| ब्लॉग प्रेषक: | Sneh Singh(Author) |
| पद/पेशा: | Writer |
| प्रेषण दिनांक: | 19-09-2025 |
| उम्र: | XX |
| पता: | Lda Lucknow |
| मोबाइल नंबर: | 9453749772 |
गुमनाम वेश्यावृत्ति
।। गुमनाम ।।
(वेश्यावृत्ति)
वेश्यावृति की शुरुआत लगभग 2400 ईसा पूर्व मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता में हुई थी । जहां ऊरूक के मंदिरों में इसे एक कानूनी और सामाजिक प्रथा के रूप में अपनाया गया था यह सभ्यता के साथ साथ विकसित हुई और प्राचीन सभ्यताओं में इसके कई रूप भी देखे गए
वेश्यावृति को धन या वस्तुओं के बदले यौन संबंधों के रूप में देखा जाता था और यह कभी एक सम्मानित व्यापार तो कभी एक सामाजिक कलंक के रूप में मौजूद रही
प्राचीन काल मेसोपोटामिया से लेकर इजरायल,रोमन साम्राज्य और भारतीय उपमहाद्वीप तक वेश्यावृत्ति का अस्तित्व रहा ।भारत में,कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी गणिकाओं का उल्लेख मिलता हैं जो राज्य के लिए आय का स्रोत थी ।
वेश्यावृत्ति ने समय के साथ कई रूप लिए हैं और आज दुनिया के कई देशों में इसे विभिन्न कानूनी दर्जे भी प्राप्त हैं जहां,या तो अवैध हैं या सरकार द्वारा नियंत्रित ।
भारत में वेश्यावृत्ति वैदिक काल में देव दासी प्रथा से शुरू होकर मुगल काल की तवायफों और फिर ब्रिटिश शासन के दौरान हुए यौन शोषण तक फैला हैं आधुनिक समय में इसे "अनैतिक"व्यापार रोकथाम अधिनियम 1956 के तहत नियंत्रित भी किया गया है हालांकि इस पेशे में मानव तस्करी एक गंभीर समस्या हैं और यौनकर्मियों के अधिकारों का संरक्षण एक सतत चुनौती
ब्रिटिश शासन काल में वेश्यावृत्ति को बढ़ावा दिया गया और विनियमित किया गया और "संक्रामक रोग अधिनियम 1864" के तहत इस पेशे को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया गया
पारंपरिक उद्योगों पर प्रतिबन्ध के कारण कई समुदाय आजीविका के लिए वेश्यावृत्ति पर निर्भर हो गए
भारत में किसी भी शहर में वेश्यावृत्ति का सटीक प्रतिशत नहीं हैं लेकिन कुछ शहरों में वेश्यावृत्ति के प्रमुख केंद्र हैं जिनमें कोलकाता का सोनागाछी (एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट क्षेत्र)
मुंबई का कमाठीपुरा और पुणे का बुधवार पेठ शामिल हैं पश्चिम बंगाल में भारत की सबसे ज्यादा महिलाएं यौनकर्मी (FSW)हैं जो देश की कुल अनुमानित 1.82 मिलियन फेज का लगभग 25%हिस्सा हैं
यह एक अवैध और अनौपचारिक पेशा हैं
भारत में वेश्याओं की संख्या 30 लाख से 1 करोड़ के बीच हैं
भारत में वेश्यावृत्ति कानूनी हैं लेकिन इससे संबंधित कई गतिविधियां जिनमें वेश्यावृत्ति , कर्ब क्रॉलिंग,वेश्यालय का मालिक होना या उसका प्रबंधन करना ,किसी होटल में वेश्यावृत्ति बाल वेश्यावृत्ति,दलाली या पैडरिंग अवैध हैं
भारत को व्यापक रूप से दुनिया के सबसे बड़े वाणिज्यिक सेक्स उद्योग में से एक माना जाता हैं यह सेक्स पर्यटकों क्विक वैश्विक केंद्र बनकर उभरा हैं जो अमीर देशों से सेक्स पर्यटकों को आकर्षित करता हैं भारत में सेक्स उद्योग बहु अरब डॉलर का हैं और सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र हैं
चीन,भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे अधिक वेश्याओं वाला देश हैं
