बाल कहानी- शरारत

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ब्लॉग प्रेषक: शमा परवीन
पद/पेशा: लेखिका
प्रेषण दिनांक: 30-03-2023
उम्र: ***
पता: बहराइच, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: ****

बाल कहानी- शरारत

     गोलू कक्षा सात का छात्र है। वह पढ़ने में बहुत होशियार है। मेहनत से पढ़ना-लिखना गोलू की आदत में शुमार है। वैसे तो उसमें सारी खूबियाँ हैं लेकिन शरारत में भी गोलू नंबर वन है। वह जब भी स्कूल, घर, बाज़ार या कहीं पर भी जाता है, तो रास्ते में सड़क पर अक्सर कोई नुकीली चीज जैसे- पत्थर के टुकड़े,काँच की गोलियाँ, कील, आदि चीजें अक्सर रास्ते में फेंक देता है। जब कोई गाड़ी उसकी फेंकी हुई चीजों से पंचर हो जाती है या काँच की गोलियाँ फेंकने से कोई साइकिल पलट जाती है या कोई राहगीर चलते हुए उसकी फेंकी हुई चीजों से चोट खा जाता है, तो उसे यह चीजें छुपकर देखने में बहुत मजा आता है। वह यह काम बहुत सावधानी पूर्वक चुपचाप करता है।

 एक दिन की बात है। रोज की तरह है गोलू ने बहुत सारी काँच की गोलियाँ और बहुत सारी कीलें, छोटे-छोटे पत्थर सड़क पर फेंककर वह स्कूल चल गया। कुछ देर बाद गोलू की माँ को गोलू के पिता जी ने फ़ोन करके कहा कि-, "तुम्हारे बड़े भाई की बहुत तबीयत खराब है। मुझे अभी खबर मिली है। मै तो शहर में हूँ। कल आ पाऊँगा। तुम आशापुर के गोलू के साथ बड़े भाई को देखने चली जाओ। तुम विद्यालय जाकर गोलू को बुला लाओ और गोलू के साथ गोलू के मामा को देख आओ।"

गोलू की माँ ने कहा-, "अच्छा, ठीक है! मैं विद्यालय जाकर गोलू को बुला आती हूँ। वह जल्दी-जल्दी सड़क पार कर रही थी, तभी अचानक उनका पैर थोड़ा सा मुड़ा और एक कील बहुत भयानक तरीके से पैर में चुभ गयी। बहुत खून निकलने लगा। वह चीखने-चिल्लाने लगी। वह दर्द से तड़पने लगी, तभी कुछ लोगों ने उनकी मदद की और डॉक्टर तक पहुँचाया। पैर में पट्टी बाँधी गयी। पैर में चोट होने के कारण वह गोलू को बुलाने विद्यालय नहीं जा पायी।

विद्यालय में जब छुट्टी हुई। गोलू ने घर आकर देखा कि माँ के पैरों में पट्टी बँधी है और कुछ पड़ोसी भी वहाँ बैठे हुए हैं। पड़ोसियों ने बताया कि-, "तुम्हारी माँ के पैरों में बहुत जख्म हो गया है। तुम्हें बुलाने के लिए वह सड़क पार कर रही थी। उनको नानी के यहाँ जाना था तभी सड़क पर पैरों में कील चुभ गयी और बहुत खून निकला है।" गोलू की आँखों में आँसू भर आया। गोलू बहुत रोया। उसको ये एहसास हो गया था कि उसके कारण ही उसके माँ के पैरों में चोट लगी है। अब उसने मन ही मन तौबा कर ली कि अब वह कभी सड़क पर कोई सामान नहीं फेंकेगा।

शिक्षा-

शरारत का फल हमेशा विपरीत होता है और उसका गलत परिणाम हमें एक दिन भुगतना पड़ता है।

शमा परवीन

बहराइच (उत्तर प्रदेश)

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