लहरों में समाया एक उफान सा, क्यूं

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 11-05-2022
उम्र: 29
पता: Lucknow
मोबाइल नंबर: 9453749772

लहरों में समाया एक उफान सा, क्यूं

।। लहरों में समाया 

उफान सा ,क्यूं ।।


आज,बेवजह ही निकला सागर

 किनारे की सैर को

सहसा,मुलाकात हो गई वेग 

के साथ आगे बढ़ती हुई लहरों से ।


बड़ी, बेचैन सी लगी

जैसे,उठती लहरों के उफान में भीतर ही भीतर

मची हो एक खलबली ।।


एक पीर का समंदर था ।

हर,जोश से उठती हुई लहरों में

जैसे,हो गगन के एक सिरे को  चूमती अपने

मचलते हुए आवेग से ।


गुस्सा दिखा,दिखी नाराजगी

जैसे, टीस हो अंदर दर्द के आगाज़ की ।


आज,बड़ी उलझन में नज़र

आई सागर की हर लहर

जैसे हो, तैयार कहर मचाने को हर मंजर ।


लहरों की हर आवागमन में

जो,एक अनसुनी सी आवाज़ दबी थी ।

कहना,चाहती थी मुझे कुछ शायद!

दर्द,उलझन और पीर का

हुजूम ,मेरे भीतर भी हैं सिमटता ।

जब हैं,ये हद से ज्यादा बढ़ता

उफान बन, सब तहस नहस सा करता ।।


आज,सहसा

मुलाकात हुई सागर किनारे लहरों की

आवागमन से ।

एक पल,शांत मिली

तो,मिली दूजे पल ही बेचैन बड़ी ।।

बेचैन बड़ी...........................................


स्नेहा कृति

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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