मेरी,अनकही सी एक उलझन

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 26-05-2022
उम्र: 29
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

मेरी,अनकही सी एक उलझन

।। मेरी,अनकही सी 

एक उलझन ।।


दुनियां, जहान से बेखबर

फिर से,हो चला

खुद की ही हस्ती में आज से

थोड़ा, मशरूफ सा मैं ।


हो चला,

थोड़ा बेखबर, थोड़ा हर बात  से 

अंजान सा, मैं!

बहुत भीड़ थी भरे पूरे ज़माने में

मगर,

भीतर ही भीतर,तन्हा था मैं!


शिकायत थी औरों से बहोत

पर उफ्फ!

तक ना की ख़ामोश जबां के

भरे पूरे पैमाने ने कभी ।।


पर ,उलझन में था मन

मेरा कही ना कही ।

कहने को,सभी अपने थे

पर,कौन जला मेरी फ़िक्र में

इस,  भरे पूरे ज़माने में कभी ।।


एक,उलझन में रहा

मेरा मन 

कभी न कभी ।

जबां थी ख़ामोश मगर,

पर,आंखों में एक अनकही अफसानों की 

अमिट कहानी थी

कही ना कही ।।


स्नेहा कृति

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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