अति संक्षेप शोध सारांश:
प्रस्तावना\r\n\r\nसंत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महर्षि, परंपरा और मानवता विषय पर मैंने अपना शोध कार्य किया है।\r\n\r\nबचपन से आध्यात्मिक प्रभाव मेरे जीवन पर पड़ा इस कारण मैंने सोचा इस विषय पर गहन अध्ययन करूं। इस शोध कार्य को करते समय ज्ञात हुआ कि संत किसे कहते हैं, उनके क्या गुण हैं, महात्मा कैसे, कौन होते हैं।\r\n\r\nउन्होंने समाज के लिए क्या किया। ऋषि, मुनि, महर्षि कौन–कौन से हैं। उनका समाज में क्या स्थान था, है। उन्होंने कौन–कौन से ग्रंथों की रचना की, उनकी रचनाओं का आज की आधुनिक, वैज्ञानिक भौतिक युग में क्या प्रभाव पड़ सकता है?\r\n\r\nमानवता का संदेश सभी संत, महात्मा, मुनि, ऋषि महर्षियों ने दिया है। उनकी यह देन आज के मानव प्राणी के लिए अति आवश्यक है।\r\n\r\nइस विषय को मैंने सात अध्यायों में बांटा है।\r\n\r\nप्रथम अध्याय\r\n\r\nसंत किसे कहते हैं। (1) संत तुलसीदास (2) संत कबीरदास (3) संत मीराबाई (4) संत नरसी मेहता (5) गुरु नानक देव (6) संत ज्ञानेश्वर (7) संत समर्थ रामदास स्वामी (8) संत जनाबाई (9) संत नामदेव (10) संत बहिणाबाई (11) संत झूलालाल (12) सिंधी समाज के संत (13) संत गोरखनाथ (14) संत कनकदास (15) संत एकनाथ (16) संत सूरदास (17) संत मुकताबाई (18) संत तुकाराम (19) संत दादू (रवदास)।\r\nकुल 19 संतों की रचनाएं, उनके जीवन की घटनाएं, जीवन किए गए सत्कर्मों का वर्णन किया गया है।\r\n\r\nद्वितीय अध्याय\r\n\r\nमहात्मा किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा (व्याख्या) देकर कुल 18 महात्माओं का वर्णन किया है।\r\nमहात्मा गौतम बुद्ध\r\nमहात्मा महावीर स्वामी\r\nशंकराचार्य\r\nअव्वयार\r\nनागार्जुन बौद्ध भिक्षु\r\nरामानुजाचार्य\r\nमाधवाचार्य\r\nचैतन्य महाप्रभु\r\nश्री बल्लभाचार्य\r\nस्वामी रामानंद\r\nरज्जबकूर\r\nकवि कबीर\r\nसंत महात्मा शंकर देव\r\nसायणाचार्य\r\nमाधवाचार्य\r\nगुरु नानक देव\r\nमहात्मा गांधी\r\nमहात्मा ज्योतिबा फुले\r\nइन सभी महात्माओं का क्षेत्र (कार्यक्षेत्र), उनकी रचनाओं एवं इनके समाज के लिए योगदान और आज के युग में उनके ज्ञान विचारों की कितनी आवश्यकता है, इस सबका उल्लेख किया गया है।\r\n\r\nतृतीय अध्याय\r\n\r\nऋषि किसे कहते हैं? इस शोध के अंतर्गत प्रथम सप्त ऋषियों का परिचय साथ ही सात ऋषियों के ग्रंथ रचना, उनके किए गए आचार्यों के महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन किया गया है।\r\nप्रथम ऋषि कश्यप, द्वितीय ऋषि अत्रि, तृतीय ऋषि भारद्वाज, चतुर्थ ऋषि गौतम, पंचम ऋषि विश्वामित्र, षष्ठ ऋषि जमदग्नि, सप्तम ऋषि वशिष्ठ।\r\nअयोध्या राजाराम के राज्यगुरु वशिष्ठ ऋषि। इनका विस्तृत जीवन परिचय कार्यों का वर्णन किया गया है।\r\n\r\nचतुर्थ अध्याय\r\n\r\nइसमें विश्व के प्रथम पत्रकार नारद मुनि। मुनि किसे, क्यों कहा जाता है। साथ ही (2) अत्रि मुनि (3) पुलस्त्य मुनि (4) कर्दम मुनि (5) पंचशिख आचु मुनि, इनके जीवन की जानकारी उनके ग्रंथ रचना के साथ दी गई है।\r\n\r\nपंचम अध्याय\r\n\r\nमहर्षियों का पूर्ण परिचय दिया गया है।\r\nमहर्षि व्यास ने समस्त पुराण किया।