रिश्ते बनाम स्वार्थ सच का

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 07-05-2022
उम्र: 30
पता: Lucknow
मोबाइल नंबर: 9453749772

रिश्ते बनाम स्वार्थ सच का

।। रिश्ते बनाम सच स्वार्थ का  ।।

किसी ने हैं सच कहा,

ना

ज़िगर काट के लहू बहाना किसी वास्ते

कतरा कतरा करके ।

लहू के नाम संग जो नाते हैं जुड़ते

जैसे,आहिस्ता आहिस्ता हो रग रग का जोक 

की तरह खून पीते ।।


उम्र दराज बढ़ती पलती हैं ये वफ़ा

रिश्ते की नाम की

कभी,भावनाओं ,कभी भीतर ही भीतर

खोखला करती हैं एक दूजे के लगाव को ।।


कब,बदल जाए ये मिठास कड़वाहट में

कहां पता चलता हैं ।

मन का कोमल हिस्सा

हो जाए,जब घायल

हुजूर!

कहां, इसकी, कोई कदर करता हैं ।

स्वार्थ!

हो जाए कब हावी इन भावों के अनमोल

नगीनों पर

ये,दिल क्या जाने ।


कमबख्त,

बड़ी ज़ालिम अदाएं हैं इस स्वार्थ की भी

पल भर में,

जलाकर खाक करे रिश्तों की नजाकत, शराफ़त

और लगाव के अहसास की गागर की अहमियत भी ।।

स्वार्थ,स्वार्थ  

बस, समाया हर जगह ये ,स्वार्थ ।।


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