प्रेमग्रंथ -लव गुरु का ज्ञान।

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ब्लॉग प्रेषक: राजीव भारद्वाज
पद/पेशा: व्यंग्यकार
प्रेषण दिनांक: 20-08-2025
उम्र: 37
पता: गढ़वा झारखंड
मोबाइल नंबर: 9006726655

प्रेमग्रंथ -लव गुरु का ज्ञान।

🌺🌺 चटुकनाथ - अंतराष्ट्रीय लव गुरु।💐💐


"ये इश्क नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिए

फ़िनाइल की गोली है और चूसते जाना है"।


हिंदी के प्रख्यात प्राध्यापक अंतराष्ट्रीय लव गुरु चटुकनाथ जी को प्रेम दिवस पर हमारे शहर में बुलाया गया, प्रेम पर व्याख्यान के लिए। उन्होंने प्रारंभ ऊपर की पंक्तियों से किया। नव प्रेमियों में गजब का उत्साह देखा गया। आइए इनके व्याख्यान को पूरा सुनते हैं :-

सभी नए, पुराने, जोयायल, भटके, हिंसक, डिप्रेस्ड प्रेमियों को मैं अपने हृदय से नमन करता हूं, और उन्हें बताना चाहता हूं कि लोग मुझे प्रेम पुजारी कहते हैं, और इस से प्रभावित होकर हमने लिखा है प्रेमग्रन्थ। प्रेम के बारे में जितना कहें कम है, प्रेम राजश्री प्रोडक्शन का हीरो है, प्रेम अफीम है, प्रेम सुकून हैं, प्रेम दर्द है, प्रेम आलीशान महल है, प्रेम गरीब का झोपड़ा भी है और प्रेम, प्रेम चोपड़ा भी है। क्या आप सबों ने प्रेम किया ? किसी लड़की से पींगे बढ़ाई, चक्कर चलाई ? अगर नहीं! तो क्या कारण है, जानने की कोशिश की। ध्यान से सुनो हमारे देश के कर्णधारों, यदि तुमने प्रेम नहीं किया तो ऊपर वाले को मरने के बाद क्या जवाब दोगे ! आप सब मुझे देखिए, मै दिखने में चपरासी लगता हूं। आप सबों के मन में बात आती होगी कि इस लंगूर को अंगूर कैसे मिल गई ? भिखारी के हाथ में अशर्फी कैसे आ गई ? भुक्कड़ के हाथ में बर्फी कैसे आ गई ? मैं लुक्स में सलमान खान नहीं लुक्खा दिखता हूं, लेकिन मेरे पास एक विशाल दिल है, और मुझे उम्मीद है आपके पास भी विशाल दिल होगा। आप सबों ने कभी गुड़ की रेड़ी और पके आम की टोकरी देखी है, देखी है कभी फूल की कली, जरूर देखी होगी। लेकिन नहीं देखी तो इसमें मंडराने वाले भंवरे, मोटी मोटी मक्खियां। ये सब मेरे जैसे होते हैं, प्रेमी क्या कमाल के होते हैं, लड़कियां रंग रूप नहीं, सिर्फ आपकी शिद्दत देखती हैं, आपकी मोहब्बत देखती हैं। प्रेम की आँखें नहीं होती तभी तो मेरे जैसे बाप की उम्र वाले के साथ, शादी शुदा और बाल बच्चेदार के साथ जुली की प्रेम पींगे बढ़ी। साथियों, आप सब रोज हिंदी फिल्मों के कुछ शानदार शिक्षाप्रद गानों जैसे, "प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है" "प्यार किया तो डरना क्या" "मुझे प्यार हुआ प्यार हुआ " सुनिए, आनंद के साथ सर्ग ज्ञान भी मिलेगा। प्रेम में कूट कूट कर भरा होता है श्रृंगार रस, और इस रस का तासीर बिल्कुल अमृत के समान होता है। जो इस रस को चखता है वो जन्म मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है, वो मजनू बन कर पागल हो जाता है, रांझा बन कर जहर के प्याले को पी जाता है। जिसने भी इस अद्भुत रस का पान किया वो ईश्वर का प्रिय बन जाता है। आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि कैसे मेरी बीबी ने भरी बाजार, मीडिया के सामने मेरी कुटाई की थी। लेकिन मेरे चेहरे पर शिकन तक न आई थी, पता है क्यों ? इसलिए की प्रेम करने वालों के दिल में सच्चाई होती है, ख़ुदा की खुदाई होती है, और प्यार में होने वाली पिटाई भी पिटाई नहीं मिठाई होती है। लोग इस पिटाई को जिल्लत बोलते हैं, उनकी सोच में ही किल्लत है। क्योंकि जिस तरह बिना कूटे स्वादिष्ट गजक नहीं बनती, बिना रुई धुनें अच्छा गद्दा नहीं बनता, ठीक उसी तरह जब तक जूते चप्पल ना पड़े, तब तक अच्छा आशिक नहीं बनता। मै भले ही पीटता रहा लेकिन मेरे रोम रोम से एक ही आवाज आई " जुली आ आ आ आह आई लव यू "। ये प्यार का भूत है कोई फरदीन खान और सैफ अली खान की फिल्म नहीं की शुक्रवार को रिलीज हुई और शनिवार को उतर गई। 

