बाल कहानी चिड़िया और चीटियां

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ब्लॉग प्रेषक: शमा परवीन
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 01-10-2022
उम्र: ××
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बाल कहानी चिड़िया और चीटियां

बाल कहानी- चिड़िया और चीटियाँ

     एक प्यारा सा जंगल था। उस जंगल में कई तरह के हरे-भरे पेड़ लगे थे। रंग-बिरंगे फूल जंगल की शोभा बढ़ाते थे। फल वाले पेड़ भी बहुत सारे थे। कई जानवर फल भी बहुत चाव से खाते थे। उस जंगल में एक तालाब भी था। सभी जानवर उसी जंगल में पानी पीते थे। तालाब के पास एक बड़ा सा पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत सारी चिड़िया रहती थी और उसी पेड़ के नीचे बहुत सारी चीटियाँ रहती थी। चिड़िया और चीटियों में बहुत मेल था। सभी लोग एक दूसरे के सुख-दुख में काम आते थे। सभी की एक-दूसरे से मित्रता थी। 

    एक दिन एक वहाँ शिकारी आया। जाल बिछा कर सारी चिड़ियों को पकड़ लिया। चिड़ियों को पकड़ने के बाद शिकारी बहुत खुश हुआ। धूप तेज थी। शिकारी पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा। जैसे ही चीटियों को पता चला कि शिकारी ने सभी चिड़ियों को जाल में कैद कर लिया हैं। चीटियों ने देखा कि सभी चिड़िया जाल में बन्द हैं। चीटियाँ परेशान हो गयीं।  सारे मित्र जाल में बन्द हैं फिर वे आपस में विचार करने लगी कि क्या किया जाये, कैसे चिड़ियो को बचाया जाये?

    कुछ चीटियाँ पास के चूहे को बुलाने चली गयी। कुछ चीटियाँ जाल को काटने का प्रयास करने लगी। कुछ चीटियाँ शिकारी के दोनों कान में घुस गयी बिना अपनी जान की प्रवाह किये। कुछ चीटियाँ शिकारी के पूरे शरीर को काटने लगी।

     शिकारी बहुत परेशान हो गया। वह पास के तालाब में कूद गया और अपने शरीर से चिपकी चीटियों को मारने लगा। इतनी देर में बहुत सारे चूहे आ गये। उन्होंने जाल काट दिया। सभी चिड़ियाँ आजाद हो गयीं। चीटियों से शिकारी परेशान होकर अपनी जान बचा कर भाग गया। सभी चिड़ियों ने चीटियों को धन्यवाद कहा और चूहे भाई को भी धन्यवाद बोला। कुछ चीटियाँ मदद करने में जान भी गवा दी। उसका दु:ख सभी ने जाहिर किया। वक़्त बीता तो कुछ दिनों के बाद सभी लोग सब कुछ भुला कर खुशी-खुशी और सावधानी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे।

शिक्षा-

हमें अपने मित्रों की संकट के समय मदद करनी चाहिए। यही सच्ची मित्रता की पहिचान है।

शमा परवीन, बहराइच (उ० प्र०)

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