मुंबई का कमाठीपुरा वेश्यालय की रेड लाइट एरिया को ही हाइलाइट करके साल 2022 में संजय लीला भंसाली जी द्वारा एक पिक्चर बनाई गई थी जिसका नाम था गंगुबाई काठियावाड़ी जिसमें गंगुबाई के चरित्र को दमदार और हक के लिए लड़ने वाला दर्शाया गया हैं यह पिक्चर जैदी की किताब के एक अध्याय पर आधारित हैं
गंगुबाई का चरित्र वैसे तो अभिनेत्री आलिया भट्ट ने निभाया हैं पर वास्तव में गंगुबाई 1960 दशक की एक सामाजिक कार्यकर्ता, वेश्या और मुंबई के कमाठीपुरा इलाके की एक वेश्यालय की मैडम थी जिनका असली नाम गंगा हरजीवनदास था उन्होंने यौनकर्मियों के अधिकारों के लिए काम किया वेश्यावृत्ति को वैध बनाने का प्रयास किया
इनका जन्म गुजरात के काठियावाड़ में एक सम्पन्न परिवार में हुआ लेकिन प्यार में धोखा खाने के बाद उन्हें मुंबई के एक वेश्यालय में बेच दिया गया
इन्होंने वेश्यावृति के दौरान 4 बच्चों को गोद लिया था इन्होंने अंडरवर्ल्ड के साथ संबंध के कारण क्षेत्र में एक शक्तिशाली प्रभाव बनाया
देह व्यापार पूरी दुनिया में आज भी महिलाओं की दैहिक स्वतन्त्रता पर कलंक हैं भारत जैसे देशों में जहां स्त्री को पूज्य माना जाता हैं वहां भी महिला देह व्यापार जैसे घिनौने व्यवसाय में उतरने को मजबूर हैं हालांकि,1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता दी गई पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्ते जोड़ी गई जिसमें सार्वजनिक यौन प्रक्रियाओं को अपराध माना गया यहां तक कि इसमें सजा का प्रावधान भी रखा गया
1 पुणे का बुधवार स्थान भी देश के फेमस रेडलाइट एरिया में से एक हैं यहां बड़ी संख्या में नेपाली लड़कियां देह व्यापार में संलिप्त हैं
2 महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में इतवारी इलाके में गंगाज़मुना इलाका हैं जहां वेश्यावृत्ति चलती हैं
3 ग्वालियर मध्यप्रदेश के रेशमपुरा एक बड़ा रेडलाइट एरिया हैं यहां देह व्यापार के लिए विदेशी लड़कियों के साथ मॉडल्स और कॉलेज गर्ल्स भी शामिल हैं
4 यूं तो इलाहाबाद पवित्र नदियों का संगम हैं पर मीरगंज इलाहाबाद के इतिहास इलाके में भी यह व्यापार काफी लंबे समय से जड़े जमाएं हुए हैं जानकारों के अनुसार देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू का जन्म यही हुआ था हालांकि इसके पुख्ता प्रमाण नहीं हैं जानकारी के अनुसार यहां पुराने रहीस जमींदार मुजरा देखने आते थे यहां पर अवैध तरीके से देह व्यापार चलता हैं कभी यह इलाका शिक्षा का केंद्र रहा हैं और अब यह स्थान कोठे के लिए मशहूर हैं
5 और ऐसे ही उत्तरी बिहार मुजफ्फरनगर, शिवदासपुर वाराणसी और पश्चिमी यूपी मेरठ का कबाड़ी बाजार , जीबी रोड दिल्ली ये तमाम शहरों के इलाके रेडलाइट एरिया के अंतर्गत आते हैं
वेश्यावृत्ति को रोकने के लिए कानूनी उपाय ,जागरूक अभियान,शिक्षा और आजीविका के अवसर प्रदान करना और सामाजिक कलंक को कम करना आवश्यक हैं
भारत में PITA एक्ट से आशय अनैतिक व्यापार रोकथाम 1956 (immoral traffic prevention act) से हैं जिसे बाद में 1986 में संशोधित किया गया था यह कानून मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति से जुड़े अन्य अनैतिक कार्यों की रोकने और दंडित करने के लिए बनाया गया हैं यह अधिनियम महिलाओं और बच्चों का शोषण करके अनैतिक व्यापार में शामिल वेश्यावृत्ति,देह व्यापार और अन्य गतिविधियों पर रोक लगाता हैं