इसीलिए मैं कहता हूं " किसको किससे है प्यार कितना ये बोला नहीं जाता,

ये प्यार है प्यार जिसे आलू प्याज की तरह कभी तौला नहीं जाता"।

लोग मुझे कहते हैं कि मैं युवाओं को प्रेम का व्याख्यान देकर उन्हें बिगाड़ रहा हूं, तो मैं उनसे कहता हूं कि आप सब जानते हैं कि प्यार अंधा होता है, और यदि मैं प्यार में अंधे हो चुके लड़के लड़कियों को हाथ पकड़ कर सड़क पार करवा देता हूं तो क्या गुनाह कर देता हूं, क्या ये परोपकार उन्हें बिगाड़ना हुआ ? 

प्रेमियों, मै प्रेम के साथ साथ राजनीति में भी किस्मत आजमा रहा हूं। मै चाहता हूं कि मैं संसद में जाऊं और आप जैसे देश के तमाम, हीर रांझाओं, सोहनी महिवालों, लैला मजनुओं के लिए आरक्षण का मांग करूं। मेरी संसद में मांग रहेगी कि परिस्थिति कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो सिनेमा हॉल में कोने वाली सीट हमेशा प्रेमी जोड़ों के लिए आरक्षित हो, सभ्य समाज इन्हें देख कर गालियां न दें, बल्कि खुद अपनी आँखें बंद कर लें। वैलेंटाइन को राष्ट्रीय पर्व घोषित करवा देते। खैर जब भी कहीं आपको प्यार के दुश्मन दिखाई दें तो मेरी तरह गाइयेगा " तैयब अली प्यार के दुश्मन आय हाय"।

व्याख्यान के बीच ही प्राध्यापक महोदय को उनकी प्रेयसी का फोन आया। "लव यू जानू, एक व्याख्यान कार्यक्रम में हूं, अरे नहीं भाई, अपनी पत्नी के पास नहीं गया हूं, तुम्हारी कसम। चलो कुछ देर बाद करता हूं, लव यू टू।

माफ कीजियेगा, कमबख्त ये इश्क होता ही ऐसा है कि जुदाई बर्दाश्त नहीं होती।

"रोज चूमता हूं उनकी रुखसार को/उनकी तस्वीर को,

फिर भी लगता है हमे मिले हुए सदियां बीत गई।"


प्रेमियों, मै तो अपनी कक्षा में भी प्रेम से ओत प्रोत रचनाओं को ऐसे पढ़ाता हूं कि आपलोग को लगेगा कि आप यश चोपड़ा और  संजय लीला भंसाली की कोई फिल्म देख रहे हों। नायक नायिका की गोद में सर रख कर पेड़ की छांव में लेटा पड़ा है और नायिका अपने उंगलियों से नायक के बाल को ऐसे सहला रही है जैसे उसके हाथों में नायक का सर नहीं कोई नरम मुलायम खरगोश का बच्चा हो।

मेरी पुस्तक "लैला लैला चिलाऊंगा कुर्ता फाड़ के" के पृष्ठ संख्या पंद्रह पर जाकर पढ़िए कि प्रेम की अनुभूति में हृदय की करुणा किस हद तक जा सकता है।

आप चाहें तो विश्व के प्रथम लव गुरु महर्षि वात्स्यायन की रचना "कामसूत्र" का भी नित्य संध्या पाठन कर अपने प्रेम को उचित मुकाम दिला सकते हैं।

अंत में यह कह कर अपनी वाणी को विराम दूंगा कि "प्रेम वो सौगात है जो हर किसी के आंचल को नसीब नहीं होता लेकिन होता सबके पास है, तो आइए प्रेम करिए और अनजाने रूप से उन हसरतों को भी प्राप्त कीजिए जिसकी कल्पना भी आपने कभी नहीं की थी। धन्यवाद प्रेमियों। आई लव यू ऑल।

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