अति संक्षेप शोध सारांश:
“मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण” – यह कोई काल्पनिक आदर्श या केवल भावनात्मक प्रेरणा नहीं, बल्कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रतिपादित और अपने जीवन में पूर्णतः आत्मसात किया गया जीवन-दर्शन है। यह वाक्य वस्तुतः उनके समग्र चिंतन, साधना और सेवा की कुंजी है। उन्होने अपने कर्म, वाणी, विचार और साहित्य के माध्यम से न केवल इस दर्शन को जीवन में जिया, बल्कि इसे करोड़ों व्यक्तियों के जीवन में प्रेरणा स्वरूप स्थापित किया। यह शोधप्रबंध इसी विराट व्यक्तित्व और उनके जीवनकार्य के मानवता के संदर्भ में विश्लेषणात्मक अन्वेषण का प्रयास है।\r\nपं. श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन मानवता के कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान का अद्वितीय प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने समाज सुधार, राष्ट्र निर्माण और वैश्विक शांति की दिशा में साहित्य, आंदोलनों और संस्थाओं के माध्यम से महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवनदर्शन आज के नैतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संकट में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। आचार्य जी का साहित्य आत्मचिंतन, समाजोत्थान और व्यक्तिगत परिवर्तन का प्रभावी साधन है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति, समाज और मानवता का समग्र उत्थान है। यह शोध उनके योगदान को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करता है और सिद्ध करता है कि उनका कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर है।\r\n
| शोधार्थी | गोवर्धन बिसेन |
| पता | गायत्रीकुंज, गजानन काॅलोनी, कुड़वा, गोंदिया जिला - गोंदिया, राज्य - महाराष्ट्र पिन कोड - 441614 भारत |
| मोबाइल नंबर | +919422832941 |
| ई-मेल | gabisen66@gmail.com |
| प्रकार | ई-बुक/ई-पठन |
| भाषा | हिंदी |
| कॉपीराइट | हाँ |
| पठन आयु वर्ग | सभी लोग |
| कुल पृष्टों की संख्या | 150 |
| ISBN(आईएसबीएन) | |
| शोध संस्थान का नाम | दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र |
| Publisher/प्रकाशक | दिव्य प्रेरक कहानियाँ, साहित्य विधा पठन एवं ई-प्रकाशन केंद्र |
| अति संक्षेप शोध सारांश | “मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण” – यह कोई काल्पनिक आदर्श या केवल भावनात्मक प्रेरणा नहीं, बल्कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रतिपादित और अपने जीवन में पूर्णतः आत्मसात किया गया जीवन-दर्शन है। यह वाक्य वस्तुतः उनके समग्र चिंतन, साधना और सेवा की कुंजी है। उन्होने अपने कर्म, वाणी, विचार और साहित्य के माध्यम से न केवल इस दर्शन को जीवन में जिया, बल्कि इसे करोड़ों व्यक्तियों के जीवन में प्रेरणा स्वरूप स्थापित किया। यह शोधप्रबंध इसी विराट व्यक्तित्व और उनके जीवनकार्य के मानवता के संदर्भ में विश्लेषणात्मक अन्वेषण का प्रयास है।\r\nपं. श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन मानवता के कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान का अद्वितीय प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने समाज सुधार, राष्ट्र निर्माण और वैश्विक शांति की दिशा में साहित्य, आंदोलनों और संस्थाओं के माध्यम से महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवनदर्शन आज के नैतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संकट में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। आचार्य जी का साहित्य आत्मचिंतन, समाजोत्थान और व्यक्तिगत परिवर्तन का प्रभावी साधन है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति, समाज और मानवता का समग्र उत्थान है। यह शोध उनके योगदान को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करता है और सिद्ध करता है कि उनका कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर है।\r\n |
| अन्य कोई अभियुक्ति | |
| पर्यवेक्षक/मार्गदर्शक | डॉ. अजीत कुमार जैन, प्रोफेसर, एस. व्ही. कॉलेज, अलिगड़, उत्तर प्रदेश |
| अपलोड करने की तिथि | 02-09-2025 |