निशंक जी मूलतः साहित्यिक विधा के व्यक्ति है उनके द्वारा अब तक हिंदी की तमाम विधाओं में कविता, उपन्यास ,खण्ड काव्य, लघु कहानी संग्रह ,यात्रा साहित्य  आदि प्रकाशित साहित्य कृतियों के द्वारा उन्हें साहित्य में सम्मान जनक स्थान प्राप्त है।

निशंक जी राष्ट्रवाद भावना के दैदीप्यमान व्यक्तित्व है इसी कारण उनका नाम राष्ट्रकवियों में सम्मिलित है ।

निशंक जी द्वारा रचित साहित्य कि अनमोल धरोहरों का अनुबाद जर्मन ,फ्रेंच,अंग्रेजी,तेलगु,मलयालम,मराठी आदि अनेको भाषाओं में किया जा चुका है ।

उनके साहित्य को चेन्नई तथा हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी के साहित्य पर अब तक अनेको शिक्षा विदों ने जैसे श्यामधर तिवारी,डॉ विनय डबराल,डॉ नागेंद्र,डॉ सविता मोहन ,डॉ नंद किशोर ,डॉ सुधाकर तिवारी आदि द्वारा शोध कार्य किया गया पी एच डी लिखी गयी है।

डॉ निशंक के साहित्य पर कई राष्ट्रीय एव अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालयो गढ़वाल विश्वविद्यालय, कुमायूं विश्वद्यालय,उत्तराखंड सागर, विश्विद्यालय, मध्यप्रदेश रूहेलखंड विश्विद्यालय ,मद्रास विश्विद्यालय ,हैबर्ग विश्विद्यालय ,जर्मनी, लखनऊ विश्विद्यालय तथा मेरठ विश्वविद्यालय में शोध कार्य जारी है ।

3-

डॉ निशंक जी कि प्रमुख कृतियाँ- 

1-रोशनी कि एक किरण 1986

2-बस एक ही इच्छा 1989

3-क्या नही हो सकता 1993

4-भीड़ साक्षी है 1993 

5-एक और कहानी  प्रमुख है। 

इसके अतिरिक्त भी अनेको कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके है उपन्यास संग्रह - 

1-मेजर निराला 1997 

2-पहाड़ से  ऊंचा 2000 

3- बीरा 2008 

4- निशांत 2008 प्रमुख है।। इसके अलावा भी कई उपन्यास प्रकाशित हो चुके है निशंक जी के 

4-

प्रमुख लेख -

1-हिमालय का महाकूम्भ नांदा देवी राज जात पारम्परिक यात्रा 2009 

2-स्पर्श गंगा उत्तराखंड खण्ड कि पवित्र नदियां 

3-आओ सीखे कहानियों से (बाल कहानियां हिंदी एव अंग्रेजी) 2010 

4-सफलता के अचूक मंत्र (व्यक्तित्व विकास हिंदी एव अंग्रेजी) 

5-कर्म पर विश्वास करें भाग्य पर नही (व्यक्तित्व विकास )2011 

5-

विबिन्न भाषाओं में अनूदित कृतियां-

1-खड़े हुए प्रश्न (कहानी संग्रह)  kelvikku ennabathil तमिल 

2- ऐ वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) tayanade unakkad तमिल 

3- ऐ वतन तेरे लिए (कावित संग्रह) janmabhoomi तेलगु 

4-भीड़ साक्षी है  (कहानी संग्रह) the crowd bears witness (अंग्रेजी) 

5- बस एक ही इच्छा (कहानी संग्रह) nur ein wunsch (जर्मन)

(C)

पुरस्कार एव सम्मान- 

1-मॉरीशस गणतंत्र द्वारा देश के सर्वोच्च मॉरीशस सम्मान से ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडियन ओरिजन (गोपियों) द्वारा असाधारण उपलब्धि सम्मान।

2-देश विदेश कि अनेक साहित्यिक एव सामाजिक संस्थाओं द्वारा राष्ट्र गौरव भारत गौरव, प्राइड ऑफ उत्तराखंड, एव यूथ आई कांन एवार्ड ।

3- भारत सरकार द्वारा# हिमालय का महाकूम्भ -नंदा राज जात # पुस्तक पर राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार।

4- अंतराष्ट्रीय मुक्त विश्वद्यालय कोलंबो द्वारा शाहित्य के क्षेत्र में डी लिट् की मानद उपाधि।

 5- पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा शाहित्य गौरव सम्मान ।

6- सुप्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता पद्मश्री रामानन्द सागर एव मुम्बई कि बिभन्न शाहित्य संस्थाओं द्वारा शाहित्य चेता सम्मान। 

7-असाधारण एव उत्कृष्ट शाहित्य सृजन हेतु श्रीलंका,हॉलैंड,नॉर्वे,जर्मनी, एव मास्को में सम्माननित।

8-हिंदी गौरव सम्मान

 9-साहित्य भूषण सामान 

10- साहित्य मनीषी सम्मान 

11- हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) द्वारा विद्या वाचस्पति ।

