काया की माया

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: रचनाकार
प्रेषण दिनांक: 21-08-2022
उम्र: 29
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

काया की माया

।।  काया की माया ।।


बुजुर्ग

होते हैं रीढ़ की हड्डी जैसे,

क्या,

इनसे जुदा होकर रह पाया हैं कोई ।।


खुद

का सहारा हैं लाठी पर

औरों के हौसलों को बुलंद करते हैं ।।


बिना किसी स्वार्थ

उम्र दरमियान अपने आशीर्वाद की छांव देते हैं

हर दर्द,हर तकलीफ को

खुद बा खुद भांप लेते हैं ।।

या खुदा 

इस,नायब दौलत को कौन सा करिश्मा कहते हैं ।।


उंगली

की गर हो जरूरत तो पूरा हाथ की 

महफूसियत का साया थमा देते हैं

अठन्नी मांगो गर,

रुपइयों से दामन को भरते हैं ।।

ये,

बुजुर्ग जैसे, मन को पढ़ने वाले

आईना से होते हैं ।।


प्यार,लगाव

बेपनाह,बेइंतेहा नाम करते हैं

हर उदासी ,हर बेचैनी को

ओथों की मुस्कुराट में तब्दील करने की

हर जद्दोजहद करते हैं


 होते हैं ऐसे बुजुर्ग ।।

हां! 

होते हैं हर घर की ऐसे ही बुजुर्ग ।।


❤️

स्नेहा की कलम से...........................

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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