कृषि

       26-03-2022

किसान

सुबह निकलता कन्धे हल रखकर दो बैलों की जोड़ी लेकर चलता है वह मचल-मचल कर देखो कितना बलवान है न दिल का सच्चा नेक इंसान है न सच में ये किसान है न

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       13-03-2022

गाजर के बहाने किसान विमर्श

किसान और गाजर को उपहास के नजर से देखा जाता है लोग कहते है- "का हो काका... गाजर कमाएल बड़? " का चाची... गाजर बेचत बड़.... हा हा हा हा हा "! इतना ही नही किसान तो तब सर्मसार हो जाता है जब उसे खालिस्तानी, पाकिस्तानी और आतंकवादी जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है तो ऐसा लगता है जैसे कानों में शीसा पिघलाकर डाला जा रहा हो। मेरे मित्रों! ये साक्षात अन्नपूर्णा है, अन्नदाता है, ऐ सम्मान के पात्र है।

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