ब्लॉग प्रेषक: | अभिषेक कुमार |
पद/पेशा: | साहित्यकार, सामुदाय सेवी व प्रकृति प्रेमी |
प्रेषण दिनांक: | 02-04-2022 |
उम्र: | 32 |
पता: | आजमगढ़, उत्तर प्रदेश |
मोबाइल नंबर: | +919472351693 |
अतिथ्य सत्कार एवं प्रेम के एक मिशाल मोहम्मद सकील साहब
अतिथ्य सत्कार एवं प्रेम के एक मिशाल मोहम्मद सकील साहब
भारत बिभिन्न धर्म सम्प्रदायों के मिश्रण वाला देश है और यहाँ की सुरु से ही सभ्यता संस्कृति आपसी एकता, भाईचारे, प्रेम एवं सौहार्द से परिपूर्ण रहा है। यदि अतिथ्य सत्कार की बात हो तो इस देश की परम्परायें सुरु से ही समृद्ध रही है, यहाँ अतिथियों का आदर सत्कार देवतुल्य समझ के किया जाता रहा है पर यह बात अलग है कि आधुनिक भाग दौड़ झंझावातों कटुता भरी जीवन में इन अतिथी मर्यादाओं के इंसान दिन प्रतिदिन भूलता चला जा रहा है और बस औपचारिकता भर रह गई है।
आजमगढ़ के जिलाधिकारी श्री अमृत त्रिपाठी के गौवंश आश्रय स्थल से स्वयं सहायता समूहों के आर्थिक स्वालंबन की पहल के मध्यनजर आज मोहम्मदपुर ब्लॉक के नदवां ग्राम के दौरे पर था समूह दीदियों से गोबर दिया बनाने संबंधी प्रशिक्षण के सिलसिले में। तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के करीब था शरीर पसीने से तरबदर था। किसी पेड़ के छावं का तलास था तभी घूमते-घूमते एक घना झमटार पेंड के नीचे सुंदर सा बैठका नजर आया जहां आठ-दस कुर्शियां लगी थी और खाट भी मौजूद था और वहाँ कोई मौजूद नहीं था। मैं और मेरे साथ दो और ब्लॉक मिशन प्रबंधक मित्र वहीं आराम फरमाने लगें। कुछ पलों बाद एक व्यक्ति बाइक से वहीं आकर रुके और मुस्कुराएं और बोले अहो भाग्य जो आप सभी मेरे द्वार पधारे। मैंने उनका नाम पूछा तो अपना नाम उन्होंने मोहम्मद सकील बताया। हमलोगों ने भी अपना परिचय दिया तदुपरांत खैरियत आने के कारण संबंधित बाते हुई फिर मोहम्मद साहब ने कहा आपलोग बैठिये मैं घर जाकर कुछ जलपान की व्यवस्था बनाता हूँ, तो हमलोगों ने कहा मोहम्मद साहब इसकी जरूरत नहीं है बस हमलोग इस शीतल छावं में कुछ पल बिता रहे है आप परेशान न हो जलपान की जरूरत नहीं है। तभी उन्हीने हम अजनवियों से बड़े ही प्रेम से जिसमें अपनापन का आह्लाद टपक रहा हो मीठी स्वर में कहा बड़े भाग्य से अतिथि सत्कार का अवसर मिलता है यह अवसर हम कैसे जाने दें आप हमारे द्वार पधारे हैं बिना जलपान आदि के जाने ही नहीं देंगे, आप इस चिलचिलाती धुप में बड़े दूर से पधारे हैं मेरे ग्राम और मेरा यह सौभाग्य है कि आपलोग हमारे ही बैठका में आएं अतिथि सत्कार का यह अवसर हाँथ से जाने नहीं देंगें।
हम सभी सामुदायिक कार्यकर्ता तो प्रेम के भूखे है पदार्थ के कहाँ..! वे झट से घर जाकर कई प्रकार के अल्पहार व्यंजन, मिठाइयां और चाय, इतना प्यार से परोसा की न खाने का सवाल ही नहीं उनका यह आदर सत्कार देख कर दिल बाग-बाग हो गया और शरीर के रोवाँ-रोवाँ उनके स्वागत के प्रति स्वतः कृतज्ञता दुआएं देने लगी।
जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण हमने मोहम्मद साहब से उनके नदवां ग्राम के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि इस ग्राम में सभी जातियां हिन्दू मुस्लिम सभी एक दूसरे से प्रेम मोहब्बत से रहते है तथा सभी एक दूसरे के सहयोग करते है और खास बात यह है कि यहां के किसी व्यक्ति पर एक भी मुकदमा नहीं है। शिक्षा की उच्च स्तर और स्वरोजगार की ओर अग्रसरता ने यहां के लोगो को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाया है।
इस ग्राम में हमने साफ-सफाई के उच्च स्तर देखा तथा खुले में शौच के गंदगी नजर नहीं आई आखिर यही परिकल्पना तो गांधी जी ने कभी किया था। स्वच्छता में ईश्वर का वास होता है और जहाँ ईश्वर का वास है वहां सुख समृद्धि शांति और तरक्की है।
आजकल आम तौर पर हर एक गली सड़क पर लोक हित, सामाजिक, जीविकोपार्जन संबंधित चर्चा से ज्यादा दलगत राजनीति पर होती है पर मोहम्मद साहब ने दलगत राजनीति की चर्चा नहीं किया बल्कि ग्राम एवं अपने पूर्वजों के इतिहास को ही बखान किया और उनकी वाणी, आत्मविश्वास में कहीं भेद-भाव ऊंच-नीच का लेश मात्र नहीं था और उनमें एक मानव होने का मानवीय गुण स्पष्ट परिलक्षित हो रहा था। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम के आपसी सहयोग संबंधी पहल के जो बताया वह वाकई आँखे खोल देने वाली है। असल में अविवेक अशिक्षा एवं गुमराहपन ही आपसी मतभेद झगड़े के मूल कारण है इसमें एक दूसरे को ही क्षती है, पहले पड़ोसी ही सहयोग करता है फिर गावँ के लोग तदुपरांत जवार के लोग। मोहम्मद साहब ने जात पात धर्म सम्प्रदाय से ऊपर उठकर सच्चे मानवता की सेवा की जो परिभाषा दी तथा उस क्रियाकलाप में संलग्न है। हम सभी को विचार करना होगा तथा बहकावे में न आकर आपसी माहौल को खुशनुमा माधुर्य बनाना होगा तभी मानव तन का सार्थक सदुपयोग कर पायेंगें और सच्चे प्रेम मोहब्बत को एक दूसरे पर लुटा पायेंगें। यदि हम भारत के सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग आपस मिलकर एक दूसरे को सहयोग की भावना से राष्ट्र हित के संदर्भ में सोंचे तो निःसंदेह भारत को विश्व गुरु बनने से रोक नहीं सकता। दलगत राजनीत आपसी कलह मार काट झगड़े से कोई भी देश अशांत ही होता है, आर्थिक गतिविधियों में पिछड़ जाता है, विकास नहीं विनाशक परिदृश्यों उजागर होते हैं एवं जीवन मूल्यों का ह्रास ही होता है।
अतः हम सभी भारतवासी मिलकर सत्य सौहार्द आपसी एकता प्रेम भाईचारे पर आधारित एक ऐसे समाज बनाने की प्रयत्नशील हो जिसमें समूह और व्यक्ति दोने के समग्र विकास के सम्पूर्ण अवसर हो।
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