व्यंग/कटाक्ष

       22-10-2022

लड़कों की बराबरी

प्रायः हमने कुछ लोगों को कहते हुए सुना है कि लड़का लड़की बराबर हैं वहीं कुछ लोग कहते हैं कि लड़कियाँ लड़कों की बराबरी कभी नहीं कर सकती |मुझे लगता है वो सही कहते हैं वो बराबरी करना नहीं चाहती | जहाँ तक मैं समझती हूँ तो वो किसी भी लड़के का पिछा कॉलेज से घर..

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       10-10-2022

बाल श्रम ही सहारा है..

इस छोटी सी उम्र में,काम क्यों करते हो.. खेलकूद को छोड़कर,मजदूरी क्यों करते हो! उन बच्चों की भांति,क्या खेल नहीं सुहाते.. उनकी तरह तुम भी..स्कूल क्यों नहीं जाते?! फीकी सी मुस्कान के साथ वो बोला.. मैंने पापा के आंसुओं को, ब...

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       22-09-2022

पूर्वजों को नमन

हम सभी पितृपक्ष में पूर्वजों,पित्ररों को नमन करते हैं, तर्पण, दान, श्राद्ध, पिंडदान और बहुत याद करते हैं, अपना कर्तव्य, परंपरा निभाते हैं। मगर क्या हम सचमुच पूरी ईमानदारी से ऐसा करते हैं? या महज औपचारिकता निभाते हैं? बड़ा विचारणीय प्रश्न है...

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       04-09-2022

चरण वंदन - कलयुगी रामबाण

मैने भी एक दिन गहन चिंतन किया, चिंतनोपरांत मुझे यह आभास हुआ की मुझमें चरण वंदन करने का अदभुद गुण बचपन से ही विद्यमान है। गहन चिंतन में हमने बचपन से ही चरण वंदन के द्वारा कई बार सीढ़ियों को चढ़ा और फिर कई बार धकिया के उतारा भी गया। ।

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       03-09-2022

गुप्तरोग - मन का रोग।

बाहुबली, बाहुबली यही ठीक है, लेकिन ठीक हो जायेंगे न। देखिए दवा के साथ दुआ की भी जरूरत है,इसलिए दो चार लोगों से दुआ भी करवाइए, और अगर दुआ देने वाले न मिलें तो दो चार रोगी मेरे पास लाइए हम ही दुआ दे देंगे।

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       15-06-2022

खुद के अधिकारों के लिए

हम तो कुछ भी कर सकते हैं अपने अधिकारों के लिए, नीति अनीति, न्याय अन्याय सही ग़लत, दंगा फसाद भी। क्योंकि ये तो हमारा अधिकार है, आपका कुछ नहीं है भाई, बेकार में मगजमारी न करो अपने नहीं सिर्फ हमारे अधिकारों की बात करो। क्या करोगे अपना अधिकार लेकर हमें ही...

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       07-06-2022

सूरज तेरी,तपाती सी ये किरणें

सूरज तेरी,तपाती सी ये किरणें

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       02-06-2022

मायाजाल

क्या जी, बचपने से चेहरा अइसा है की ऑर्डर देके बनवाए हो ! उड़ा लीजिए मजाक 'परीक्षा देके आ रहे हैं न, जब जा रहे थे तो रितिक रोशन लग रहे थे, लेकिन बेरोजगार के फौज से जब सामना हुआ तो एकदम नवाजुद्दीन बन गए। का हुआ विस्तार से बताएंगे - जरूर बताएंगे सु...

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       29-05-2022

व्यथा - निरीह चुनावी कर्मी का।

अवधेश जी चुनाव में जाना है, काहे नहीं कार्मिक कोषांग के बड़ा बाबू से कह के नाम कटवा लेते हैं। देखिए तो राजू और अमलेश जी दो सौ में ही नाम कटवा लिए, कम से कम बक्सा कंधा पर ढोना तो नही पड़ेगा। कटवा तो लेते जी, लेकिन सुने हैं तीन हजार रुपया देगा, चुनाव करवाने

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       19-05-2022

प्यासी धरती

मजाक अच्छा है कि धरती भी प्यासी है, शायद यही सही भी है क्योंकि धरती रुंआसी सी है। छोड़ो इन बातों में रखा क्या है धरती प्यासी रहे या मर जाय हमें मतलब क्या है? हम तो अपनी मनमानियां करते रहेंगे हरियाली का नाश करते रहेंगे जल स्रोतों को दफन करते...

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       13-05-2022

चुनावी चकल्लस - पंचायत चुनाव

अरे हियां मुंहे बजाते रह जायेगा उहा लाल मिचाई करिया नीमक के साथ महुआ के दारू धेमण मुखिया बांट रहा है, एक महीना चकल्लस है! आनंद उठाइए महाराज। एक महीना छूट के पीजिए आऊ डायरेक्ट स्वर्ग का आनंद लीजिए।

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       11-05-2022

दारु की जद में ज़माना या मगरुर खुद की हस्ती में इंसान

।। दारू की जद में ज़माना या मगरुर खुद की हस्ती में इंसान ।। मुश्किल , जरा कहना होगा नशे में इंसान हैं सच में या ये दारु,बेवजह ही हैं बदनाम ।। बेवड़ो को मुबारक हो ये महफ़िल नशे और जाम की सुरूर,सच का हैं या हैं बोतल का भरम या ये दारु फिजूल....

