ब्लॉग प्रेषक: | शमा परवीन |
पद/पेशा: | लेखिका |
प्रेषण दिनांक: | 14-10-2022 |
उम्र: | ** |
पता: | बहराइच, उत्तर प्रदेश |
मोबाइल नंबर: | ********** |
बाल कहानी-अंकित
बाल कहानी- अंकित
अंकित कक्षा आठ में पढ़ता था। अंकित पढ़ने में बहुत अच्छा था, परंतु विद्यालय कभी-कभी ही जाता है। इसका कारण यह है कि वह अक्सर अपनी नानी के यहाँ चला जाता था। नानी का घर भी पास के गाँव में ही था, पर फिर भी अंकित जब भी नानी के यहाँ रुकता था तो विद्यालय नहीं जाता था। आज भी अंकित नानी के यहाँ था। विद्यालय का समय हो गया था। सभी बच्चे विद्यालय जा रहे थे। अंकित के दोस्त अंकित के घर जा कर अंकित को पुकारते हैं।
घर के अंदर से आवाज आती है- "अंकित नहीं है! अंकित नानी के यहाँ गया है।"
कई दिनों के बाद जब अंकित विद्यालय आता है तो शिक्षक अंकित से पूछते है कि-" बेटा! कई दिनों के बाद विद्यालय आये हो, ऐसा क्यूँ?"
हर बार की तरह अंकित का वही जवाब-" मैं नानी के यहाँ गया था।"
शिक्षक अंकित को प्यार से समझाते हैं-" बेटा! विद्यालय रोज आओ। नानी के घर रविवार को जाया करो।"
लाख समझाने के बाद भी एक-दो दिन के बाद अंकित फिर नानी के यहाँ चला जाता है और विद्यालय में अनुपस्थित हो जाता है।
शिक्षक अंकित के अभिभावक से सम्पर्क करते हैं तो पता चलता है कि जब अंकित अम्मी-पापा के पास रहता है तो हमेशा उसकी अम्मी समय से विद्यालय भेज देती है इसलिए अभिभावक के पास रहकर अंकित कभी विद्यालय में अनुपस्थित नहीं रहता है लेकिन जब नानी के यहाँ जाता है तब ही विद्यालय में अनुपस्थित रहता है।
शिक्षक ने अंकित की नानी के घर का पता लगाया, जो पास के गाँव में ही था।
फिर अगले ही दिन शिक्षक अंकित की नानी के घर पहुँचे। अंकित भी वहीं नानी के पास बैठा टीवी देख रहा था।
अंकित शिक्षक को देखते ही नमस्ते करता है और नानी को बताता है कि-" ये हमारे विद्यालय के प्यारे शिक्षक है, जो मुझे मेहनत और प्यार से पढ़ाते है।"
नानी ने भी कहा-" अंकित अक्सर आप लोगों की तारीफ करता है।"
शिक्षक ने नानी को शिक्षा के महत्व को बताते और समझाते हुए निवेदन किया कि-" आप अंकित को विद्यालय आप जरूर भेजें, जिससे अंकित विद्यालय में अनुपस्थित न हो सके और प्रतिदिन पढ़ाई का लाभ पा सके ताकि बड़ा होकर अपने और अपनों के सपने पूरे कर सके।"
नानी को बात समझ में आ गयी। नानी ने शिक्षक को धन्यवाद बोला कि-" आपने यहाँ आकर मेरी आंखें खोल दी। अब मैं अंकित को प्रतिदिन समय से विद्यालय भेजूँगी।"
अंकित ने भी शिक्षक से वादा और खुद से इरादा किया कि मैं प्रतिदिन विद्यालय जाऊँगा। अब कभी विद्यालय में अनुपस्थित नहीं रहूँगा।
शिक्षा
हमें समय से अपना कार्य करने की आदत डालनी चाहिए, चाहे वह पढ़ाई हो या घर का कार्य।
शमा परवीन, बहराइच (उत्तर-प्रदेश)
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