| ब्लॉग प्रेषक: | आर सी यादव |
| पद/पेशा: | शिक्षक/ मोटिवेशनल स्पीकर/फ्रीलांस जर्नलिस्ट |
| प्रेषण दिनांक: | 11-05-2022 |
| उम्र: | 48 |
| पता: | Dobhi Kerakat Jaunpur UP |
| मोबाइल नंबर: | 9818488852 |
ग्राम्य जीवन
बदल गए सुर-ताल गांव के
बदल गई परिपाटी।
धरती बदली अंबर बदला
बदल गई यह माटी ।।
'चाक' रघु के नहीं सुहाते
गीत स्नेह के नहीं लुभाते
भाई से भाई कतराते
आंगन में दिवारें खिंच गई
सिमट गई दिन- राती ...।।
बदल गए ..।।
नहीं कोकिला तान सुनाती
नहीं भ्रमर अब राग बजाते
झींगुर के अब बोल बेगाने
पपिहा स्वाति बूंद नहिं पाते
उजड़ गए बन-बाग गांव से
रह गई सूखी पाती...!!
बदल गए.....!!
झूरी-झिंगुरी और बिसेसर
बिरजू - सुरूजू - धनी - धनेसर
चैता-कजरी नहीं सुनाते
ढोल-मंजीरे नहीं बजाते
करतल की ध्वनि छूटी पीछे
बिखर गई जगराती...!!
बदल गए ....!!
चौपालों की रातें सूनी
नहीं संत की रमती धूनी
दोपहरी की छांव तले अब
बिछती नहीं ताश -विशातें
सुघरा काकी की वो यादें
लस्सी छाछ दही की बातें
बिखरी यादें - टूटे सपने
दर्द ओढ़ हूंकती छाती ...!!
बदल गए ...!!
खलिहानों में सूनापन है
खेतों में अब रूखापन है
गुड़- गो-रस गोधन भी सिमटे
रीति-रिवाज हुए सब उलटे
शादी में अब सूने मंडप
खा-पीकर घर चले बराती ...!!
बदल गए....!!
बाजारों में रौनक बढ़ गई
रिश्तों में खटास बढ़ गई
चाय-पान को शान समझते
चमक-दमक पैसों की देखो
इंसानों की कीमत घट गई
बाजारू चटपटे स्वाद में
फीकी लगती घर की रोटी..!!
बदल गए....!!
सरसो-साग , चने का सत्तू
मोतीचूर के मीठे लड्डू
मजरी काकी की वो बातें
कोई आकर हमें सुना दे
बीते युग की मीठी बातें
कोई आकर के लौटा दे
बूझ-बूझौवल दादी मां की
कोई तो आकर सुलझा दे
बैर-भाव मिट जाए मन से
मिल बैठे बिछुड़े संगी -संगाती...!!
बदल गए सुर-ताल गांव के बदल गई परिपाटी...!!
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