धारा 3 4 5 का उल्लेख मुख्य रूप से अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत होता हैं जो वेश्यावृत्ति से जुड़े अपराधों से जुड़ा हैं
धारा 3 वेश्यालय चलाने या वेश्यावृत्ति के लिए परिसर के उपयोग की अनुमति देने को दंडित करती हैं
धारा 4 वेश्यावृत्ति से प्राप्त कमाई पर जीवन यापन करने को दंडित करती हैं
धारा 5 वेश्यावृत्ति के लिए किसी व्यक्ति को प्राप्त करने या ले जाने के लिए दंड का प्रावधान करती हैं
अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम जिसे पहले महिलाओं और लड़कियों के अनैतिक व्यापार (SITA) के रूप ने जाना जाता था को 1986 में संशोधित करके नया नाम दिया गया था
अपराधों के निवारण में पुलिस की भूमिका इस कानून के अंतर्गत वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं, धनार्जन के लिए देह, व्यापार करने वाली महिलाओं एवं वेश्यागृह के संचालन में लिप्त अथवा सहयोग करने वाली स्त्री ,अथवा पुरुष को दंड करने का प्रावधान हैं
ऐसे ही तमाम से नियम और कानून बनाए गए हैं वेश्यावृत्ति की रोकथाम के लिए
कभी किसी ने भी समझने की कोशिश की हैं कि एक आम से दिखने वाली महिला या लड़की इस पेशे में कैसे आ जाती हैं मुझे जितना लगता हैं अपनी मर्जी से 100 में 90 % महिला या लड़कियां नहीं आती होगी । उनकी कोई मजबूरी रहती होगी जैसे कि आर्थिक समस्या !
और कुछ तो धोखे का शिकार होती हैं उस वजह से इस दलदल में फंस जाती हैं और निकल नहीं पाती ताउम्र!
और समय बीतने के साथ इस माहौल की आदी हो जाती हैं और इस पेशे को ही अपने आजीविका का साधन समझ लेती हैं और कई पीढ़ी इसी तरह अपना जीवन यापन कर लेती हैं
वेश्यावृत्ति को जड़ से तो फिलहाल देश या विदेशों से समाप्त नहीं कर सकते
फिर भी,अगर जो नारी जाती इसमें लिप्त हैं अगर उन्हें अन्य तरह के आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाएं तो वो इस मजबूरी के व्यापार से कोसों दूरी बना सकती हैं और अपना जीवन यापन शान और मान सम्मान के साथ कर सकती हैं
मेरा इस विषय पर लिखने का आशय समाज की गंदगी जिसको(वेश्यावृत्ति )मानते हैं यह था कि
इंसान की सोच कलुषित हो सकती हैं दिमागी दायरा विचार का संकीर्ण हो सकता हैं पर अगर हम चाहे तो कीचड़ में भी कमल खिला सकते हैं
हैरान! कर देने वाली बात यह हैं कि इस व्यापार में जितने भी पुरुष वर्ग शामिल होते आ रहे हैं वो अच्छे खासे सम्मानित और नामी खानदान से होते हैं फिर दोष आखिर,
उस महिला जाति का क्यूं! सबको नजर आता हैं
मेरा कहने का मतलब हैं ताली एक हाथ से नहीं बजती कभी
शरीर का अगर एक अंग खराब होता हैं तो उसका उपचार किया जाता हैं उसी तरह समाज में व्याप्त बुराई को समाप्त करते हैं ना कि इंसानी वजूद को मिटाते हैं ।।
सामान्यतः लेखक इस शीर्षक पर लिखना पसंद नहीं करेंगे पर अगर बुराई में भी अच्छाई ढूंढी जाएं तो कोई बात हैं साहब!
मेरी कलम की स्याही से कुछ गलत शब्द गर बिखरे हो कागज की फर्श पर तो मैं तहे दिल से क्षमा योग्य हूं
पर मेरी स्याही के रंग सदैव उन तथ्यों की दास्तां को उजागर करती रहेगी जो अन्य लेखक करने से कतराते हैं
क्योंकि मेरा मकसद समाज के हर वर्ग ,हर कमी को एक नया मोड़ देना हैं
मेरी कलम की निरंतर एक खोज
स्नेहा सिंह
Author
कानपुर नगर उत्तर प्रदेश
श्रेणी:
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।
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