अरे मनुष्य जागो

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ब्लॉग प्रेषक: जि. विजय कुमार
पद/पेशा: स्व नियोजित
प्रेषण दिनांक: 17-05-2022
उम्र: 39
पता: हैदराबाद तेलंगाना
मोबाइल नंबर: 9642714014

अरे मनुष्य जागो

अरे मनुष्य। 

सोचो, कहा है। आप

आगे या पीछे

आप आगे समझकर दस गुणा पीछे जा रहे हो।

अरे मनुष्य सोचो। कहा हो आप।


अरे। क्या कर रहे हो आप

न्याय और ज्ञान को बेच रहे हो।

अन्याय और

अज्ञान को खरीद रहे हो।

धर्म को भूल कर

अधर्म को अपना रहे हो।

अरे। मनुष्य क्या कर रहे हो आप।


अरे मनुष्य आप क्या पा रहे हो।

प्यार की जगह पैसा

मात-पिता की जगह मोती, दौलत।

अपना परायी होगया,

परायी अपना होगया।

इर्षा, असूया, असत्य, अलसी दोस्त होगया।

अरे मनुष्य। क्या पा रहे हो आप।


अरे मनुष्य। आप सुखः मे हो या दुःख में हो।

आप सुखः के लिए ही दुःखी हो।

अरे मनुष्य। क्या हुआ।


उठो, नींद में से उठो।

कबतक नींद में रहते हो।

उठने का समय आगया।

सोचो और समजो

नही तो, अंतिम क्षण भी आयेगा।


अपना समय आगया।

अरे मनुष्य जागो।जागो।जागो।

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