\r\nमहर्षि वेदव्यास जी चारों वेदों की रचना की। उनके रचना लेखन के वंशज गणेश जी।\r\nमहर्षि वाल्मीकि जी ने प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन गाथा रामायण लिखी। उनका नाम वाल्मीकि कैसे पड़ा, यह जानकारी दी।\r\nमहर्षि भृगु\r\nमहर्षि दधीचि\r\nमहर्षि कणाद\r\nमहर्षि पतंजलि\r\nमहर्षि पाणिनि\r\nके कार्यों का वर्णन किया गया है।\r\n\r\nषष्ठ अध्याय\r\n\r\nसंत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महर्षियों की परंपरा और मानवता पर आधारित है। जैसे कि अन्य अध्याय का विवेचन इनमें जानकारी लिखी गई है, पर इस अध्याय में मात्र सार–सार आवश्यक की जानकारी दी गई है।\r\n\r\nसप्तम अध्याय\r\n\r\nसंत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महर्षि सभी के साहित्य के और आचार्यों में मानवता के गुण है। आज के युग में उनके प्रवचन और अवलंबन ग्रंथों की उपयोगिता कितनी अहमद है, इस बात पर प्रकाश डाला गया है।\r\nअंतिम निष्कर्ष निकाला गया है।\r\n\r\nकुल सात अध्याय में शोधकार्य किया गया है, वैसे तो सभी अध्याय में संदर्भ दिए गए हैं, अंत में संदर्भ ग्रंथों की सूची दी गई है।\r\n\r\n– डॉ. लीला मोरे धुलधोये
| शोधार्थी | डॉ.लीला धुलधोये (मोरे) |
| पता | आशीष सदन, स्कीम नो.71, सेक्टर A, मकान नो. 308 K गणेश चौक, जिला- इंदौर, मध्यप्रदेश पिन- 452009 |
| मोबाइल नंबर | 7000836656 |
| ई-मेल | asmita.d2006@gmail.com |
| प्रकार | ई-बुक/ई-पठन |
| भाषा | हिंदी |
| कॉपीराइट | हाँ |
| पठन आयु वर्ग | सभी लोग |
| कुल पृष्टों की संख्या | 421 |
| ISBN(आईएसबीएन) | NA |
| शोध संस्थान का नाम | दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र |
| Publisher/प्रकाशक | दिव्य प्रेरक कहानियाँ, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र |
| अति संक्षेप शोध सारांश | प्रस्तावना\r\n\r\nसंत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महर्षि, परंपरा और मानवता विषय पर मैंने अपना शोध कार्य किया है।\r\n\r\nबचपन से आध्यात्मिक प्रभाव मेरे जीवन पर पड़ा इस कारण मैंने सोचा इस विषय पर गहन अध्ययन करूं। इस शोध कार्य को करते समय ज्ञात हुआ कि संत किसे कहते हैं, उनके क्या गुण हैं, महात्मा कैसे, कौन होते हैं।\r\n\r\nउन्होंने समाज के लिए क्या किया। ऋषि, मुनि, महर्षि कौन–कौन से हैं। उनका समाज में क्या स्थान था, है। उन्होंने कौन–कौन से ग्रंथों की रचना की, उनकी रचनाओं का आज की आधुनिक, वैज्ञानिक भौतिक युग में क्या प्रभाव पड़ सकता है?\r\n\r\nमानवता का संदेश सभी संत, महात्मा, मुनि, ऋषि महर्षियों ने दिया है। उनकी यह देन आज के मानव प्राणी के लिए अति आवश्यक है।\r\n\r\nइस विषय को मैंने सात अध्यायों में बांटा है।\r\n\r\nप्रथम अध्याय\r\n\r\nसंत किसे कहते हैं। (1) संत तुलसीदास (2) संत कबीरदास (3) संत मीराबाई (4) संत नरसी मेहता (5) गुरु नानक देव (6) संत ज्ञानेश्वर (7) संत समर्थ रामदास स्वामी (8) संत जनाबाई (9) संत नामदेव (10) संत बहिणाबाई (11) संत झूलालाल (12) सिंधी समाज के संत (13) संत गोरखनाथ (14) संत कनकदास (15) संत एकनाथ (16) संत सूरदास (17) संत मुकताबाई (18) संत तुकाराम (19) संत दादू (रवदास)।