पेपर बॉय टू मिसाइल मैन

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ब्लॉग प्रेषक: अमृता विश्वकर्मा
पद/पेशा: साहित्यकार
प्रेषण दिनांक: 15-10-2024
उम्र: 25
पता: सिलाव, नालंदा
मोबाइल नंबर: ##########

पेपर बॉय टू मिसाइल मैन

डॉ. ए. पी.जे. अब्दुल कलाम को आज कौन नहीं जानता। ये भारत के राष्ट्रपति रह चुके हैं। और इन्हें लोग मिसाइल मैन भी कहते हैं। इनका जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा। इनके जीवन के बारे में थोड़ा सा प्रकाश डालना चाहूंगी।

    इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931ई. में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलब्दिन अब्दुल कलाम था। इनके पिता का नाम जैनुलब्दिन मराकायर तथा माता का नाम आशिअम्मा जैनुलब्दिन था। कलाम ने अपने शुरूआती समय में ही अपने परिवार की मदद पेपर बेचकर करनी शुरू कर दी। तब कौन जानता था कि एक पेपर बेचने वाला लड़का पेपर से हवाई जहाज बनाने वाला लड़का मिसाइल बना सकता है। कलाम ने बैलिस्टिक मिसाइल जिसके कारण उन्हें मिसाइल मैन भी कहा जाता है। जब इन्होंने मिसाइल बनाया उस इन्हें विदेशों में काम करने के ऑफर आने लगे। लेकिन उन्होंने एक सच्चे भारतीय होने का प्रमाण देते हुए उन ऑफरों को ठुकरा दिया। और एक मुस्लिम होते हुए भी देश में भाईचारे का सन्देश दिया।

         डॉ कलाम अपने वर्ग के बैकबेंचर थे लेकिन उनमे नेतृत्व करने का तरीका भी अद्भुत था।अपने नेतृत्व करने के तरीके के कारण 2002 ई. में इनकी नियुक्ति भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में हुई। ये जनता के बहुत करीब थे। इसलिए इन्हें लोग जनता का राष्ट्रपति भी कहते हैं। डॉ कलाम ने कई किताबें भी लिखी। उनकी लिखी किताबों में से एक विंग्स ऑफ़ फायर और माय जर्नी प्रसिद्ध है। डॉ कलाम मात्र एक मिसाइल मैन और राष्ट्रपति ही नहीं थे। वे एक लेखक, प्रोफेसर, सलाहकार और एक अच्छे इंसान भी थे। उन्होंने दुनिया के सामने एक अलग ही मिशाल पेशकश की है कि एक पेपर बॉय भी मिसाइल बना सकता है और एक बैकबेंचर भी राष्ट्र का नेतृत्व कर सकता है। 27 जुलाई 2015 को शिलोंग में एक भाषण देते-देते उनकी मृत्यु हो गयी। हमारा देश उनके दिए गए योगदान को कभी नहीं भूल सकता।

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