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       08-05-2022

माँ तो माँ ही रहेगी

आज मातृदिवस है आज हम सब बड़ी श्रृद्धा से माँ की शान में कसीदे पढ़ते हैं, शायद अपने पापों का बोझ उतारते हैं, क्योंकि हम विडंबनावादी जो हो गये हैं। बड़ा कड़ुआ है पर सच भी तो है इसे भी स्वीकार कीजिए माँ को प्यार कीजिए न कीजिए सब चल ही जायेगा, बस!...

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       07-05-2022

गोरे के घर, काला धन।

मैडम तो मोहन की राधा, कन्हैया की बंसी, नंदलाल की श्यामा, शंखपानि की तिर्थकन्या, पुरानपुरूष की नागरमनी, नवनीत की कृष्णाप्रिय, पार्थसारथी की श्यमाभारती जैसी थी। उफ्फ कैसी निष्ठुर और निर्दई है ये ईडी। बेचारी नारियों की प्रेरणास्रोत आईएएस मैडम को बदनाम करने

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       03-05-2022

सरकारी बाबू - सेवक नहीं साक्षात अवतार।

जब भी कोई सरकारी कार्य करवाने कोई महापुरुष अवतरित हो तो उसे ग्राहक समझिए क्यूंकि इंसान में भगवान दिखे न दिखे ग्राहक में भगवान जरूर दिखते हैं। सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर, माथे पर गेंदा के फूल से त्रिपुंड लगाकर, जब मनोहर जी भगवान के साधना में...

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       26-04-2022

परेशानी और विकास

इधर बचाओ बचाओ सुनकर आस पास के लोग को लगा कि उग्रवादी हमला हो गया है, सब एलर्ट मोड पर आ चुके थे, दुकान का शटर बंद होने लगा था

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       25-04-2022

ले मन होइल महंगा।

जीवन में इससे बड़ा धर्म संकट का सामना हम आज तक नहीं किए थे। बताइए त एगो नींबू भी न से सके जाने जहां को। लगा एक लीटर खून में अगर नींबू वाला खटास घुस जाता त ब्लेड से चीर के गिलास में भर के दे देते लेकिन नींबू .......

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       21-04-2022

न जिएंगे न जीने देंगे

अजी छोड़िए आप भी क्या मजाक करते हैं दोस्त होकर दुश्मनों सा काम करते हैं। एक तो जीने की बात करते हैं ऊपर से जीने भी दें मुफ्त में सलाह देते हैं। अब मेरी सलाह सुनिए चाहें तो एकाध खोखा ले लीजिए न जिएंगे न जीने देंगे दुश्मन तो खैर दुश्मन ही है, दोस्तों को भी

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       06-04-2022

काश मै दरोगा होता...

एक दरोगा सभी रस को अपने अंदर सम्माहित रखते हैं, श्रृंगार रस का वर्णन वो अक्सर अपराधी के घर जाकर प्रयोग करते हैं और वीर रस जब समूह में होते हैं तब। गरीब से जब पैसा निकालना होता है तो करुण रस और जब कभी पकड़े जाने पर दांत निपोर लेते हैं तो हास्य रस इनमें सहज

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       04-04-2022

ई आदमी, आदमी हे

अंधेरे में रहे हे दिया न जलावे हे लबर-लबर करे हे ई आदमी, आदमी हे..?

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       01-04-2022

औपचारिकता

इस बार नवसंवत्सर चैत्र प्रतिपदा का शोर कुछ अधिक है, होना भी चाहिए और हो भी क्यों न? हम तो औपचारिकताओं में ही जीने के आदी जो हैं। तभी तो आजादी के बाद से अब तक हिन्दी दिवस/पखवाड़ा मनाते हैं, राष्ट्र भाषा के बजाय

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       10-03-2022

बस में यात्रा, बस हो गया।

डाल्टनगंज बस स्टैंड में चहल पहल - रांची रांची, सासाराम औरंगाबाद, जपला छतरपुर, हरिहरगंज, गढ़वा अंबिकापुर की आवाज मानो सुपर सोनिक मिसाइल की भांति कान को फाड़े जा रही थी लेकिन औरंगाबाद की आवाज लता मंगेशकर के गानों की भांति कान में रस घोल रही थी, कारण था - सजनी से मिलने जो जाना था। औरंगाबाद शब्द मानो ऐसा लग रहा था जैसे लता जी गा रही हों - "आ लौट के आज मेरे मीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं"।

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       08-03-2022

मर्द का दर्द

ज़िंदगी ने मर्द पर कितना दर्द ढाया है किसी स्त्री पर गलती से भी हाथ उठाया है...

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