12- नालंदा विद्यापीठ बिहार द्वारा साहित्य वाचस्पति कि उपाधि।

13-साहित्य तथा राजनीति में उत्कृष्ट योगदान हेतु डॉ निशंक को राष्ट्रीय एव अंतराष्ट्रीय स्तर पर 300 से अधिक संस्थाओं एव संगठनों द्वारा सम्माननित किया गया।।

  (D)-

राजनैतिक जीवन-

पोखरियाल जी भारतीय जनता पार्टी के समर्पित निष्ठावान एव जुझारू कार्यकता एव नेता है सर्व प्रथम 1991 में कर्ण प्रयाग से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए तदुपरांत 1993 एव 1996 में भी कर्ण प्रयाग से निर्वाचित हुए 1997 में उत्तरप्रदेश सरकार में उत्तराखंड विकास मंत्री के रूप में कार्य किया सोलहवीं लोकसभा के लिए सांसाद निर्वाचित हुए और 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद कि चुनौतीपूर्ण जिम्मीदारियो का बड़ी जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन किया वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के सांसाद है ।1991 से 2012 तक उत्तर प्रदेश एव उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य रहे 1997 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह जी के मंत्रिमंडल में पर्वतीय विकास मंत्री के रूप में कार्य किया 1999 में रामप्रकाश गुप्त के मंत्रिमंडल में संस्कृति मंत्री के रूप में कार्य किया वर्ष 2000 में उत्तराखंड नए राज्य के निर्माण के बाद 12 विभगो के मंत्री के रूप में अपनी जिम्मीदारियो का बाखूबी निर्वहन किया 2007 में पुनः स्वास्थ एव1 विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मीदारियो का उत्तराखंड सरकार1 के मंत्री के रूप में निर्वहन किया 2009 में उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मीदारियो का निर्वहन किया 2012 में डोईवाला से विधायक निर्वाचित हुए डोईवाला से विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद हरिद्वार से 2014 में सांसद चुने गए लोक सभा मे बिभन्न समितियों के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया 1।उत्तराखंड के मुख्य 

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मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान-

मुख्यमंत्री के रूप में कार्य काल - निशंक जी उत्तराखंड के पांचवे मुख्यमंत्री के रूप में अपने राजनैतिक कौशल सूझ बूझ ज्ञान एव प्रभावी नेतृव संवाद उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर एव हरिद्वार को सम्मिलित करने जैसे जटिल एव संवेदनशील विषयो को सुलझाया ।अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिमालयी संस्कृति को लाने के लिए अनगिनत सफल प्रयास किये ।लघुउद्योगो को प्रोत्साहित किया केंद्रीय बिक्री कर 4 प्रतिशत से 1 प्रतिशत कम किया राज्य में सभी आवश्यक वस्तुओं के लिए 364 डिपो कि स्थापना की जिसके कारण 62 करोड़ से बढ़कर राजस्व  128 करोड़ हुआ कुल संग्रह 575 करोड़ से बढ़कर 1100 करोड़ हुआ ।विज्ञान एव प्रौद्योगिकी कि सहायता से पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोंगो कि जीवन शैली स्तर बढ़ाने अनेको योजनाओं का शुभारम्भ किया ।गंगा नदी कि स्वच्छता के लिए स्पर्श गंगा अभियान का शुभारंभ किया।

 (F)-

मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में - 

मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में ऐसे समय मे जिम्मीदारियो का बहुत  गम्भीरत पूर्वक निर्वहन किया जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना जैसी महामारी के  दौर से गुजर रहा था जिसके कारण आम जन जीवन अस्त व्यस्त था आर्थिक ,सामाजिक ,शैक्षणिक गतिविधियों पर संक्रमण का ताला लग चुका था ऐसे समय मे भी सूझ बूझ एव अनुभव दक्षता से शैक्षणिक वातावरण को बनाये रखने के लिए ऑन लाइन क्लासेज कि अवधारणा को मूर्तरूप प्रधान करने में अहम भूमिका का निर्वहन किया जिसके कारण भारत कि शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चल सकी ।नई शिक्षा नीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निशंक जी कि रही ।

(G)

 निष्कर्ष - 

रमेश पोखरियाल निशंक एक ऐसा नाम व्यक्ति ही नही व्यक्तित्व कि विराटता के जीवेत जाग्रत काल समय कि परिभाषा पराक्रम के पुरुषार्थ है एव हिंदी साहित्य के लिए नई चेतना के सामाजिक राष्ट्रीय दृष्टा है जो उनके रचनाधर्मिता का मूल है ।चिंतक ,विचारक, एव विनम्र मानवीय मौलीक मूल्यों के साहित्यक सृष्टा जो राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय सामाजिक सामयिक परिवेश में भविष्य के लिए दिशा दृष्टि प्रदान करने में सक्षम है।निशंक जी पूर्णता संपूर्णता के बहुआयामी विराट व्यक्तित्व हैं निर्विवाद निर्विरोध सत्य है।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर, गोरखपुर, उतर प्रदेश

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