मेरी चाहत

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ब्लॉग प्रेषक: डॉली शर्मा
पद/पेशा:
प्रेषण दिनांक: 27-03-2022
उम्र: 29
पता: गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9205974579

मेरी चाहत


मैं खो चुकी हूँ खुद को,

खुद को ही पाना चाहती हूँ।


मैं बन चिड़िया डाल-डाल पर,

खुद को चहचहाना चाहती हूँ।


मैं बिखर गयी खुद माला के मोती से,

खुद को मैं धागो में पिरोना चाहती हूँ।


बहुत जी चुकी सजीवो में निर्जीव बन,

अब मैं सजीव हो जाना चाहती हूँ।


मैं तोड़ चुकी हूँ पंख अपने,

मैं नई उड़ान भरना चाहती हूँ।


खुले आसमान में बादलो जैसे,

गगन को चूमना चाहती हूँ।


मैं समेट चुकी हूँ खुशबु अपनी,

मैं इत्र बन महकना चाहती हूँ।


बहुत खो चुकी मैं खुद को,

खुद को ही मैं पाना चाहती हूँ।


मैं खो गयी हूँ गहराइयों में अब,

मैं समुद्र की गहराई को नापना चाहती हूँ।


मैं बन पतंग बिन डोर के पर्वत की,

ऊँचाइयों को भापना चाहती हूँ।


मैं फिसल गई मुट्ठी के रेत-सी,

अब उस रेत से घर बनाना चाहती हूँ।


मैं निकल क़ाफ़िलों से बाहर अपनी,

एक पहचान बनाना चाहती हूँ।


चाहत नहीं मुझे बड़े बनने की बस,

सबके काम आना चाहती हूँ।


चाहत नहीं मुझे राज करने की,

दिल के एक कोने को छूना चाहती हूँ।


मैं खुद के ही शब्दों से अब,

बस सब में मिलना चाहती हूँ।


बहुत जी चुकी सब के लिए

बस खुद के लिए जीना चाहती हूँ।

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