बेजान में भी जान हैं पनपती

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: 22
प्रेषण दिनांक: 05-04-2022
उम्र: 30
पता: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9453749772

बेजान में भी जान हैं पनपती

।। बेजान हिस्से में भी हैं जान पनपती ।।

# गुजरा मैं सहसा एक डगर से

इत्तेफाक से,मिल बैठा इस बेबस से ।

मैं! ठहरा,

रुका जरा सा ।

कुछ पल वास्ते,बैठा उसके कुछ करीब सा ।।

एक बेजुबां का जाना हाले दिल

और अहसास कर गुजरा उसके दर्द से

आखिर में,

वो पूछता है मुझसे

मैं तो हरा भरा था तुम सबको छांव,शीतलता,स्वच्छ हवा और अपने साथ की नरमी दे रहा था ।

फिर,

तुमने मेरे अंगों को क्यूं कटा छाटा बड़ी बेरहमी से  चुन चुन के

बिन कुसूर,सजा दी

मुझ पर क्यूं इतनी सितम की ।

मेरी सुरक्षा तुम्हारा दायित्व था

फिर क्यूं,ये जुल्म की हरकत की ।।

मैं ! 

अनगिनत दफा कट के फिर से पनपुगा

और हरियाली से खुद का दामन भर दूंगा ।।

Save tree

Save greenary ।।

स्नेहा कृति

(रचनाकर, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)

कानपुर उत्तर प्रदेश

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