बहते अश्रु,तस्वीर सी मन की

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 21-05-2022
उम्र: 29
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

बहते अश्रु,तस्वीर सी मन की

।। आंसु या अश्रु ।।


बिन शोर,बिन किए हलचल

बड़े ही आराम से

आंखों की कोरो से अक्सर,

छलक या बह जाया करते हैं ये आंसू

खुशी या गम की तस्वीर बनके ।


अथाह,

सैलाब जब उमड़ता हैं दर्द की ज़ुबान बन

बेचैनियाँ,घर करे मन के घर आंगन

सब्र का भरम भी,

बांध तोड़ने लगे अपना 

फिर,ये बेबस से आंसू कैसे धीरज सा धरे

आंखों को बना अपना जरिया

बहने को , नदियां की धार  में मिलने को

मजबूर हो ही जाते हैं ।।


बिन,

कहे शब्दों की जबां, टूटे दिल की बिन कही दास्तां

और बेबस से,

मुख का अनकहा अंदाज़ भी बनकर,अक्सर

बहकर,आंख से भी

 बिन कहे सब कह जाते हैं ये आंसू या अश्रु ।।


कही ना कही

मन को हल्का और मस्तिष्क को

सुकून की लकीरों से ओत प्रोत

भी कर जाते  हैं ये अश्रु 

हां!

ये,नैनो की कोरो से छलकते ये आंसू ।।


स्नेहा कृति

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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