\r\nकुल 19 संतों की रचनाएं, उनके जीवन की घटनाएं, जीवन किए गए सत्कर्मों का वर्णन किया गया है।\r\n\r\nद्वितीय अध्याय\r\n\r\nमहात्मा किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा (व्याख्या) देकर कुल 18 महात्माओं का वर्णन किया है।\r\nमहात्मा गौतम बुद्ध\r\nमहात्मा महावीर स्वामी\r\nशंकराचार्य\r\nअव्वयार\r\nनागार्जुन बौद्ध भिक्षु\r\nरामानुजाचार्य\r\nमाधवाचार्य\r\nचैतन्य महाप्रभु\r\nश्री बल्लभाचार्य\r\nस्वामी रामानंद\r\nरज्जबकूर\r\nकवि कबीर\r\nसंत महात्मा शंकर देव\r\nसायणाचार्य\r\nमाधवाचार्य\r\nगुरु नानक देव\r\nमहात्मा गांधी\r\nमहात्मा ज्योतिबा फुले\r\nइन सभी महात्माओं का क्षेत्र (कार्यक्षेत्र), उनकी रचनाओं एवं इनके समाज के लिए योगदान और आज के युग में उनके ज्ञान विचारों की कितनी आवश्यकता है, इस सबका उल्लेख किया गया है।\r\n\r\nतृतीय अध्याय\r\n\r\nऋषि किसे कहते हैं? इस शोध के अंतर्गत प्रथम सप्त ऋषियों का परिचय साथ ही सात ऋषियों के ग्रंथ रचना, उनके किए गए आचार्यों के महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन किया गया है।\r\nप्रथम ऋषि कश्यप, द्वितीय ऋषि अत्रि, तृतीय ऋषि भारद्वाज, चतुर्थ ऋषि गौतम, पंचम ऋषि विश्वामित्र, षष्ठ ऋषि जमदग्नि, सप्तम ऋषि वशिष्ठ।\r\nअयोध्या राजाराम के राज्यगुरु वशिष्ठ ऋषि। इनका विस्तृत जीवन परिचय कार्यों का वर्णन किया गया है।\r\n\r\nचतुर्थ अध्याय\r\n\r\nइसमें विश्व के प्रथम पत्रकार नारद मुनि। मुनि किसे, क्यों कहा जाता है। साथ ही (2) अत्रि मुनि (3) पुलस्त्य मुनि (4) कर्दम मुनि (5) पंचशिख आचु मुनि, इनके जीवन की जानकारी उनके ग्रंथ रचना के साथ दी गई है।\r\n\r\nपंचम अध्याय\r\n\r\nमहर्षियों का पूर्ण परिचय दिया गया है।\r\nमहर्षि व्यास ने समस्त पुराण किया।\r\nमहर्षि वेदव्यास जी चारों वेदों की रचना की। उनके रचना लेखन के वंशज गणेश जी।\r\nमहर्षि वाल्मीकि जी ने प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन गाथा रामायण लिखी। उनका नाम वाल्मीकि कैसे पड़ा, यह जानकारी दी।\r\nमहर्षि भृगु\r\nमहर्षि दधीचि\r\nमहर्षि कणाद\r\nमहर्षि पतंजलि\r\nमहर्षि पाणिनि\r\nके कार्यों का वर्णन किया गया है।\r\n\r\nषष्ठ अध्याय\r\n\r\nसंत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महर्षियों की परंपरा और मानवता पर आधारित है। जैसे कि अन्य अध्याय का विवेचन इनमें जानकारी लिखी गई है, पर इस अध्याय में मात्र सार–सार आवश्यक की जानकारी दी गई है।\r\n\r\nसप्तम अध्याय\r\n\r\nसंत, महात्मा, ऋषि, मुनि, महर्षि सभी के साहित्य के और आचार्यों में मानवता के गुण है। आज के युग में उनके प्रवचन और अवलंबन ग्रंथों की उपयोगिता कितनी अहमद है, इस बात पर प्रकाश डाला गया है।\r\nअंतिम निष्कर्ष निकाला गया है।\r\n\r\nकुल सात अध्याय में शोधकार्य किया गया है, वैसे तो सभी अध्याय में संदर्भ दिए गए हैं, अंत में संदर्भ ग्रंथों की सूची दी गई है।\r\n\r\n– डॉ. लीला मोरे धुलधोये |
| अन्य कोई अभियुक्ति | Painting |
| पर्यवेक्षक/मार्गदर्शक | Bindu Parastey |
| अपलोड करने की तिथि | 22-08-2025 |