बुढ़ापे केववो लड़खड़ाते कदम

Image
ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 20-05-2022
उम्र: 29
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

बुढ़ापे केववो लड़खड़ाते कदम

।। बुढ़ापे के,

वो लड़खड़ाते कदम ।।

उम्रदराज,

कि कगार में खड़ा हो गया हूं मैं,

जैसे,हो आजकल की ही बात ।

लेकर,जो लाठी औरों को डराने वास्ते

उठाता था मैं!

आज,उसी को लेकर चलने लगा हूं मैं ।।

घर के अपने और बाहर के लोग

समझने लगे हैं मुझे लाचार सा

जैसे,उनके ही सहारे हो गया हूं मैं ।।


तरस सा मुझ पर खाने लगे हैं लोग

रहम का मरहम मेरे दर्द पर जैसे,

रखने लगे हैं लोग ।


मेरे,उम्रदराज थोड़े कदम क्या

लड़खड़ाए 

मुझे,बेचारा बेसहारा समझने लगे हैं लोग


मैं!

बतलाना चाहता हूं उनको

बूढ़ा हुआ हूं मैं

यूं,ना जतलाए मुझ पर हमदर्दी का

झूठा भरम ।।


शरीर थका हैं 

मन जवां  हैं और अब भी

पूरे जोश से भरा हैं ।

मुझे, प्यार से थामे कोई बांहे तो सुकून हैं मुझे

पर,

बोझ बन ना उम्र के इस पड़ाव में बेरहमी से

ढोए मुझे ।।


मैं, संभल सकता हूं खुद के दम पे अब भी

थोड़ा सहारा,लगाव ढूंढता हूं ।

मन के सूनेपन के लिए


दिखावा नहीं दिल को 

हमदर्दी के सागर में डुबोए ।

कदम डगमगाए हैं ।

मस्तिष्क अब भी,नव संचार की तरंगों से

इस बुढ़ापे को जीने की तमन्ना से हैं भरा ।।


स्नेहा कृति

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

Share It:
शेयर
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।

नए ब्लॉग पोस्ट