| ब्लॉग प्रेषक: | स्नेहा सिंह |
| पद/पेशा: | Lecturer |
| प्रेषण दिनांक: | 20-04-2022 |
| उम्र: | 30 |
| पता: | Lucknow |
| मोबाइल नंबर: | 9453749772 |
जायज बनाम नाजायज
।।जायज बनाम नाजायज संबंध ।।
# दौर बदले,ढंग बदले
जीवन जीने की शैली भी बदली ।
कहां,हम एक मानसिक रूप से स्वस्थ रिश्ते
में बंधना पसंद करते हैं और कहा अब, भाई सब चलता हैं ।
क्या,जायज
क्या नाजायज,
बस,दौलत की चमक और जरूरतों की लालसा ने
इंसानों को अंधा बना दिया हैं ।
शायद,वो सही और गलत का भेदभाव ही भूल गए हैं ।
और बस, तुले हैं अपनी मनमानी करने में
सभ्यता,संस्कृति और पैतृक परंपराओं को दांव पर
लगाना ज्यादा बेहतर समझते हैं ।
आधुनिकता कहे या कहे नया चलन
जिसमें,ये सब जायज हैं ।।
मान,सम्मान आहत होता हैं तो होने दो
कौन,देखता हैं,जांचता या पूछता हैं
रुपैया,भाई रुपैया
की दमक से सब गोलमाल दब और उभर जाता हैं ।।
कलयुग हैं और उसकी माया
सब,संभव हैं सब सही हैं ।
क्या,करेगा ये कानून और क्या करेगी ये नीतियां
हमसे , दुनियां चलती हैं हम दुनियां से नही ।
दबंगई,गुंडागर्दी,अपराध और गलत सोच
इसी,वजह से पनप और फल फूल रही रही हैं ।
सच हैं कि,
न्याय की गुहार लगा रहा हैं और ताजुब,
की बात हैं कि,अन्याय ढंग से अंकुरित हो रहा हैं ।।
मैं,दंग रह जाता हूं हमेशा
ये,अनुचित प्रवत्तियां देखकर ।।
सीता जी,जैसे चरित्र का मोल
आज के युग में अर्थहीन सा प्रतीत हो रहा हैं ।
जो,ताउम्र सिर्फ एक नाम की दुशाला ही ओढ़े रही
क्या,मिला उन्हें
सिर्फ,अग्नि परीक्षा या ताउम्र का वनवास ।
पूरा जीवनकाल कष्टमय बीता उनका ।
छोड़िए ये सब,
ये, अलाप तो बस
यूं ही,बजता रहेगा करने वालों को जो करना हैं
वो,होता रहेगा ।।
आज की नई पीढ़ी
सिर्फ करती हैं मर्यादा का हनन और
ज्ञान विज्ञान और आधुनिकता का उचित मूल्य
क्या,हो सकता हैं वो बतलाती हैं ।।
खैर,
आज के युग में सब संभव हैं ।
सब,जायज हैं ।।
🙏🙏🙏🙏🙏
स्नेहा की कलम से
(रचनाकर पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)
कानपुर उत्तर प्रदेश
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